NDA और I.N.D.I.A से मायावती का किनारा, बोलीं- अकेले चुनाव लड़ेगी BSP

BSP प्रमुख मायावती ने इस संबंध में एक के बाद, 4 पोस्‍ट किए.

Source: X@mayawati

BSP प्रमुख मायावती ने कहा है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी.

हालिया राजनीतिक परिदृश्‍य में मुख्य मुकाबला BJP की अगुवाई वाली NDA और कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन I.N.D.I.A के बीच होता दिख रहा है. लेकिन मायावती ने दोनों ही गठबंधनों से किनारा करते हुए कहा है कि पार्टी किसी गठबंधन का हिस्‍सा नहीं बनेगी. 

BSP प्रमुख मायावती ने इस संबंध में एक के बाद एक 4 पोस्‍ट किए. माइक्रोब्‍लॉगिंग साइट X पर किए गए पोस्‍ट में उन्‍होंने NDA और I.N.D.I.A, दोनों ही गठबंधन में शामिल पार्टियों को गरीब-विरोधी, जातिवादी, साम्प्रदायिक, धन्नासेठ-समर्थक और पूंजीवादी नीतियों वाला बताया है. 

मायावती बोलीं- बार-बार भ्रांति न फैलाएं

मायावती ने अपनी पोस्‍ट में मीडिया से भी बेवजह के आकलन से बचने की अपील की है. उन्‍होंने कहा, BSP विरोधियों के जुगाड़, जोड़-तोड़ से ज्यादा समाज के टूटे-बिखरे हुए करोड़ों उपेक्षितों को आपसी भाईचारा के आधार पर जोड़कर अकेले चुनाव लड़ेगी. मीडिया बार-बार भ्रान्ति न फैलाए. मीडिया से अपील- नो फेक न्यूज प्लीज.' 

'मिल जाए तो ठीक वरना अंगूर खट्टे हैं'

अपने तीसरे ट्वीट में मायावती ने कहा कि वैसे तो BSP से गठबंधन के लिए सभी आतुर हैं, लेकिन ऐसा न करने पर विपक्षी, खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह BJP से मिलीभगत का आरोप लगाते हैं. इनसे मिल जाएं तो सेक्युलर, न मिलें तो भाजपाई. ये रवैया 'अंगूर मिल जाए तो ठीक वरना अंगूर खट्टे हैं' की कहावत जैसा है.

X@mayawati

मायावती ने चौथे ट्वीट में कहा, इसके अलावा, BSP से निकाले जाने पर सहारनपुर के पूर्व विधायक कांग्रेस और उसके शीर्ष नेताओं की प्रशंसा में व्यस्त हैं, जिससे लोगों में ये सवाल स्वाभाविक है कि उन्होंने पहले ये पार्टी छोड़ी क्यों और फिर दूसरी पार्टी में गए ही क्यों? ऐसे लोगों पर जनता कैसे भरोसा करे?

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि मायावती की पार्टी BSP उत्तर प्रदेश की प्रमुख पार्टी है, लेकिन देश के कई राज्‍यों में इसका हस्‍तक्षेप रहता है. उत्तर प्रदेश से बाहर मध्‍य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्‍थान में दोनों प्रमुख परस्‍पर विरोधी दलों में अगर किसी को स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं मिलने पर BSP के या अन्‍य निर्दलीय विजयी उम्‍मीदवारों की भूमिका अहम हो सकती है. वहीं आगामी लोकसभा चुनाव में भी BSP दहाई आंकड़ा पार करती है तो उसकी ठीक-ठाक वैल्‍यू रहेगी.

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