'चुनाव कोई युद्ध नहीं और विरोधी, विपक्ष नहीं'; RSS प्रमुख मोहन भागवत ने दिया नैतिकता पर जोर

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा, 'चुनाव खत्म हो चुके हैं और अब ध्यान राष्ट्र निर्माण पर केंद्रित होना चाहिए.'

Source: YT Videograb

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने नागपुर में कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन कार्यक्रम में संबोधन के दौरान कई मुद्दों पर राय रखी. उन्‍होंने हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों, देश की राजनीति, राजनीतिक दलों के व्‍यवहार और जीवन-मूल्‍यों पर टिप्‍पणी की. उन्‍होंने पूर्वोत्तर भारत की स्थिति पर भी सबका ध्‍यान दिलाया.

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा, 'चुनाव खत्म हो चुके हैं और अब ध्यान राष्ट्र निर्माण पर केंद्रित होना चाहिए.' उन्होंने अपने भाषण में दोनों पक्षों (NDA और I.N.D.I.A.) के चुनावी कैंपेन के तरीकों की आलोचना की. उन्‍होंने नई सरकार और विपक्ष को सलाह भी दी, जिसमें संकेत दिया कि चुनाव और शासन दोनों के प्रति नजरिये में बदलाव होना चाहिए.

'चुनाव कोई युद्ध नहीं'

मोहन भागवत ने कहा, 'जब भी चुनाव होते हैं, मुकाबला जरूरी होता है. इस दौरान दूसरे को पीछे भी धकेलना होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है. ये मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए. इस बार चुनाव ऐसे लड़ा गया, जैसे ये युद्ध हो.'

चुनाव में एक दूसरे को लताड़ना, टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल और झूठ प्रसारित करना सही बात नहीं है. ये अनुचित आचरण है. क्योंकि चुनाव सहमति बनाने की प्रक्रिया है.
मोहन भागवत, संघ प्रमुख

उन्‍होंने कहा, 'इस बार अनावश्‍यक रूप से तकनीक का इस्‍तेमाल कर के झूठ फैलाया गया, सरासर झूठ. क्‍या तकनीक और ज्ञान का मतलब एक ही है? जिस तरह चीजें हुईं, जिस तरह से दोनों पक्षों ने कमर कस कर हमला किया, इससे विभाजन होगा. सामाजिक और मानसिक दरारें बढ़ेंगी.'

'विपक्ष को विरोधी नहीं प्रतिपक्ष कहिए'

संघ प्रमुख ने कहा, 'संसद में दो पक्ष जरूरी है. देश चलाने के लिए सहमति जरूरी है. संसद में सहमति से निर्णय लेने के लिए बहुमत का प्रयास किया जाता है, लेकिन हर स्थिति में दोनों पक्ष को मर्यादा का ध्‍यान रखना होता है. संसद में किसी प्रश्‍न के दोनों पहलू सामने आएं, इसलिए ऐसी व्‍यवस्‍था बनाई गई है.'

उन्‍होंने कहा, '‍विपक्ष को विरोधी पक्ष की जगह प्रतिपक्ष कहना चाहिए. अगर कोई आपसे सहमत नहीं है, तो उसे विरोधी कहना बंद कीजिए. विरोधी के बजाय प्रतिपक्ष कहिए.' RSS चीफ ने कहा, 'इस देश के लोग भाई भाई हैं, इस बात को हमें अपने विचारों और अपने कामों में लाना होगा.'

'काम करे, अहंकार नहीं, वही सच्‍चा सेवक'

मोहन भागवत ने कहा, 'लोगों ने अपना जनादेश दे दिया है. हर चीज उसके हिसाब से होनी चाहिए. कैसी होगी? कब होगी? इन सब में संघ नहीं जाता है. क्योंकि समाज परिवर्तन से ही व्यवस्था परिवर्तन होता है.'

उन्‍होंने कहा, 'इस बार भी हमने अपने लोकमत जागरण का काम किया है. वास्तविक सेवक मर्यादा का पालन करते हुए चलता है. अपने कर्तव्य को कुशलता पूर्वक करना आवश्यक है.' उन्‍होंने कहा, 'काम करें, लेकिन इसे मैंने करके दिखाया... इसका अहंकार हमें नहीं पालना चाहिए. जो ऐसा करता है. वही असली सेवक है.'

मणिपुर में शांति की अपील

RSS चीफ भागवत ने मणिपुर की स्थिति का जिक्र करते हुए शांति बहाली की अपील की. उन्होंने कहा- 'मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है. इससे पहले 10 साल शांत रहा और अब अचानक जो कलह वहां उपजी या उपजाई गई, उसकी आग में मणिपुर अभी तक जल रहा है. इस पर कौन ध्‍यान देगा.' उन्‍होंने कहा कि इस समस्‍या को प्राथमिकता के साथ सुलझाया जाना चाहिए.

Also Read: Modi 3.0 Cabinet: अमित शाह को फिर से गृह मंत्रालय, नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद सिपाही की ऐसी है कहानी