कंपाउंडिंग रिटर्न देने की जगह घाटे में है SIP पोर्टफोलियो? मुनाफे के ट्रैक पर लौटने के लिए क्या करें

SIP निवेश का एक पॉपुलर विकल्प है, जिसके जरिए लंबी अवधि में अपनी दौलत में बढ़ोतरी की जा सकती है. लेकिन अगर आप कुछ गलतियां कर जाते हैं तो आपका रिटर्न बिगड़ सकता है.

Source: Envato

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) की बात करने पर आमतौर पर जो बात सबसे पहले दिमाग में आती है, वह है कंपाउंडिंग बेनेफिट. यानी लंबी अवधि में छोटे-छोटे निवेश के जरिए बड़ी पूंजी जमा करने का कमाल. SIP का परफॉर्मेंस चार्ट देखें तो ज्यादातर स्कीम का प्रदर्शन 5 से 10 साल या इससे भी ज्यादा अवधि में पॉजिटिव ही दिखता है. लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि आपके SIP पोर्टफोलियो में मन मुताबिक रिटर्न नहीं आ रहा हो या आपको अपने निवेश पर नुकसान हो रहा हो. यानी ऐसे मामले जहां SIP रिटर्न निगेटिव हो रहा है और एसआईपी के जरिए निवेश पर कंपाउंडिंग का लाभ मिलने की बजाय नुकसान होने लगता है.

कैसे बिगड़ जाता है कंपाउंडिंग का गणित

कई बार SIP के जरिए निवेश पर कंपाउंडिंग का फायदा क्यों नहीं मिल पाता इसे समझते हैं. मान लीजिए आपने इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम में बेहतर रिटर्न पाने के लिए एसआईपी के जरिये निवेश शुरू किया है. पहले साल में आपको 12 फीसदी रिटर्न मिला, दूसरे साल का रिटर्न भी डबल डिजिट में रहा. लेकिन तीसरे साल से लगातार 4 साल तक रिटर्न निगेटिव में जाने लगा, जिससे ओवरऑल रिटर्न भी घाटे का हो गया. इससे पूरा का पूरा कंपाउंडिंग का खेल बिगड़ जाता है. इक्विटी के रिटर्न बाजार पर निर्भर होते हैं और अगर मार्केट में ज्यादा उथल-पुथल हो या इक्विटी का सेलेक्शन गलत निकल जाए, तो ऐसा हो सकता है.

घबरा सकते हैं नए निवेशक

फाइनेंशियल एडवाइजर खासतौर से नए निवेशकों को म्यूचुअल फंड में नियमित निवेश करने की सलाह देते हैं. और अपनी पसंद के म्यूचुअल फंड में रेगुलर इंटरवल पर तय रकम निवेश करने के लिए एसआईपी सबसे बढ़िया तरीका माना जाता है. इसका फायदा यह है कि निवेश के इस मोड में आपका पैसा एक साथ ब्लॉक नहीं होता है. लेकिन अगर एसआईपी का रिटर्न नेगेटिव होने लगे तो नए निवेशक घबरा सकते हैं. ऐसा होने पर यह संभव है कि निवेशक हड़बड़ी में अपने पैसे बाहर निकालने लगें. लेकिन ऐसा करना उनकी परेशानी को और बढ़ा भी सकता है. अगर निवेशक घबराकर अपना इनवेस्टमेंट निकालने लगे या पूरी तरह एग्जिट हो गए, तो निवेश का वह लक्ष्य अधूरा रह जाएगा, जिसके लिए एसआईपी शुरू की थी. इसीलिए एडवाइजर या एक्सपर्ट घबराकर यूनिट सेल करने की बजाय, ऐसे उपायों पर काम करने की सलाह देते हैं, जिनसे आपका पोर्टफोलियो रिटर्न के ट्रैक पर वापस लौट आए. और लंबी अवधि में मजबूत प्रदर्शन करे.

