World Happiness Report: फिनलैंड फिर से सबसे खुशहाल देश; भारत की रैंकिंग सुधरी, अमेरिका की फिसली! आखिर क्‍या है खुश रहने का फॉर्मूला?

भारत के लिए अच्‍छी खबर ये है कि भारत की रैंकिंग थोड़ी सुधारी है, हालांकि अभी भी 147 देशों की इस लिस्ट में भारत 118वें स्थान पर रहा है.

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World Happiness Index 2025: फिनलैंड में लोग भरपूर खुश हैं. वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 में फिनलैंड ने एक बार फिर बाजी मार ली है. लगातार आठवें साल फिनलैंड को दुनिया का सबसे खुशहाल देश चुना गया है और नंबर 1 की अपनी रैंकिंग बरकरार रखने में इसने कामयाबी हासिल की है. नॉर्वे, आइसलैंड और स्वीडन जैसे अन्य नॉर्डिक देश भी टॉप 10 में बने हुए हैं.

भारत के लिए अच्‍छी खबर ये है कि भारत की रैंकिंग थोड़ी सुधारी है, हालांकि अभी भी 147 देशों की इस लिस्ट में भारत 118वें स्थान पर रहा है. पिछली बार हमारी रैंकिंग 126वीं थी. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वेलबीइंग रिसर्च सेंटर ने ये रिपोर्ट जारी की है.

टॉप 20 खुशहाल देश

  1. फिनलैंड

  2. डेनमार्क

  3. आइसलैंड

  4. स्वीडन

  5. नीदरलैंड

  6. कोस्टा रिका

  7. नॉर्वे

  8. इजरायल

  9. लक्जमबर्ग

  10. मेक्सिको

  11. ऑस्ट्रेलिया

  12. न्यूजीलैंड

  13. स्विटजरलैंड

  14. बेल्जियम

  15. आयरलैंड

  16. लिथुआनिया

  17. ऑस्ट्रिया

  18. कनाडा

  19. स्लोवेनिया

  20. चेक गणराज्य

इजरायल भी टॉप 10 में, अफगानिस्‍तान सबसे दुखी

यूरोपीय देश टॉप 20 में हावी हैं, लेकिन कुछ अपवाद भी देखने को मिले. इजरायल युद्ध जैसी स्थिति झेलने के बावजूद 8वें स्थान पर है. वहीं, मेक्सिको और कोस्टा रिका पहली बार टॉप 10 में पहुंचे हैं, 10वें और 6ठे स्थान पर हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान लगातार सबसे दुखी देश बना हुआ है. खासकर अफगान महिलाओं ने अपने जीवन को बेहद कठिन बताया. उसके बाद सिएरा लियोन और लेबनान सबसे निचले पायदान पर हैं.

अमेरिका की हैप्पीनेस रैंकिंग गिरी 

एक चौंकाने वाली बात यह रही कि अमेरिका अब 24वें स्थान पर पहुंच गया है, जो उसका अब तक का सबसे निचला स्तर है. 2012 में अमेरिका 11वें स्थान पर था. रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में अकेले खाना खाने वाले लोगों की संख्या में पिछले 20 सालों में 53% बढ़ोतरी हुई है, जो सामाजिक जुड़ाव में कमी का संकेत है. इसी तरह, ब्रिटेन भी 23वें स्थान पर है, जो पिछले कई वर्षों में सबसे कम स्कोर है.

खुश रहने का फॉर्मूला पैसा नहीं, तो क्‍या? 

रिपोर्ट बताती है कि खुशी सिर्फ पैसे या विकास से नहीं आती, बल्कि भरोसे, जुड़ाव और सामाजिक समर्थन से भी गहराई से जुड़ी है. गैलप के CEO जॉन क्लिफ्टन के मुताबिक, 'अगर हमें मजबूत इकोनॉमी और बेहतर समाज चाहिए, तो हमें एक-दूसरे में निवेश करना होगा.'

सर्वे में ये भी पाया गया कि छोटी-छोटी खुशियों से ही बड़ी खुशी है. सामान्‍य चीजें जैसे परिवार के साथ खाना खाना, दोस्तों का साथ और घर में ज्यादा लोगों का रहना भी खुशी बढ़ाते हैं. उदाहरण के तौर पर, मेक्सिको और यूरोप में चार-पांच लोगों वाले परिवार सबसे ज्यादा खुश पाए गए.

खोया हुआ बटुआ लौटाना = खुशहाल समाज!

रिपोर्ट के एक दिलचस्प निष्कर्ष के अनुसार, लोग जितना दूसरों की ईमानदारी और भलाई पर भरोसा करते हैं, वे उतने ही खुश रहते हैं. उदाहरण के लिए, जिन देशों में लोग मानते हैं कि अगर उनका बटुआ खो जाए तो कोई उसे लौटा देगा, वहां की खुशी का स्तर ऊंचा है. नॉर्डिक देशों में बटुआ लौटाने की उम्मीद और वास्तविकता दोनों काफी ज्यादा है.

युवाओं में सोशल सपोर्ट की कमी

रिपोर्ट में एक और चिंताजनक पहलू सामने आया कि दुनिया भर में करीब 19% युवा ऐसे हैं, जिनके पास कोई सोशल सपोर्ट नहीं है. ये आंकड़ा 2006 के मुकाबले 39% ज्यादा है. हाल के वर्षों में जिस तरह युवाओं में डिप्रेशन के मामले बढ़े हैं और यहां तक कि खुदकुशी की घटनाएं बढ़ी हैं, वे भी रिपोर्ट के इस पहलू से मेल खाती हैं कि युवाओं के पास सोशल सपोर्ट की कमी है.

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