Parliament Special Session: पंडित नेहरू से 'अटल' और मनमोहन सिंह तक, PM मोदी ने बताया- 75 साल में संसद ने क्या-क्या देखा

PM मोदी ने कहा, 'हम भले ही नए भवन में जाएंगे. लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा.'

Source: X@bjp4live

PM Modi in Parliament: संसद के विशेष सत्र के दौरान लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन से चर्चा की शुरुआत की. इस दौरान उन्‍होंने 75 वर्षों की संसदीय यात्रा की तस्‍वीर सामने रखी. उन्‍होंने कहा, 'नए परिसर में जाने से पहले इस संसद भवन से जुड़े प्रेरणादायक क्षणों को याद करने का समय आ गया है. नए सदन में जाने से पहले, उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को याद करते हुए आगे बढ़ने का ये अवसर है.'

उन्‍होंने G20 शिखर सम्‍मेलन का श्रेय 140 करोड़ देशवासियों को दिया. वहीं चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे देश के सामर्थ्‍य की चर्चा की. उनके संबोधन से पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने G20 समिट की सफलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की.

PM मोदी ने कहा, 'ये सही है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था. लेकिन ये बात हम कभी नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में परिश्रम, पसीना और पैसा मेरे देशवासियों का लगा था. हम भले ही नए भवन में जाएंगे. लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा.'

चंद्रयान-3 और G20 की सफलता पर क्या बोले PM?

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से आज पूरा देश अभिभूत है. इसमें भारत के सामर्थ्य का एक नया रूप जो आधुनिकता, विज्ञान, टेक्नोलॉजी, हमारे वैज्ञानिकों और जो 140 करोड़ देशवासियों के संकल्प की शक्ति से जुड़ा हुआ है, वो देश और दुनिया पर नया प्रभाव पैदा करने वाला है.'

PM मोदी ने कहा, 'G20 की सफलता किसी व्यक्ति या दल की नहीं, बल्कि भारत के 140 करोड़ भारतीयों की सफलता है. भारत इस बात के लिए गर्व करेगा कि भारत की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकन यूनियन G20 का स्थाई सदस्य बना.'

उन्‍होंने कहा, 'हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत 'विश्व मित्र' के रूप में अपनी जगह बना पाया है. आज पूरा विश्व, भारत में अपना मित्र खोज रहा है, भारत की मित्रता का अनुभव कर रहा है.'

75 साल की गौरवशाली यात्रा पर बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के 75 साल की गौरवशाली यात्रा को अपने शब्दों में बयां किया. उन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और अपने कार्यकाल तक, संसद की उपलब्धियां गिनाईं.

प्रधानमंत्री ने कहा,

  • इस सदन में वाद-विवाद और कटाक्ष हम सबने देखा है. मगर हम कभी कड़वाहट पालकर नहीं जाते हैं. कोरोना काल जैसी संकट की घड़ी में भी हम संसद में आए. हमने राष्ट्र का काम रुकने नहीं दिया, सबने कर्तव्य निभाया. सदन का सामर्थ्य है कि इससे एक आत्मीय जुड़ाव हो जाता है.

  • पंडित नेहरू जी, शास्त्री जी, मनोहन सिंह और अटल जी तक, ऐसे लोगों की एक बहुत बड़ी श्रृंखला, जिन्होंने सदन का नेतृत्व किया है. इन लोगों ने सदन के माध्यम से देश को दिशा दी है. देश को नए रंग रूप में में ढालने के लिए इन्होंने परिश्रम किया है. आज उन सबका गौरव गान करने का भी अवसर है.

  • संसद पर आतंकी हमला भी हुआ, ये हमला हमारी जीवात्मा पर था. सदन को बचाने के लिए जिन्होंने गोलियां झेलीं उनको नमन करता हूं. इसी सदन में पंडित नेहरू की स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट की गूंज प्रेरित करती रहेगी. अटल जी के शब्द आज भी इस सदन में गूंज रहें हैं. अटल जी ने कहा था- सरकारें आएंगी-जाएंगी...पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी, लेकिन ये देश रहना चाहिए.

  • बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और समर्थन भी इसी सदन ने किया. इसी सदन ने लोकतंत्र पर हुआ हमला भी देखा था. इसी सदन ने लोगों की ताकत का अहसास कराते हुए लोकतंत्र की वापसी भी देखी. इसी सदन में मतदान की उम्र 21 से घटाकर 18 वर्ष करने का निर्णय हुआ. देश की युवा पीढ़ी को उसका योगदान देने के लिए प्रेरित किया गया.

  • इसी सदन में नरसिम्हा राव की सरकार ने पुरानी आर्थिक नीतियों को छोड़कर नई राह पकड़ी. इसी सदन से अटल जी ने सर्वशिक्षा अभियान की शुरुआत की. मनमोहन जी की सरकार में हुए कैश फॉर वोट को भी इसी सदन ने देखा. सबका साथ, सबका विकास का मंत्र, कई ऐतिहासिक फैसले इसी सदन में हुए.

  • आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला इसी सदन में किया गया. वन नेशन वन टैक्स GST का फैसला भी इसी सदन में किया गया. वन रैंक वन पेंशन (OROP) का फैसला भी इसी सदन में हुआ.

  • इसी सदन में 4 सांसद वाली पार्टी सत्ता में थी, 100 सासंद वाली विपक्ष में थी. ये सदन की लोकतंत्र की ताकत का परिचय कराता है. ये वही सदन है जिसमें सिर्फ 1 वोट से अटल जी की सरकार चली गई थी.

  • इसी सदन ने तीन राज्यों का गठन सर्वसम्मति से किया. छत्तीसगढ़ बना तो उत्सव मध्य प्रदेश ने भी मनाया और छत्तीसगढ़ ने भी मनाया. उत्तराखंड की रचना हुई, तब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों ने उत्सव मनाया. जब झारखंड की रचना हुई तो उत्सव बिहार और झारखंड दोनों ने मनाया.

'संसद पहुंचा गरीब परिवार का बच्चा'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया, तो सहज रूप से मैंने इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन किया था. वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था.'

उन्होंने कहा, 'मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था, लेकिन ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है और भारत के सामान्य मानवी की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा का प्रतिबिंब है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा पार्लियामेंट में पहुंच गया.'

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महिलाओं ने बढ़ाई संसद की गरिमा

PM मोदी ने कहा, 'प्रारंभ में यहां (संसद में) महिलाओं की संख्या कम थी. लेकिन धीरे-धीरे माताओं, बहनों की संख्या बढ़ी. उन्होंने भी इस सदन की गरिमा को बढ़ाया है.' उन्होंने कहा, 'करीब-करीब 7,500 से अधिक जनप्रतिनिधि अबतक दोनों सदनों में अपना योगदान दे चुके हैं. इस कालखंड में करीब 600 महिला सांसदों ने दोनों सदनों की गरिमा को बढ़ाया है.'

पत्रकारों का भी किया धन्यवाद

प्रधानमंत्री ने संसद कवर करने वाले पत्रकारों का भी धन्यवाद किया. उन्होंने कहा, 'इस सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है. हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है. आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने पूरा जीवन संसद के काम को रिपोर्ट करने में लगा दिया. एक प्रकार से वे जीवंत साक्षी रहे हैं. उन्होंने पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाईं.'

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