प्रोफेशनल्स और कारोबारियों को ये सुनिश्चित करना होता है कि उनके पास टैक्स रिटर्न फाइल के लिए जरूरी सभी डिटेल्स मौजूद हों. बिजनेस टैक्स रिटर्न का फाइल करना एक बात है, लेकिन पर्सनल रिटर्न फाइल भी उतना ही अहम है, ताकि किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी न हो. ये जरूरी है कि व्यक्ति टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए सभी जरूरी जानकारी पहले ही इकट्ठा कर ले. टैक्स रिटर्न को फाइल करने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है. आइए ऐसी ही कुछ चीजों को जान लेते हैं.
बिजनेस डिटेल्स को शामिल करना
हर प्रोफेशनल या व्यक्ति जिसके पास कारोबार है, उस पर दोगुनी जिम्मेदारी होती है. एक, जहां उसे कारोबार या पेशे से जुड़ी जरूरतों को पूरा करना होता है. और दूसरा निजी डिटेल्स से जुड़ा हुआ है. जब व्यक्ति अपना पर्सनल टैक्स रिटर्न फाइल कर रहा है, तो उसे ये सुनिश्चित करना होगा कि उसके रिटर्न में बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम डिटेल्स सही तरीके से शामिल हों. ये अहम चीज है, जहां बहुत सी मुश्किलें हो सकती हैं. क्योंकि बिजनेस और प्रोफेशनल के तौर पर रिटर्न और इंडिविजुअल बुक्स में दिख रहे आंकड़े मेल खाने चाहिए.
कारोबार को चलाने के लिए इस्तेमाल की जा रही इकाई किस तरह की है, वो भी अहम है, क्योंकि इससे पता चलता है कि किस तरह की इनकम आ रही है और इसका व्यक्ति की टैक्स लायबिलिटी पर क्या असर होगा.
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कुछ इनकम जैसे पार्टनरशिप कंपनी से सैलरी या कंपनी से डिविडेंड पर टैक्स कटकर ही हाथ में आता है, जबकि अन्य इनकम जैसे पार्टनरशिप फर्म से प्रॉफिट टैक्स फ्री होता है, क्योंकि बिजनेस एंटिटी पर पहले ही टैक्स कट चुका होता है.
जरूरी टैक्स का भुगतान करें
कई तरह की आय ऐसी होती हैं जो प्रोफेशनल्स या बिजनेस करने वाला व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत क्षमता में हासिल करता है, जिस पर कोई TDS नहीं लगता है. इसका एक उदाहरण पार्टनरशिप कंपनी से मिलने वाला वेतन हो सकता है. अगर ऐसा है तो इसमें एडवांस टैक्स की रकम का भुगतान करना होगा, अगर इसे नहीं भर पाए तो आपको ब्याज समेत एक मोटी रकम का निपटारा करना होगा. भुगतान किए गए सभी टैक्स का ब्यौरा इकट्टा करना चाहिए और इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय आवश्यक क्रेडिट लिया जाना चाहिए. ये एक ऐसा जरूरी काम है जिसको छोड़ा नहीं जा सकता है और यही पूरी प्रक्रिया में राहत देगा.
आंकड़ों का ध्यान रखें
व्यक्ति बेहद आसानी से अपने बिजनेस और निजी कामों के बीच कन्फ्यूज हो सकता है. ये कमाई गई इनकम या भुगतान किए गए टैक्स या क्लेम किए गए खर्च के साथ भी हो सकता है. लेकिन इससे व्यक्ति के साथ बिजनेस के लिए भी बड़ी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. इसलिए ये जरूरी है कि इसमें साफ तौर पर फर्क पता हो कि कौन-सा खर्च किसका है और कैसे वो टैक्स रिटर्न में दिखेगा. इस मामले में कन्फ्यूजन की कोई जगह नहीं है.
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समय पर फाइल करें
एक सबसे अहम चीज जिसका प्रोफेशनल या कारोबारी को ध्यान रखना चाहिए, वो है कि अपने टैक्स रिटर्न को समय पर फाइल करना. अक्सर ऐसे लॉस होते हैं, जिन्हें आगे कैरी-फॉरवर्ड करना होता है और जिन्हें आने वाले सालों में सेटऑफ किया जा सकता है. लेकिन अगर आपने रिटर्न समय पर फाइल नहीं किया है, तो ये नहीं हो सकेगा. कई बार टैक्स विभाग से रिफंड भी लेना होता है और इसलिए समय पर फाइल करना जरूरी है.
रेगुलेटरी कंप्लायंस को चेक करें
बिजनेस या इंडीविजुअल के लिए बहुत सी जरूरतें हैं, जो उन्हें पूरी करनी होती हैं. इनमें सर्टिफिकेट से लेकर रिसीट लेना शामिल है. ये चीजें नहीं करने से इनकम कैलकुलेशन की प्रक्रिया में देरी हो सकती है. इससे रिटर्न भी देरी से फाइल होगा और इसलिए इसे जल्द से जल्द करना जरूरी है. ये जरूरी है कि सभी जरूरतों की सही लिस्ट तैयार की जाए. और फिर उन्हें कलेक्ट किया जाए, जिससे रिटर्न की प्रक्रिया में बाधा न आए और कुछ छूट न जाए.
अर्णव पंड्या
(लेखक Moneyeduschool के फाउंडर हैं)