सबसे पहले देखें बाजार का मूड

इक्विटी मार्केट में स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव बाजार के सामान्य ट्रेंड के कारण होते हैं. जब आप ट्रेंड को सही ढंग से समझकर निवेश करते हैं, तो आपको कंपाउंडिंग का लाभ मिलता है. इसलिए सबसे पहले बाजार के ट्रेंड का सही अनुमान लगाएं. यह समझने की कोशिश करें कि बाजार में तेजी का ट्रेंड है या बाजार गिरावट के मूड में आ गया है. जैसा ट्रेंड हो, उसी हिसाब से निवेश करने की योजना बनाएं.

किस लक्ष्य के लिए करना है निवेश

निवेश की शुरुआत करने के पहले आप अपना लक्ष्य तय कर लें कि किस उद्देश्य के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग कर रहे हैं. मिसाल के तौर पर कार खरीदने के लिए, बच्चों के हायर एजुकेशन के लिए, उनके शादी-विवाह के लिए या घर खरीदने के लिए. जब आपका लक्ष्य निर्धारित हो जाए और उसके लिए कितना फंड जुटाना है, इसका भी अनुमान लग जाए तो उसी हिसाब से निवेश की अवधि तय करें. यानी यह देखें कि टारगेट 10 साल में हासिल करना है या 15 साल में. फिर किसी एडवाइजर से सलाह लेकर सही फंड और मंथली एसआईपी की रकम फिक्स करें.

अपने लेवल पर भी स्टडी करें

किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में सिर्फ उसके पुराने रिटर्न को देखकर पैसा लगाने की रणनीति पूरी तरह सही नहीं है. किसी भी फंड में पुराना रिटर्न आगे भी जारी रहेगा, इसकी गारंटी नहीं होती. कुछ महीनों तक हाई रिटर्न देने वाले स्टॉक अगले कुछ महीने निगेटिव रिटर्न भी दे सकते हैं. इसलिए अच्छी तरह स्टडी कर लें कि जिस फंड में पैसे लगा रहे हें, उसके पोर्टफोलियो में किन कंपनियों के स्टॉक हैं. उन कंपनियों में हाई ग्रोथ के साथ लंबी अवधि तक मार्केट में आगे बने रहने की क्षमता है या नहीं. उसके बाद उस फंड के बारे में, मसलन उसके पिछले प्रदर्शन, आउटलुक और एक्सपेंस रेशियो की तुलना करनी चाहिए. निवेश के पहले फाइनेंशियल एडवाइजर से भी सलाह लें.

बाजार की टाइमिंग का चक्कर

कई बार निवेशक बाजार की टाइमिंग तय करने के चक्कर में पड़कर गलती कर देते हैं. निवेश शुरू करने के लिए बाजार सस्ता होने का इंतजार नहीं करना चाहिए. बाजार में हर समय निवेश के मौके रहते हैं. कई निवेशक बाजार में उथल-पुथल देखकर डर जाते हैं और लक्ष्‍य से पहले ही पैसे निकाल लेते हैं. इसका असर यह होता है कि जब बाजार नई ऊंचाई बनाता है, तो ऐसे निवेशक उस तेजी का फायदा नहीं उठा पाते. अगर लंबी अवधि तक धैर्य नहीं रख सकते तो एसआईपी के बारे में विचार नहीं करना चाहिए.

निवेश का समय-समय पर आकलन

अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आपको समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो में मौजूद म्यूचुअल फंड के रिटर्न की जांच करते रहना चाहिए. अगर म्यूचुअल फंड लगातार निगेटिव रिटर्न दे रहा है या अपने बेंचमार्क के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है, तो सभी बातों को ध्यान में रखते हुए उससे बाहर निकलना बेहतर है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप निवेश का रास्ता ही छोड़ दें. अगर स्कीम गलत लग रही है तो उससे पैसे निकालकर दूसरी बेहतर स्कीम में लगाएं. अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए धैर्य के साथ निवेश की राह पर आगे बढ़ना जरूरी है.

(Source: म्यूचुअल फंड एएमसी ब्लॉग, फाइनेंशियल वेबसाइट, AMFI)