आखिर क्यों 91 सांसदों वाले 11 राजनीतिक दल किसी भी गठबंधन में नहीं हुए शामिल?

संसद में 91 सांसदों वाले 11 राजनीतिक दलों ने फिलहाल तटस्थ रहने का विकल्प चुना है.

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2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. देश के करीब 65 दल BJP या कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो गए हैं. वहीं, संसद में 91 सांसदों वाले 11 राजनीतिक दलों ने फिलहाल तटस्थ रहने का विकल्प चुना है.

BJP के नेतृत्व वाले NDA में अभी 39 पार्टियां शामिल हैं, वहीं इनसे मुकाबला करने के लिए कांग्रेस और 25 अन्य विपक्षी दलों ने इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (I.N.D.I.A.) बनाया है.

किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं

PTI के मुताबिक, जो पार्टियां किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, उनमें YSRCP, बीजू जनता दल, भारत राष्ट्र समिति, बहुजन समाज पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) , तेलुगु देशम पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, जनता दल (सेक्युलर), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और SAD (मान) शामिल हैं.

YSR कांग्रेस पार्टी, जिसने 2019 में आंध्र प्रदेश में चुनाव जीता था और बीजू जनता दल (BJD), जो 2000 से ओडिशा पर शासन कर रही है, दोनों ने संसद में बड़े पैमाने पर BJP के नेतृत्व वाली सरकार के पक्ष में समर्थन किया है.

2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद से तेलंगाना पर शासन कर रही भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने इस साल की शुरुआत में विपक्षी गठबंधन की संभावना तलाशने का बीड़ा उठाया था, लेकिन वो भी I.N.D.I.A. का हिस्सा नहीं है.

मायावती की BSP भी अकेली

लोकसभा में 9 सदस्य वाली BSP ने भी विपक्षी गठबंधन से बाहर रहने का फैसला किया है. उत्तर प्रदेश में चार बार सरकार बनाने वाली BSP ने घोषणा की है कि वो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अकेले ताल ठोकेगी. वहीं मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में आगामी विधानसभा चुनाव भी अकेले लड़ेगी.

मायावती ने कहा है, 'ये दोनों गठबंधन यानी NDA और परिवर्तित UPA, केंद्र की सत्ता में आने के लिए अपने-अपने दावे ठोक रहे हैं. जबकि जनता को किए गए इनके वायदे और आश्वासन सत्ता में बने रहने के दौरान अधिकांश खोखले ही साबित हुए हैं. '

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BJP के खिलाफ मुखर, पर I.N.D.I.A से बाहर

BJD सुप्रीमो और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, राज्य को पर्याप्त समर्थन नहीं देने के लिए BJP की आलोचना कर चुके हैं. उन्‍होंने पार्टी सांसदों से माॅनसून सत्र में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने को कहा है.

वहीं, विपक्षी गठबंधन से बाहर, असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली AIMIM ने कहा है कि पार्टी के साथ 'राजनीतिक अछूत' जैसा व्यवहार किया जा रहा है.

AIMIM के प्रवक्ता वारिस पठान ने कहा, 'विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे और महबूबा मुफ्ती जैसे नेता, जिन्होंने पहले BJP से हाथ मिलाया था, बेंगलुरु में सभा का हिस्सा थे.'

AIMIM की हैदराबाद और तेलंगाना के आसपास के इलाकों में अच्छी मौजूदगी है और वो महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और कर्नाटक जैसे राज्यों में विस्तार करना चाहती है.

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