क्रेडिट कार्ड बना सिरदर्द! डिफॉल्ट हुए 6,700 करोड़ रुपये, NPA 28% बढ़ा

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2020 में 1,108 करोड़ रुपये के मुकाबले में क्रेडिट कार्ड NPA में 500% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है.

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देश में उपभोक्ता खर्चों का ग्राफ तेजी से ऊपर गया है, इसकी एक बड़ी वजह है डिजिटल पेमेंट्स की सहूलियत. UPI पेमेंट्स के अलावा अब क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल भी कंज्यूमर स्पेंडिंग में तेजी से बढ़ा है, सुनने में तो ये अच्छा लग रहा है, लेकिन इसके पीछे एक डराने वाला सच ये भी है कि क्रेडिट कार्ड से खर्च करने वाला एक बड़ा वर्ग उसका बिल नहीं भर पा रहा है.

3 साल में बेतहाशा बढ़ा क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल

बीते कुछ वर्षों में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. इसको ऐसे समझिए कि मार्च 2024 को खत्म वित्त वर्ष के दौरान क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन बढ़कर 18.31 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो मार्च 2021 में 6.3 लाख करोड़ रुपये की के मुकाबले तीन गुना है.

क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बढ़ने में कोई बुराई नहीं, लेकिन उसका बिल नहीं भर पाना रिजर्व बैंक को भी परेशान करता है. रिजर्व बैंक की ओर से जारी एक ताजा डेटा के मुताबिक साल 2024 के दौरान क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स में 28.42% की बढ़ोतरी हुई है. इस अवधि के दौरान क्रेडिट कार्ड होल्डर ने जिस रकम को डिफॉल्ट किया वो 6,742 करोड़ रुपये है, ये वो रकम है, जो बैंक क्रेडिट कार्डधारकों से रिकवर नहीं कर पाई, जो कि बहुत बड़ी राशि है.

क्रेडिट कार्ड NPA में 500% से ज्यादा की बढ़ोतरी!

RBI डेटा के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि दिसंबर, दिसंबर 2023 में ग्रॉस NPA 5,250 करोड़ रुपये से करीब 1,500 करोड़ रुपये बढ़ गया था. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2024 में क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में NPA 2.92 लाख करोड़ रुपये के सकल बकाया लोन का 2.3% था. इसके पिछले साल ये 2.53 लाख करोड़ रुपये के बकाया लोन का 2.06% था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2020 में 1,108 करोड़ रुपये के मुकाबले में क्रेडिट कार्ड NPA में 500% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. दूसरी ओर, बैंकों में कुल ग्रॉस NPA दिसंबर 2023 में 5 लाख करोड़ रुपये से घटकर दिसंबर 2024 तक 4.55 लाख करोड़ रुपये हो गया. ये जानकारी एक RTI के जरिए पूछे गए सवाल के जवाब में हासिल हुई है.

जो लोग क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए ये जानना जरूरी है कि कार्ड बकाया या कार्ड आउटस्टैंडिंग वो रकम है जो बैंक की ओर से दी गई ब्याज-मुक्त अवधि समाप्त होने के बाद ग्राहक को अपने क्रेडिट कार्ड पर देनी होती है. इसमें ब्याज दरें ज्यादा होती हैं.

अगर ग्राहक 90 दिनों से ज्यादा समय तक भुगतान में देरी करता है तो ये ये बैंक के लिए एक नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स यानी NPA बन जाता है. बकाया राशि पर ब्याज दरें सालाना 42-46% तक हो सकती हैं और इससे क्रेडिट स्कोर में भी गिरावट आ सकती है.