आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान के लिए राहत, IMF से मिली लोन की शुरुआती मंजूरी

पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 3 बिलियन डॉलर के कार्यक्रम के लिए शुरुआती मंजूरी मिल गई है. इससे पाकिस्तान के सॉवरेन डिफॉल्ट का जोखिम कम हो गया है.

Source: Reuters

पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 3 बिलियन डॉलर के लोन प्रोग्राम के लिए शुरुआती मंजूरी मिल गई है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पाकिस्तान के सॉवरेन डिफॉल्ट का जोखिम कम हो गया है. देश के डॉलर बॉन्ड्स में तेजी देखने को मिली है. ये स्टाफ लेवल पर एग्रीमेंट हुआ है. इसे अभी IMF के एग्जीक्यूटिव बोर्ड से मंजूरी लेनी होगी. इस पर जुलाई के मध्य में विचार किया जाएगा. IMF ने 29 जून को अपनी वेबसाइट पर दिए गए बयान में ये जानकारी दी है.

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पाकिस्तान ने IMF की मांगों को किया पूरा

पाकिस्तान IMF के सबसे बड़े ग्राहकों में से एक है. 1950 के बाद से वो करीब दो दर्जन बेलआउट ले चुका है. पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में IMF की मांगों को पूरा करने के लिए कोशिशों में तेजी लाई है. उसने अपनी मुख्य ब्याज दरों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की है. IMF के लोन से पाकिस्तान को 23 बिलियन डॉलर के बाहरी कर्ज का भुगतान करने में मदद मिलेगी, जो उसके फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व से छह गुना से ज्यादा है.

वेल्स फार्गो एंड कंपनी में स्ट्रैटजिस्ट ब्रेंडेन मैक्केना (Brendan McKenna) ने कहा कि IMF के सपोर्ट से तुरंत डिफॉल्ट होने का खतरा खत्म हो गया है और सुधार के एजेंडे को सहारा मिला है. मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान का बकाया छोटी अवधि में बढ़ेगा और इसकी लंबी अवधि में वैल्यू हो सकती है, अगर सरकार IMF के कार्यक्रम के लक्ष्यों को लेकर प्रतिबद्धता दिखाती है. पाकिस्तान के डॉलर बॉन्ड्स में शुक्रवार को तेजी देखी गई है. स्थानीय बाजार छुट्टी के लिए बंद हैं और मंगलवार को दोबारा खुलेंगे.

अर्थव्यवस्था को संकट से निकालने में मिलेगी मदद

फंड्स से पाकिस्तान में डॉलर और सप्लाई की किल्लत कम होने में मदद मिलेगी और इस साल चुनावों से पहले अर्थव्यवस्था संकट से निकल सकेगी. हालांकि, पाकिस्तान का IMF के साथ रिश्ता उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. सरकार को अगस्त में 1.1 बिलियन डॉलर के लोन के लिए अगस्त में स्टाफ अप्रूवल मिला था. लेकिन पाकिस्तान के कुछ शर्तों को पूरा नहीं कर पाने की वजह से ये रोक दिया गया था.

मिशन चीफ नाथन पोर्टर ने कहा कि ये अहम है कि बजट को योजना के मुताबिक ही लागू किया जाए और अथॉरिटीज को आने वाले समय में बजट से ज्यादा खर्च या टैक्स छूट से बचना होगा.

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