कनाडा ने वीजा नियमों में किया बदलाव, भारतीय छात्र कितने होंगे प्रभावित?

कनाडा ने विदेश से आने वाले छात्रों के लिए स्टूडेंट वीजा (Student Visa) की संख्या को घटाकर 3,60,000 कर दिया है. पिछले साल के मुकाबले ये 35% कम है.

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कनाडा (Canada) की ट्रूडो सरकार (Trudeau Government) ने पढ़ाई करने के लिए विदेश से आने वाले छात्रों के लिए नियमों में बदलाव किए हैं. ट्रूडो सरकार का कहना है कि देश में खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों और हाउसिंग की समस्याओं के चलते ये बदलाव किए गए हैं.

कनाडा ने विदेश से आने वाले छात्रों के लिए स्टूडेंट वीजा (Student Visa) की संख्या को घटाकर 3,60,000 कर दिया है. पिछले साल के मुकाबले ये 35% कम है. कनाडा के इमिग्रेशन डिपार्टमेंट (Immigration Department) में मंत्री मार्क मिलर (Mark Miller) ने कहा कि नीति अस्थायी है और महज 2 साल के लिए हैं.

ओटावा (Ottawa) स्थित हाई कमीशन के मुताबिक, कनाडा में विदेश से आकर पढ़ने वालों में भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा में है. फिलहाल 2.3 लाख भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ाई कर रहे हैं.

कनाडा सरकार की ओर से नीतियों में किया गया ये बदलाव भारतीय छात्रों को अमेरिका, युनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पढ़ाई के लिए जाने के लिए बाध्य करेगा .

नए प्रस्ताव के मुताबिक, पोस्ट ग्रैजुएट कर्मियों के लिए भी नई सीमा तय की गई है. इसका उद्देश्य उन्हें अपने देशों की ओर वापस लौटने में प्रेरित करना है. कभी ये परमिट कनाडा में हमेशा के लिए ठहरने का आसान तरीका माने जाते थे. नियमों में बदलाव करते हुए मास्टर्स या पोस्ट डॉक्टरेट प्रोग्राम करने वालों को 3 साल के वर्क परमिट की मंजूरी दी गई है.

विदेशी छात्रों के उन ही स्पाउस यानी जीवनसाथी को ओपन वर्क परमिट दिया गया है, जो मास्टर्स या डॉक्टरेट प्रोग्राम कर रहे हैं. ग्रैजुएट या कॉलेज के छात्रों के स्पाउस के लिए ओपन वर्क परमिट नहीं होगा.

स्टूडेंट वर्क परमिट (Student Work Permit) के लिए अब एक नए दस्तावेज की जरूरत होगी, जो अटेस्ट किया जाने वाला लेटर है. ये कनाडाई प्रांत की ओर से जारी किया जाता है, जिसमें आवेदन करने वाले को ठहरने की मंजूरी दी गई होती है.

कनाडा में भारतीय छात्र

विदेश में पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों के लिए कनाडा हॉट स्पॉट रहा है. विदेश मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, 2 लाख से ज्यादा छात्र कनाडा गए. इसके बाद अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जाने वालों की छात्रों की तादाद रही. UK और ऑस्ट्रेलिया जाने वालों की संख्या क्रमशः 50,000 और 90,000 के करीब रही.

2013 से 2022 तक, कनाडा में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों में 260% का इजाफा हुआ है. ओटावा को जारी किए गए डेटा के मुताबिक, 2021 और 2022 में एक लाख से ज्यादा भारतीय छात्र कनाडा पढ़ने गए.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के मंत्री मिलर ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारतीयों के लिए मिलने वाला ये परमिट जल्द बढ़ने वाला नहीं है.

भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में तनाव तब से और बढ़ गया है, जब से ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार से जुड़े एजेंट्स के लिप्त होने का आरोप लगाया था.

भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इन आरोपों को खारिज किया था और इन्हें पूर्वाग्रह से प्रेरित और बेहूदा बताया था.

कितना पड़ेगा प्रभाव?

विदेशों से आने वाले छात्र ही इन नए नियमों से प्रभावित नहीं होंगे. रॉयटर्स के मुताबिक, विश्वविद्यालयों को नए नियमों के चलते सालाना $16.4 बिलियन का नुकसान होगा. कई संस्थान, जो अच्छे इनफ्लो की उम्मीद जता रहे थे, उन्हें निराशा हाथ लग सकती है.

रॉयटर्स के मुताबिक, कई बिजनेस, जिनमें रेस्टोरेंट्स और रिटेल सेक्टर शामिल हैं, विदेशी छात्रों की कमी के चलते छोटे-मोटे कर्मियों की संख्या में कमी का सामना करना पड़ सकता है.

रॉयटर्स की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा में रेस्टोरेंट्स में काम करने वालों की संख्या में 1 लाख की कमी आई है और विदेशी छात्र इसमें 4.6% का योगदान देते हैं.

हालांकि, कनाडा के बैंक्स को इन नए नियमों से फायदा हुआ है. विदेश से आने वाले सभी छात्रों को 20,000 से ज्यादा कनाडाई डॉलर रखना अनिवार्य कर दिया गया है.