बैंकिंग सेक्टर के लिए अच्छी खबर है. फिच ने एक रिपोर्ट में कहा कि बैंकों की बीते 3 साल की बैलेंस शीट में सुधार के चलते और कोविड जोखिमों के लगभग खत्म होने के साथ ही अब भारतीय बैंकों के प्रदर्शन में आगे लगातार सुधार होगा.
फिच रेटिंग्स ने जारी रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय प्रदर्शन में हो रहा लगातार सुधार बैंकिंग सेक्टर के आंतरिक रिस्क प्रोफाइल के लिए अच्छा है.
बैड लोन (impaired-loan) में कमी
फिच ने एसेट क्वालिटी पर बात करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2021 के पहले 9 महीने के दौरान बैंकों का बैंड लोन (इम्पेयर्ड लोन रेशियो) वित्त वर्ष 2022 की इसी अवधि के 6% से घटकर 4.5% पर आ गया है. ये अनुपात फिच रेटिंग्स के 60 बेसिस प्वाइंट्स (60bps) से कम है. फिच को वित्त वर्ष 2023 तक और सुधार की उम्मीद है.
क्रेडिट कॉस्ट में कमी और नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) में सुधार
फिच के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 में 9 मई 2023(9MFY23) में क्रेडिट कॉस्ट में 0.95% की गिरावट आई है, जो वित्त वर्ष 2022 में 1.26% थी. वित्त वर्ष 2022-23 में एसेट पर रिटर्न में सुधार के लिए कम क्रेडिट लागत प्राथमिक कारक था. जो फिच के वित्त वर्ष 2023 के 0.9% के अनुमान से आगे निकल गया. वहीं आय को उम्मीद से अधिक लोन ग्रोथ और शुद्ध ब्याज मार्जिन में सुधार से भी फायदा हुआ.
बैंकों के प्रदर्शन में तेजी दिखी
फिच का मानना है कि बैंकों के प्रदर्शन में और तेजी आई है और ये हमारी शुरुआती उम्मीद से अधिक समय तक बना रह सकता है, क्योंकि कोविड-19 महामारी से संबंधित जोखिम काफी हद तक खत्म हो चुके हैं और बीते तीन सालों में बैंकों की बैलेंस शीट में लगातार सुधार हुआ है. इसके साथ बैंकों के नए NPA में कमी आई है और लोन में रिकवरी दिखी है.
फिच ने रिपोर्ट में कहा है कि सरकारी बैंकों की तुलना में निजी बैंक ज्यादा बेहतर दिख रहे हैं. सरकारी बैंकों का बैड लोन अनुपात निजी बैंकों के अनुपात से ज्यादा है, जो दिखाता है कि निजी बैंक आगे भी इसी तरह का प्रदर्शन जारी रखेंगे.
इसके साथ ही उम्मीद से बेहतर लोन ग्रोथ और बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन में सुधार के चलते बैंकों को आगे भी बेहतर कमाई हो सकती है.