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विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक यात्राओं का क्या है मकसद?

राजनीतिक पार्टियां लोगों को अपने पाले में करने के लिए लगातार यात्राएं करने में जुटी हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी10:56 AM IST, 16 Sep 2023NDTV Profit हिंदी
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'एक देश, एक चुनाव' को लेकर चर्चा गर्म है. ये विचार कोई ठोस आकार ले पाता है या नहीं, ये अभी किसी को नहीं मालूम. लेकिन इतना तय है कि पूरा देश धीरे-धीरे 'चुनावी बुखार' की गिरफ्त में आता जा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले, इस साल के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है. राजनीतिक पार्टियां लोगों को अपने पाले में करने के लिए लगातार यात्राएं करने में जुटी हैं या इसकी योजना को अंतिम रूप दे रही हैं. ऐसे में इन यात्राओं पर एक नजर डालना जरूरी हो जाता है.

कहां-कहां होंगे चुनाव?

अगर सब कुछ तय वक्त पर हुआ, तो इस साल के अंत आते-आते पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज जाएगा. ये राज्य हैं- मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम. इन राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल इसी साल दिसंबर या अगले साल जनवरी में खत्म हो रहा है. यही कारण है कि सियासी पार्टियां लोकसभा चुनाव के साथ-साथ इन राज्यों पर भी पूरा फोकस रख रही हैं. लोकसभा चुनाव के लिए तो पार्टियां काफी पहले ही कमर कस चुकी हैं.

राजनीतिक यात्राओं का मकसद?

किसी बड़े चुनाव से ठीक पहले अगर राजनीतिक दलों को चुनावी यात्राओं की याद आती है, तो इसमें कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है. पार्टियों को लगता है कि बड़े पैमाने पर यात्राएं करने से लोगों में जागरुकता फैलेगी, लोग उनके साथ जुड़ेंगे और चुनाव में इन सबका फायदा मिलेगा. इन यात्राओं से पार्टियों को मतदाताओं के मन-मिजाज को टटोलने में मदद तो मिलती ही है. साथी ही 'करंट' किसके पक्ष में है, इसका भी मोटे तौर पर अनुमान लगाया जा सकता है. इसमें भी कोई दो राय नहीं कि ऐसी यात्राओं से हमारे राजनेता लोगों की बुनियादी समस्याओं और जमीनी मुद्दों को ठीक से पहचान पाते हैं.

अब कुछ ऐसी यात्राओं के बारे में संक्षेप में जान लीजिए, जो इस वक्त चर्चा में हैं. हालांकि चुनाव नजदीक आते-आते ऐसी यात्राओं की तादाद और बढ़ने वाली है.

MP में 'जन आशीर्वाद' यात्रा

वैसे तो मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनावों में भी 'जन आशीर्वाद' यात्राएं निकाली जाती रही हैं. लेकिन इस बार की यात्रा कुछ अलग हटकर है. इसके तहत कई यात्राएं होनी हैं. BJP ने प्रदेश में 10,643 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए पांच 'जन आशीर्वाद' यात्राओं की योजना बनाई है. इन यात्राओं के जरिए प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से कम से कम 211 सीटें कवर करने का लक्ष्य रखा गया है. इनकी शुरुआत 3 सितंबर को चित्रकूट से हो चुकी है. BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसकी शुरुआत की है. गौर करने वाली बात यह है कि पार्टी ने इन यात्राओं में शिवराज सिंह चौहान का चेहरा आगे नहीं रखा है. जाहिर है कि इस बार पार्टी कई कारणों से एक-एक कदम फूंक-फूंककर रखना चाहती है. इन यात्राओं का समापन होगा 25 सितंबर को, जिस दिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती है.

राजस्थान में 'परिवर्तन संकल्प यात्रा'

राजस्थान में जीत के लिए जोर लगाने की खातिर BJP 'परिवर्तन संकल्प यात्रा' निकाल रही है. इसके तहत प्रदेश में BJP चार 'परिवर्तन संकल्प यात्रा' निकाल रही है. चारों दिशाओं से इन चार यात्राओं के जरिए राजस्थान के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है. इन यात्राओं के दौरान आदिवासी, दलित, किसान, युवा और महिलाओं के लिए खास तौर पर चौपाल का आयोजन होगा. पार्टी की पूरी कोशिश होगी कि यात्राओं के जरिए लोगों को अपनी ओर खींचे और विधानसभा चुनाव में वापसी करे. बीते सप्ताह जेपी नड्डा राजस्थान के सवाई माधोपुर से 'परिवर्तन संकल्प यात्रा' को हरी झंडी दिखा चुके हैं. यात्राओं के दौरान छोटी-बड़ी कई रैलियों का आयोजन होना है.

महाराष्ट्र में कांग्रेस की 'जनसंवाद यात्रा'

वैसे तो इन दिनों BJP मध्य प्रदेश और राजस्थान में अपनी यात्राओं पर पूरा जोर लगा रही है. ऐसे में कांग्रेस महाराष्ट्र सरकार की नाकामियों को जनता के सामने रखने को आतुर है. प्रदेश सरकार की कमजोरियों को उजागर करने के बहाने केंद्र सरकार पर भी हमलावर है. दरअसल, मुंबई में विपक्षी दलों के 'इंडिया' सम्मेलन के तीन दिन बाद कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने एक सप्ताह की विशाल 'जन संवाद यात्रा' शुरू की है. कांग्रेस इसी बहाने महाराष्ट्र में अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरना चाहती है. 'जनसंवाद यात्रा' मुंबई-कोंकण, विदर्भ, पश्चिमी और उत्तरी महाराष्ट्र में एक साथ शुरू हुई. लेकिन मराठवाड़ा में यात्रा फिलहाल रोक दी गई है, क्‍योंकि वहां कोटा समर्थक आंदोलन कर रहे हैं. महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.

कांग्रेस की यात्रा

राहुल गांधी की अगुवाई में 'भारत जोड़ो' यात्रा अलग-अलग कारणों से सुर्खियों में रही थी. अब कांग्रेस देशभर के सभी जिलों में पदयात्रा निकालने जा रही है. यात्रा का तात्कालिक मकसद है राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' की पहली वर्षगांठ मनाना. पार्टी राहुल गांधी की उस यात्रा को यादगार बनना चाहती है, जिसके तहत उन्होंने देशभर में करीब  3,970 किमी की यात्रा की थी. कांग्रेस का ऐसा मानना है कि राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा ने देश की राजनीति को प्रभावित किया है. पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच संदेश देने की कोशिश कर रही है कि यात्रा की वजह से ही कर्नाटक चुनावों में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की. आगे भी लाभ के सपने दिखाए जा रहे हैं. इन यात्राओं के किसी बड़े राजनीतिक असर को लेकर कोई दावा करना अभी जल्दबाजी होगी. फिर भी उम्मीद की जानी चाहिए कि ये यात्राएं देश के गरीबों, पिछड़ों और वंचितों के जीवन-स्तर में सुधार की बयार लेकर आएं.

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