लीज वाले विदेशी विमानों की होगी कड़ी निगरानी! DGCA ने बताया- क्‍यों जरूरी है सख्‍ती; FTOs के स्‍पेशल ऑडिट का भी आदेश

DGCA देश में पायलट की ट्रेनिंग देने वाले संस्‍थानों (FTO) पर भी सख्‍त है. इसने FTOs के स्‍पेशल ऑडिट का आदेश दिया है.

Source: NDTV Profit Hindi

एविएशन रेगुलेटर DGCA ने भारतीय एयलाइंस की ओर से ऑपरेट किए जा रहे वेट-लीज्ड फ्लाइट्स की मॉनिटरिंग के लिए सख्ती करने का प्रस्‍ताव रखा है.

DGCA का मानना है कि वेट लीज ऑपरेशन की सिक्योरिटी मॉनिटरिंग के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को मजबूत करना जरूरी है.

इसलिए इस संबंध में संशोधित सिविल एविएशन रिक्‍वायरमेंट्स (CAR) पर एक ड्राफ्ट जारी किया है और लोगों से राय मांगी गई है.

क्‍यों जरूरी है गहन मॉनिटरिंग? 

दरअसल, इंजन ऑर सप्लाई चेन से जुड़ी समस्याओं के चलते बड़ी संख्या में फ्लाइट्स ग्राउंडेड हैं और घरेलू एयरलाइन कंपनियां बढ़ती एयर ट्रैफिक डिमांड पूरी करने के लिए ज्यादा संख्या में वेट-लीज्ड एयरक्राफ्ट्स का इस्तेमाल कर रही हैं. शॉर्ट टर्म उपाय के तौर पर एयरलाइंस ये कदम उठा रही हैं.

ऐसे में DGCA चाहता है कि ऐसे विमानों की निगरानी भी पूरी तरह उसके हाथ में आए, जो कि अभी काफी हद तक विदेशी रेगुलेटर के अधीन है.

वेट-लीज और वेट-लीज्‍ड फ्लाइट्स

कोई भारतीय एयरलाइन वेट-लीज पर फ्लाइट्स लेती है तो

  • इसमें विदेशी फ्लाइट के साथ, क्रू मेंबर्स, मेंटेनेंस और इंश्‍योरेंस भी शामिल होता है.

  • ये फ्लाइट्स भी विदेशी ऑपरेटर (जिसने पट्टे पर दिया) के ऑपरेटिंग कंट्रोल में होते हैं.

  • सा‍थ ही संबंधित देश के सिविल एविएशन अथॉरिटी के नियमों के तहत होते हैं.

  • ऐसे ऑपरेशंस की सिक्योरिटी मॉनिटरिंग भी विदेशी अथॉरिटी के अधिकार क्षेत्र में होते हैं.

  • वहीं भारतीय एयरलाइंस की भूमिका ऑपरेशन के कमर्शियल विषयों तक सीमित होती है.

कौन-से बदलाव लागू हो सकते हैं?

DGCA ने गुरुवार को एक रिलीज जारी कर बताया, 'ड्राफ्ट CAR में प्रस्तावित एडवांस्ड रेगुलेटरी फ्रेमवर्क और बदलावों में केवल विश्वसनीय सिक्‍योरिटी मॉनिटरिंग वाले देशों से ही वेट लीज को प्रतिबंधित करना शामिल है. साथ ही ऐसे संचालनों पर DGCA सर्विलांस को लागू करना शामिल है.'

प्रस्ताव के मुताबिक,

  • किसी फ्लाइट को केवल उन ICAO कॉन्‍ट्रैक्टिंग स्‍टेट्स से लीज पर दिया जा सकता है, जिनका पर्सनल लाइसेसिंग, उड़ान योग्यता और ऑपरेशन के क्षेत्रों में औसत प्रभावी कार्यान्वयन स्कोर (Average Effective Implementation Score) 80% या उससे अधिक (प्रत्येक क्षेत्र में न्यूनतम 70% के साथ) है.

  • ये स्‍कोर ICAO यूनिवर्सल सेफ्टी ओवरसाइट ऑडिट प्रोग्राम (USOP) के लेटेस्‍ट रिजल्‍ट्स के अनुसार होना चाहिए. साथ ही पट्टेदार के पास ICAO USOP के तहत कोई सक्रिय महत्वपूर्ण सुरक्षा चिंता नहीं होनी चाहिए.

  • अन्य प्रस्तावित बदलावों में सुरक्षा घटनाओं की रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के साथ-साथ DGCA को उड़ान डेटा और अन्य जरूरी सेफ्टी इंफॉर्मेशन प्रस्तुत करने के प्रावधान शामिल हैं.

  • ड्राफ्ट CAR के अनुसार, 'भारतीय ऑपरेटर को अपने खुद के विमान संचालन के लिए DGCA की नीति और प्रक्रियाओं के अनुसार, संचालन में लगे विदेशी क्रू मेंबर्स और कर्मियों की ब्रेथ एनालाइजर जांच का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा.'

  • साथ ही, DGCA इंस्‍पेक्‍टर्स की पहुंच, ऐसे ऑपरेशन के दौरान किसी भी समय फ्लाइट के फिजिकल इंस्‍पेक्‍शन के लिए सारे रिकॉर्ड तक होनी चाहिए.

रिलीज में कहा गया है, 'DGCA की ओर से निगरानी के लिए ऐसे लीज की अवधि को मौजूदा 3 महीने (अगले 3 महीने के एक्‍सटेंशन) से बढ़ाकर 6 महीने (अगले 6 महीने के एक्‍सटेंशन) कर दिया गया है.' यानी 3+3 महीने के मॉडल की जगह 6+6 महीने का मॉडल लागू किया जा सकता है.

FTO पर भी सख्‍त DGCA, होगा स्‍पेशल ऑडिट

प्रशिक्षण विमानों से जुड़ी हाल की दुर्घटनाओं एविएशन रेगुलेटर DGCA देश में फ्लाइट की ट्रेनिंग देने वाले संस्‍थानों (FTO) पर भी सख्‍त है. इसने FTOs के स्‍पेशल ऑडिट का आदेश दिया है.

  • सितंबर से नवंबर के बीच 3 चरणों में स्‍पेशल ऑडिट किया जाएगा. इसमें 33 FTOs शामिल होंगे. इससे पहले, ऐसा विशेष ऑडिट 2022 में किया गया था.

  • ऑडिट के तहत फ्लाइट मेंटेनेंस, उड़ान योग्यता और ट्रेनिंग ऑपरेशन समेत DGCA के रेगुलेटरी स्‍टैंडर्ड्स के अनुपालन की जांच की जाएगी.

डायरेक्‍टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने गुरुवार को बयान में कहा, 'इस ऑडिट का उद्देश्य उड़ान प्रशिक्षण संगठनों (FTOs) के भीतर सेफ्टी स्‍टैंडर्ड्स, ऑपरेशन प्रोसेस और सिस्‍टमेटिक कमियों का आकलन करना है, ताकि उच्च स्तर की सुरक्षा और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके.'

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