ऑल टाइम हाई पर सोना! कैसे करें निवेश और और क्या बरतें सावधानियां

अक्टूबर की शुरुआत के बाद से बुलियन 16% तक चढ़ चुका है. इस बढ़त की शुरुआत इजरायल-हमास युद्ध के साथ हुई थी.

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कई इन्वेस्टर्स को फिलहाल सोना खरीदना (Gold Buying) अच्छा विकल्प लग रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इंट्राडे ट्रेड में गोल्ड रिकॉर्ड 2,135 डॉलर/आउंस के स्तर पर पहुंच गया. जितनी ज्यादा दुनिया में उथल-पुथल होगी, सोने की कीमतें उतनी ज्यादा बढ़ेंगी.

भारतीय बाजार में भी सोने की कीमतों में जोरदार तेजी है. सोमवार को MCX पर सोने का फरवरी वायदा 64,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया.

अक्टूबर की शुरुआत के बाद से बुलियन 16% तक चढ़ चुका है. इस बढ़त की शुरुआत इजरायल-हमास युद्ध के साथ हुई थी, लेकिन इसके बाद अगले साल से फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से सोने की कीमतें बढ़ती गईं.

तो क्या ये रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए सोने में पैसा लगाने का सही वक्त है?

आपको ये जरूरी चीजें जान लेनी चाहिए?

सोने की कीमतें क्यों बढ़ रही है?

अगस्त 2020 में आखिरी बार गोल्ड 2,075 डॉलर/आउंस के स्तर पर पहुंचा था, तब महामारी के चलते गोल्ड की कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी. इस बार भी गोल्ड प्राइस जियोपॉलिटिकल मुश्किलों के चलते चढ़ा हुआ है और ट्रेडर्स को अगले साल मार्च से बड़े पैमाने पर कीमतों में कटौती की उम्मीद है.

चीन के बाद भारत दूसरा ऐसा देश है जहां पर सोने की सबसे ज्यादा खपत होती है. भारत में नवंबर में सोना नई ऊंचाई पर पहुंच गया था.

आप अभी गोल्ड क्यों खरीदेंगे?

ANZ बैंकिंग ग्रुप में कमोडिटी स्ट्रैटेजिस्ट सोनी कुमारी के मुताबिक, 'ब्याज दरों को लेकर फेड के रवैये और जियोपॉलिटिकल और आर्थिक जोखिमों को देखते हुए 2024 में गोल्ड के लिए चीजें अच्छी दिख रही हैं.'

उन्होंने कहा, 'इन सबसे ऊपर सेंट्रल बैंक की खरीदारियां भी अगले साल तक चलेंगी, जिससे फिजिकल डिमांड में किसी तरह की संभावित कमजोरी को दूर किया जा सकेगा.'

संपन्नता की पहचान से इतर, गोल्ड का एशिया में सांस्कृतिक इतिहास है. भारतीय लोगों के पास दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट गोल्ड होल्डिंग है. यहां सोना परंपराओं के केंद्र में होने के साथ-साथ एक पोर्टेबल और प्रैक्टिकल इन्वेस्टमेंट है.

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल में इंडिया के रीजनल चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर पी आर सोमसुंदरम के मुताबिक एशियाई लोगों के लिए सोना एक लंबी अवधि का एसेट है. जिसकी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वैल्यू है.

गोल्ड खरीदने की वकालत करने वाले कई लोग इसे करेंसीज में गिरावट के खिलाफ सुरक्षा मानकर चलते हैं.

मैं गोल्ड कैसे खरीदूं?

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, इंस्टीट्यूशनल और इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स के लिए अच्छा इन्वेस्टमेंट ऑप्शन होते हैं. उत्तर अमेरिका और यूरोप में इनकी ज्यादा खरीद होती है.

दूसरा तरीका इंटरनेट ब्रोकरेजेज का है, जो ग्राहकों को फिजिकल गोल्ड बार बेचते हैं, उनसे खरीदते हैं और होल्ड भी करते हैं. ये ब्रोकरेजज एक तरह की क्रिप्टोकरंसी, स्टेबल कॉइन्स भी बेचते हैं, जिसकी कीमत गोल्ड के समानांतर ही बढ़ती है.

हॉन्ग कॉन्ग जैसी कुछ जगहों पर उपभोक्ताओं के पास बैंकों में गोल्ड अकाउंट्स में इन्वेस्ट करने का ऑप्शन होता है. यहां वे अपनी सेविंग्स के एक हिस्से को लोकल करंसी या फिर बुलियन में सेव करने का ऑप्शन चुन सकते हैं.

आपके पोर्टफोलियो में गोल्ड को शामिल करने का एक आसान तरीका पास के ज्वेलरी स्टोर से जाकर ब्रैसलेट, अंगूठी या कॉइन खरीदना भी होता है. भारत और चीन जैसे देशों में ज्यादातर खरीदारी शादियों के लिए होती है. जबकि थाईलैंड और विएतनाम जैसे देशों में कॉइन्स और बार्स को तवज्जो दी जाती है.

क्या सावधानियां रखें?

गोल्ड खरीदारों को क्वालिटी और प्योरिटी का ध्यान रखना जरूरी है. सोमसुंदरम कहते हैं, 'ये सबसे आसान चीज होती है, जो इन्वेस्टर्स को धोखा देती है, क्योंकि उन्हें गोल्ड कम कीमत या डिस्काउंट पर मिल रहा होता है. या फिर वे टैक्स बचाने के लिए बिना बिल के खरीद रहे होते हैं.' चाहे ज्वेलरी स्टोर हो या फिर डिजिटल प्लेटफॉर्म, ग्राहकों को अच्छी साख वाले विक्रेताओं से ही खरीद करनी चाहिए.

गोल्ड क्वालिटी कैसे परखें?

रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए कैरेट के जरिए प्योरिटी के बारे में सोचना सबसे आसान है. सभी तरह की इन्वेस्टमेंट बार 24 कैरेट सोना होती हैं, जो सबसे खरा होता है. ज्वेलरी के लिए 24 कैरेट से कम प्योरिटी वाले सोने का उपयोग होता है. एशिया में ज्वेलरी में 18 और उससे ज्यादा कैरेट के गोल्ड का इस्तेमाल होता है. 24 कैरेट गोल्ड ज्वेलरी बनाने के सही नहीं होता, क्योंकि ये ज्यादा सॉफ्ट होता है.

अलग-अलग देशों में गोल्ड प्योरिटी का मिनिमम स्टैंडर्ड अलग-अलग होता है. अमेरिका में 10 कैरेट मिनिमम है, जबकि फ्रांस, यूके, ऑस्ट्रिया जैसे देशों में 9 कैरेट मिनिमम है.

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