अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत के GDP ग्रोथ रेट का अनुमान 6.8% से बढ़ा कर 7% कर दिया है. ये IMF के पुराने अनुमान (अप्रैल) से 20 बेसिस प्वाइंट ज्यादा है. इसके पीछे देश के ग्रामीण इलाकों में बढ़ता प्राइवेट कंजप्शन एक बड़ी वजह बताई गई है.
हालांकि रोजगार पैदा करने के नजरिए से इतनी ग्रोथ रेट बहुत काफी नहीं है, फिर भी विकसित भारत@2047 के विजन के लिए ये महत्वपूर्ण है.
अपने नए वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) में IMF ने 2024 में वैश्विक महंगाई के 6.7% से कम होकर 5.9% होने का भी अनुमान जताया है.
IMF ने कहा, 'इस साल के लिए भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान बढ़ा कर 7% कर दिया गया है. ये खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में निजी खपत बढ़ने की संभावना को दर्शाता है.'
वहीं, FY26 के लिए इसने GDP ग्रोथ रेट के अनुमान को अपने अप्रैल अनुमान की तरह 6.5% पर बरकरार रखा है. बता दें कि कैलेंडर वर्ष के आधार पर, भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान 2024 में 7.3% और 2025 में 6.5% हैं.
भारत की ग्रोथ का अनुमान अहम
भारत की बेहतर ग्रोथ की संभावनाएं इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि IMF ने ग्लोबल GDP ग्रोथ पूर्वानुमान को 3.2% पर बरकरार रखा है. पिछले ही महीने विश्व बैंक ने कहा था कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमीज में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी बना रहेगा.
चीन की ग्रोथ रेट का अनुमान भी बढ़ा
IMF ने अमेरिका और जापान के लिए ग्रोथ अनुमान कम किया है, जबकि भारत के अलावा चीन, ब्रिटेन और यूरोपियन कंट्रीज ने पॉजिटिव करेक्शन देखा है.
IMF ने चीन की ग्रोथ रेट के अनुमान में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर इसे 5% कर दिया है. इसके पीछे प्राइवेट कंजप्शन में सुधार और पहली तिमाही में मजबूत एक्सपोर्ट को कारण बताया गया है.
भारत v/s चीन: क्या काफी है ये ग्रोथ रेट?
इकोनॉमिक पॉलिसी एक्सपर्ट अविनाश चंद्र ने NDTV Profit हिंदी से बातचीत में कहा कि देश की इकोनॉमिक ग्रोथ काफी अच्छी बनी हुई है. NSO ने पिछले दिनों ग्रामीण इलाकों में जिस कंजप्शन और परचेजिंग पावर बढ़ने की ओर ध्यान दिलाया था, उसी का असर है कि भारत के लिए IMF को अपना अनुमान रिवाइज करना पड़ा.
एक थिंक टैंक से जुड़े पॉलिसी रिसर्च फेलो आनंद कुमार ने कहा, 'हालांकि एंप्लॉयमेंट जेनरेशन के लिए 7% की ग्रोथ रेट काफी नहीं होती. खासकर भारत जैसे विकासशील देशों के लिए.'
उन्होंने कहा, 'दूसरी ओर चीन 4.5% की ग्रोथ रेट के साथ भी इकोनॉमी में ज्यादा आउटपुट एड कर लेता है. विकसित देशों के लिए अपनी इकोनॉमी बरकरार रखने के लिए कम ग्रोथ रेट भी काफी होती है. ऐसे में चीन के लिए 5% की ग्रोथ रेट अहम है.'
हालांकि अविनाश चंद्र ने ये भी कहा कि भारत ने साल 2047 तक विकसित भारत का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसके हिसाब से देश की इकोनॉमी ठीक दिशा में बढ़ रही है.
अमेरिका में मंदी के संकेत?
IMF की फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर और पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने X पोस्ट में कहा कि भारत और चीन की ग्रोथ 2024 में ग्लोबल ग्रोथ का करीब आधा हिस्सा होगी. उन्होंने कहा, प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में ग्रोथ बनी हुई है, यूरोपीय क्षेत्र के लिए भी पॉजिटिव संकेत हैं, जबकि अमेरिका में एक मजबूत वर्ष के बाद मंदी के संकेत दिखाई दे रहे हैं.
एशिया बना वैश्विक विकास का इंजन
IMF के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरीनचास (Pierre-Olivier Gourinchas) का कहना है कि एशिया की इमर्जिंग मार्केट इकोनॉमीज, ग्लोबल इकोनॉमी के लिए मुख्य इंजन बनी हुई हैं.
उन्होंने कहा, 'भारत और चीन में ग्रोथ का रिवीजन ऊपर की ओर है और ये ग्लोबल ग्रोथ का करीब आधा है. हालांकि उभरते एशिया में मोमेंटम की कमी के चलते अगले पांच वर्षों के लिए संभावनाएं थोड़ी कमजोर बनी हुई हैं.'