कॉमर्स मंत्रालय ने आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में इलेक्ट्रिक वाहन की अफोर्डेबिलिटी और बैटरियों की एफिशिएंसी और कैपिसिटी के बारे में चिंताओं को दूर करने की जरूरत पर जोर दिया है. इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने ये जानकारी दी है.
कॉमर्स मंत्रालय का मानना है कि EV इंफ्रा, बैटरी बनाने की क्षमता से जुड़ी आशंकाओं को दूर करना चाहिए.
सूत्रों ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि मंत्रालय ने आगामी बजट के लिए इस क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए इसे एक बड़े फोकस के रूप में उजागर किया है. सूत्रों के मुताबिक, वाणिज्य मंत्री का मानना है कि घरेलू इंडस्ट्री क्षमता और खपत बढ़ने के लिए तैयार है. मंत्रालय का मानना है कि एक्सपोर्ट के लिए क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है.
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सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय इन मांगों को भारत को वैश्विक EV हब के रूप में स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण मानता है. कुछ मांगें विचाराधीन हैं और बजट के करीब ही उन पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
इस साल के बजट से पहले, EV इंडस्ट्री ने इस क्षेत्र के लिए 'इंफ्रास्ट्रक्चर' का दर्जा देने की मांग की है, साथ ही EV और संबंधित चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग फ्रेमवर्क के तहत लाने की मांग की है.
हालांकि, पिछले सप्ताह केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि EV इंडस्ट्री को अब अतिरिक्त सब्सिडी या प्रोत्साहन की आवश्यकता नहीं है, जिसका अर्थ है कि इस क्षेत्र को संभावित बढ़ावा डायरेक्ट मोनेटरी बेनिफिट्स के रूप में नहीं मिल सकता है.
सरकार ने अपनी मौजूदा EV स्कीम को, जो शुरू में मार्च 2022 में समाप्त होने वाली थी, 31 जुलाई 2024 तक बढ़ा दिया था. सरकार ने कहा है कि किसी नई सब्सिडी की आवश्यकता नहीं है.