NHAI अपने 42 रोड प्रोजेक्ट्स के लिए जरूरी जमीन का अधिग्रहण नहीं कर पाया है. इसके चलते 40,000 करोड़ रुपये के ये प्रोजेक्ट्स रुके पड़े हैं और सरकार की इंफ्रा विकास योजनाओं को तगड़ा झटका लगा है. करीब एक साल पहले 'लेटर ऑफ अवार्ड' मिलने के बावजूद ये प्रोजेक्ट्स काम शुरू होने की तारीख का इंतजार कर रहे हैं.
इस सेक्टर पर नजर रखने वाले लोगों के मुताबिक जमीन अधिग्रहण में लगने वाली इस देरी से FY25 में इन प्रोजेक्ट्स के एग्जीक्यूशन पर असर पड़ेगा. इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए जो टाइमलाइन तय की गई है, उसमें डेवलपर्स को अच्छी खासी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इससे जुर्माने के साथ-साथ प्रोजेक्ट की लागत भी बढ़ सकती है.
केयरएज रेटिंग्स के असिस्टेंट डायरेक्टर सेतु गज्जर के मुताबिक, 'नेशनल हाईवेज के कंस्ट्रक्शन की रफ्तार FY24 की तुलना में FY25 में 10% तक गिर सकती है. इसकी वजह एग्जीक्यूशन की बढ़ती चुनौतियां, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और प्रोजेक्ट मिलने के बाद काम शुरू होने की तारीख (अपॉइंटेड डेट) में देरी है.'
कंसेशन एग्रीमेंट के मुताबिक NHAI, कंसेशनायर को प्रोजेक्ट मिलने के 6-7 महीने के भीतर करीब 80% जमीन उपलब्ध कराने का वायदा करता है. हालांकि अपॉइंटेड डेट में वन अनुमतियां, मुआवजे से जुड़े मुद्दों के चलते कई बार देरी होती है. अगर एक साल से ज्यादा की देरी होती है, तो डेवलपर और अथॉरिटी आपसी सहमति से प्रोजेक्ट की टाइमलाइन बढ़ाने या प्रोजेक्ट को रद्द करने पर करार कर सकते हैं.
इन प्रोजेक्ट्स को 'लेटर ऑफ अपॉइंमेंट' के एक साल बाद भी अपॉइंटेड डेट नहीं मिली है:
4/6 लेन वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे
नेशनल हाईवे 748A का बेलगाम-हुंगुंड-रायचूर सेक्शन (हैदराबाद-पणजी इकोनॉमिक कॉरिडोर) (इस पैकेज में कुछ जगहों पर LoA मिलने के 1.5 साल बाद अपॉइंटेड डेट मिली है)
बेंगलुरु-विजयवाड़ा एक्सप्रेसवे
NH-275 का मैसूर-कुशलनगर सेक्शन
6-लेन एक्सेस कंट्रोल्ड लुधियाना-बठिंडा ग्रीनफील्ड हाईवे
NH-163G हाईवे का फोर लेन एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड हाईवे सेक्शन (खम्मम-विजयवाड़ा)
NH163G का फोर लेन एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड हाईवे सेक्शन (वारंगल-खम्मम)
फोर लेन एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड हाईवे सेक्शन (मंचरियल-वारंगल)
उमागांव-सहरसा कॉरिडोर
कागजों पर देखें तो इन प्रोजेक्ट्स के मुख्य प्रायोजकों की ऑर्डर बुक अच्छी नजर आती है, लेकिन इन प्रोजेक्ट्स का एग्जीक्यूशन मुश्किल है, जिससे टॉप लाइन दबाव में आती है. बीते 4-5 साल में 50-55% प्रोजेक्ट्स HAM कैटेगरी के तहत अवार्ड किए गए हैं. लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि अपना कर्ज कम करने के लिए NHAI इस साल की शुरुआत में BOT Toll लेकर आई थी, अब फोकस इसी पर केंद्रित होगा.