RBI के क्रेडिट रिस्क वेटेज बढ़ाने से बैंकों की लोन ग्रोथ पर होगा असर: S&P ग्लोबल

कैपिटल एडिक्वेसी और मुनाफे पर कुछ असर के साथ साथ उधार लेने वालों के लिए ब्याज दरों में तुरंत बढ़ोतरी की संभावना जरूर हो सकती है.

Source: Reuters

रिजर्व बैंक के क्रेडिट रिस्क वेटेज (Credit Risk Weight) बढ़ाने का बैंकों और NBFCs पर किस तरह से असर होगा, इसे लेकर S&P ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) का कहना है कि इससे बैंकों की लोन ग्रोथ पर चोट पहुंचेगी, खासतौर पर NBFCs की, साथ ही उन्हें ब्याज दरें भी बढ़ानी पड़ सकती हैं.

S&P ग्लोबल की रिपोर्ट

S&P ग्लोबल में क्रेडिट एनालिस्ट गीता चुघ का कहना है कि धीमी लोन ग्रोथ और रिस्क मैनेजमेंट पर बढ़ा हुआ जोर भारतीय बैंकिंग सिस्टम में एसेट क्वालिटी को सहारा देगा. हालांकि इन बदलावों का बैंकों और NBFCs के रिस्क एडजस्टेड कैपिटल रेश्यो पर तुरंत किसी तरह का असर नहीं होता दिखेगा, कैपिटल एडिक्वेसी और मुनाफे पर कुछ असर के साथ साथ उधार लेने वालों के लिए ब्याज दरों में तुरंत बढ़ोतरी की संभावना जरूर हो सकती है.

RBI ने बढ़ाया रिस्क वेटेज, क्या होगा असर?

गुरुवार को RBI ने अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड और NBFCs को दिए जाने वाले लोन पर क्रेडिट रिस्क वेटेज को तत्काल प्रभाव से 25 bps बढ़ाकर 125% कर दिया है, इसका असर ये होगा कि बैंकों को अब ऊंची दरों पर लोन देना होगा और ज्यादा से ज्यादा पूंजी जुटानी होगी.

S&P ग्लोबल का अनुमान है कि बैंकों का कोर या टियर-1 कैपिटल एडिक्वेसी करीब 60 bps गिर सकता है. फाइनेंस कंपनियों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा, क्योंकि उनकी इंक्रिमेंटल बैंक बॉरोइंग कॉस्ट, यानी उधार की लागत कैपिटल एडिक्वेसी के प्रभाव की वजह से बढ़ जाएगी.

S&P ग्लोबल रेटिंग्स का कहना है 'RBI की ओर से एक 'विवेकपूर्ण' कदम गवर्नर शक्तिकांत दास के अनसिक्योर्ड लोन पोर्टफोलियो को लेकर दी गई चेतावनी के एक महीने बाद आया है. बैंकों और NBFCs के अलावा, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी कंपनियों का एक्सपोजर इन लोन में काफी ज्यादा है, क्योंकि उनका करीब 80% पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड है.'

बड़े बैंकों पर ज्यादा असर नहीं

हालांकि रिजर्व बैंक के इस नए रेगुलेशन का बड़े बैंकों पर उतना असर नहीं होगा, S&P ग्लोबल के मुताबिक बड़े बैंक अपने मजबूत पूंजी बफर और अनसिक्योर्ड पोर्टफोलियो में एक संतुलित एक्सपोजर रखने की वजह से क्रेडिट रिस्क वेटेज में बढ़ोतरी से पैदा हुए जोखिमों को रोक सकते हैं.

S&P ग्लोबल के मुताबिक - इन बदलावों का हमारी भारतीय फाइनेंशियल सेक्टर की रेटिंग पर कोई तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा. हम विश्व स्तर पर तर्कयुक्त रिस्क वेटेज लागू करते हैं जो अंडरलाइंग एसेट्स क्लास पर रिस्क पर हमारे आउटलुक को दर्शाते हैं. भारतीय बैंकों और फाइनेंशियल कंपनियों के अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन के लिए, हम पहले से ही 121% का हाई रिस्क वेटेज लागू करते हैं.

NBFCs के लिए बैंकों से उधारी उनके लिए फंडिंग का सबसे बड़ा स्रोत है, मार्च 31 तक कुल उधारी में से ये हिस्सा 41.2% था. क्रेडिट रिस्क वेटेज बढ़ने से उधारी की लागत भी बढ़ जाएगी, और इसका सीधा असर ये होगा कि आगे बांटने के लिए लोन भी महंगे हो जाएंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि NBFCs के लिए बैंक लोन की लागत धीरे-धीरे बढ़ेगी. इसके बाद NBFCs इस लागत को अपने ग्राहकों-उधारकर्ताओं पर डालेगी, अगर वो ऐसा नहीं कर पाती है तो इसका सीधा असर उसके मुनाफे पर पड़ेगा.