अगर आपको आपकी इंश्योरेंस कंपनी की ओर से ये मैसेज मिला है कि आपका हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ने वाला है, तो आप अकेले नहीं हैं. अगर आपको ऐसा कोई मैसेज नहीं मिला है तो बहुत जल्दी मिल जाएगा. बढ़ती मेडिकल महंगाई और क्लेम सेटलमेंट ने बीमा इंडस्ट्री को हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ाने पर मजबूर कर दिया है.
पिछले साल बढ़ा प्रीमियम, इस साल भी बढ़ेगा!
लोकल सर्कल्स ने इस साल की शुरुआत में पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीधारकों पर एक सर्वे किया था, जिसमें 52% ने कहा कि उनका प्रीमियम पिछले साल के मुकाबले पहले ही 25% तक बढ़ चुका है. इस सर्वे में शामिल 18,067 लोगों में से 27% ने कहा कि उनका प्रीमियम बीते एक साल में 0-25% तक बढ़ चुका है, जबकि 14% ने बताया कि उनका प्रीमियम नहीं बढ़ा है. बाकियों ने इस पर कुछ साफ साफ जवाब नहीं दिया.
हरक्यूलिस इंश्योरेंस एडवाइजर्स के फाउंडर निखिल झा के मुताबिक, अगले कुछ महीनों में ज्यादातर कंपनियां प्रीमियम में बढ़ोतरी करने जा रही हैं. अनुमान है कि ये बढ़ोतरी 5-18% के बीच हो सकती है. निखिल झा ने कहा कि Niva Bupa की रीश्योर 2.0 जैसी प्रमुख पॉलिसीज भी प्रीमियम बढ़ा रही हैं, साथ ही केयर सुप्रीम हेल्थ इंश्योरेंस या स्टार हेल्थ की फैमिली हेल्थ ऑप्टिमा इंश्योरेंस प्लान में पिछले साल प्रीमियम में बढ़ोतरी देखी गई है. उन्होंने कहा कि स्टार जैसी कुछ पॉलिसीज में करीब 60-70% की दर से काफी तेज उछाल देखा गया है.
पॉलिसीबाजार के चीफ बिजनेस ऑफिसर अमित छाबड़ा ने कहा कि प्रीमियम में बढ़ोतरी तो हो रही है, लेकिन ये हमेशा की तरह ही है. कोविड के बाद, कंपनियों को प्रीमियम बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है. इसलिए जबकि हमने प्रीमियम में लगातार दो साल की बढ़ोतरी देखी है, CAGR के आधार पर ये अब भी उतनी नहीं है. दूसरी ओर, कई स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते मामलों के साथ-साथ मेडिकल महंगाई करीब 15% सालाना बढ़ रही है.
क्या है इस मुश्किल का हल?
निखिल झा कहते हैं कि एक रास्ता ये है कि मल्टी ईयर पॉलिसी को खरीद लिया जाए. जिसमें पांच साल के लिए प्रीमियम का भुगतान पहले ही किया जा सकता है. ये एक ऐसी योजना है जो स्टैंडर्ड एक साल की अवधि के बजाय आमतौर पर दो से पांच साल के लिए कवरेज देती है. HDFC Ergo के मुताबिक, मल्टी ईयर मेडिक्लेम प्लान खरीदने से आपको लॉन्ग टर्म पॉलिसी छूट का लाभ भी मिलता है. भारत में ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां दो साल की पॉलिसी अवधि चुनने पर 10% तक का हेल्थ इंश्योरेंस डिस्काउंट देती हैं.
छाबड़ा ने कहा कि लंबी अवधि की पॉलिसीज के साथ-साथ कुछ स्वास्थ्य बीमा कंपनियां ऐसी पॉलिसीज भी देती हैं, जिनमें प्रीमियम लॉक होता है. उन्होंने बताया कि ऐसी पॉलिसीज के मामले में, अगर बीमाधारक ने कोई क्लेम नहीं किया है, तो कंपनी प्रवेश आयु (entry age) से प्रीमियम की गणना करती है. ऐसे में, ये पॉलिसी युवाओं के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
झा ने कहा कि लंबी अवधि की पॉलिसीज का नुकसान ये है कि अगर कंपनी नियम और शर्तें बदलती है, तो पॉलिसीधारक के पास सीमित विकल्प बचते हैं, भले ही वे बाहर निकलना चाहें. HDFC Ergo के एक नोट के मुताबिक, मल्टी ईयर पॉलिसी कवरेज खरीदते समय, नो क्लेम बोनस की कैलकुलेशन प्रक्रिया भी थोड़ी मुश्किल हो सकती है.