सिर्फ मौज-मस्ती नहीं, वेल्थ क्रिएशन में भी झंडा गाड़ रहे देश के नौजवान; गवाही दे रहे SIP निवेश के आंकड़े

देश के नौजवान निवेश के मामले में न सिर्फ तेजी से तरक्की कर रहे हैं, बल्कि आर्थिक फैसले लेने में काफी समझदारी दिखा रहे हैं.

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मिलेनियल्स यानी देश के कम उम्र नौजवानों का जिक्र होते ही आपके मन में क्या तस्वीर उभरती है? सिर्फ मौज-मस्ती करते, नए-नए मोबाइल फोन्स, कपड़ों और ऐसे ही दूसरे शौक पर पैसे उड़ाने वाले युवाओं की? अगर आपका जवाब ‘हां’ है, तो आपको अपनी राय को अपडेट करने की जरूरत है.

जिंदगी को खुलकर जीने का  नौजवानों का अंदाज तो उनकी उम्र का तकाजा है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वे बाकी मामलों में आगे नहीं बढ़ रहे हैं. ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश के नौजवान निवेश के मामले में न सिर्फ तेजी से तरक्की कर रहे हैं, बल्कि आर्थिक फैसले लेने में काफी समझदारी दिखा रहे हैं.

SIP के जरिए निवेश में मिलेनियल आगे 

CII-CAMS की कुछ समय पहले आई रिपोर्ट द इमर्जिंग फोर्स ऑफ मिलेनियल इनवेस्टर्स (The emerging force of Millennial Investors) के मुताबिक वित्त वर्ष 2019 से 2023 के दौरान देश के म्यूचुअल फंड्स से करीब 1.57 करोड़ नए निवेशक जुड़े, जिनमें लगभग 84.82 लाख यानी 54% इनवेस्टर मिलेनियल्स थे.

दिलचस्प बात ये है कि म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने वाले इन मिलेनियल्स में से 67.15% ने सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए और महज 32.85% ने एकमुश्त (Lump-sum) निवेश के जरिए इनवेस्टमेंट करने का रास्ता चुना. 

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तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं SIP

दरअसल, SIP के जरिए निवेश का ये रुझान सिर्फ नौजवानों में ही नहीं, बाकी निवेशकों में भी तेजी से बढ़ा है. NSE मार्केट पल्स में दिए आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2023 के महज एक महीने के दौरान देश में SIP के जरिए जितना इन्वेस्टमेंट हुआ, उतना तो 2014 के पूरे साल में भी नहीं हुआ था. इससे साफ है कि लोग SIP के जरिए निवेश के फायदों को तेजी से समझने लगे हैं. आइए जानते हैं कि SIP के जरिए निवेश के वो कौन से फायदे हैं, जो हर उम्र के निवेशकों को अपनी तरफ खींच रहे हैं: 

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सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के फायदे

SIP का मतलब है अपनी पसंद के म्यूचुअल फंड में हर महीने तय रकम का निवेश करना. म्यूचुअल फंड में एकमुश्त पैसे लगाने (Lump-sum Investment) की बजाय SIP के जरिए निवेश करने के कई फायदे हैं, जिनके चलते इसे लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन के सबसे बेहतर तरीकों में शामिल किया जाता है. 

मामूली रकम से निवेश की शुरुआत : SIP में बेहद छोटी रकम से भी निवेश की शुरुआत की जा सकती है. आगे चलकर आप अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें बढ़ोतरी भी कर सकते हैं. इस खूबी के कारण छोटे से छोटे निवेशक भी इसका फायदा उठा सकते हैं. 

बेहतर रिटर्न की गुंजाइश : इक्विटी फंड में निवेश शेयर मार्केट से जुड़ा होता है. लिहाजा SIP के जरिए लंबे समय तक पैसे लगाने पर बेहतर रिटर्न की गुंजाइश रहती है. जिससे लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.  

एवरेजिंग और कंपाउंडिंग का फायदा : एक साथ पैसे लगाने की बजाय लंबे समय तक हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम लगाने पर एवरेजिंग और कंपाउंडिंग - दोनों का फायदा मिलता है. इससे पूंजी पर मार्केट की उठापटक का असर कम पड़ता है. 

जोखिम का बेहतर प्रबंधन : म्यूचुअल फंड्स के जरिए लगाए गए पैसों की देख-रेख प्रोफेशनल फंड मैनेजर करते हैं. लिहाजा, छोटे आम निवेशकों के लिए सीधे शेयर बाजार में पैसे लगाने की बजाय इक्विटी फंड में SIP के जरिए निवेश करना ज्यादा सुरक्षित रहता है. 

टैक्स में छूट : SIP के जरिए निवेश अगर इक्विटी फंड में किया जाए, तो उस पर टैक्स छूट भी मिलती है. जाहिर है, इससे निवेश पर रिटर्न बढ़ जाता है. SIP के जरिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) में 1.5 लाख रुपये तक के सालाना निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. ऐसे SIP में 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता है. इतना ही नहीं, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स को 1 साल या उससे ज्यादा समय तक होल्ड करने के बाद बेचने पर हुआ 1 लाख रुपये तक का प्रॉफिट पूरी तरह टैक्स फ्री है. इससे ज्यादा मुनाफा होने पर भी महज 10% के फ्लैट रेट से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स लगता है. 

SIP की इन खूबियों के बावजूद हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शेयर बाजार में निवेश कभी पूरी तरह रिस्क फ्री नहीं होता. इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के प्रदर्शन पर भी बाजार के उतार-चढ़ाव का असर तो पड़ता ही है. इसलिए निवेश का कोई भी फैसला करते समय अपने रिस्क प्रोफाइल और निवेश के लक्ष्य को ध्यान में रखें और अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह जरूर लें.

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