TCS में छंटनी, 12,000 कर्मचारियों पर पड़ सकता है असर, AI बना बड़ी चुनौती!

कंपनी ने साफ किया कि ये छंटनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) या लागत में कटौती के कारण नहीं हो रही है, बल्कि कंपनी को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए एक स्ट्रैटेजिक कदम है

Source: Facebook/TCS

भारत की सबसे बड़ी IT कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, जो TCS के नाम से जानी जाती है, ने हाल ही में एक बड़ी छंटनी की घोषणा की है, जिससे IT उद्योग में हड़कंप मच गया है. कंपनी अपने ग्लोबल वर्कफोर्स में लगभग 2% यानी 12,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रही है. ये TCS के इतिहास की सबसे बड़ी छंटनी मानी जा रही है और इसका मुख्य असर मिडिल और सीनियर स्तर पर मैनेजमेंट पर पड़ेगा.

छंटनी का कारण

TCS के CEO के. कृतिवासन ने इस फैसले को 'अपने करियर के सबसे कठिन फैसलों में से एक बताया है'. हालांकि उन्होंने साफ किया कि ये छंटनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) या लागत में कटौती के कारण नहीं हो रही है, बल्कि कंपनी को भविष्य के लिए तैयार और अधिक फ्लैक्सिबल बनाने के लिए एक स्ट्रैटेजिक कदम है. उनका कहना है कि नई तकनीकों, विशेष रूप से AI, और ऑपरेटिंग मॉडल में बदलाव के कारण काम करने के तरीके बदल रहे हैं.

ये कदम कंपनी के "प्रोजेक्ट फ्लुइडिटी" पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य फ्लैक्सिबिलिटी बढ़ाना और AI आधारित बदलाव के लिए तैयार रहना है. कंपनी का मानना है कि कुछ भूमिकाओं में अब कर्मचारियों को फिर से तैनात करना संभव नहीं है, भले ही उन्होंने कर्मचारी विकास और करियर के अवसरों में महत्वपूर्ण निवेश किया हो.

प्रभावित होने वाले कर्मचारी

छंटनी में मुख्य रूप से वे कर्मचारी प्रभावित होंगे जिनके पास एक दशक से अधिक का अनुभव है और जो मध्य और वरिष्ठ स्तर पर कार्यरत हैं. ये छंटनी वित्तीय वर्ष 2026 यानी अप्रैल 2025 से मार्च 2026 के बीच होगी.

TCS ने प्रभावित कर्मचारियों को समर्थन देने का आश्वासन दिया है. इसमें नोटिस पीरियड का वेतन, अतिरिक्त विच्छेद लाभ (severance benefits), विस्तारित बीमा कवरेज और आगे करियर को लेकर सुझाव शामिल हैं. कंपनी ने ये भी कहा है कि इस बदलाव को सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है ताकि ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं पर कोई असर न पड़े.

इस छंटनी की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब कुछ TCS कर्मचारियों ने कंपनी की संशोधित "बेंच पॉलिसी" के खिलाफ कानूनी शिकायतें दर्ज की हैं. नई नीति के तहत, कर्मचारियों को प्रति वर्ष कम से कम 225 बिल योग्य दिन (billable days) पूरे करने होंगे, और बिना किसी प्रोजेक्ट के रहने की अधिकतम अवधि 35 दिन तय की गई है। इस सीमा से अधिक होने पर नौकरी छूट सकती है, और अनुभव पत्र से भी इनकार किया जा सकता है.

यह छंटनी भारतीय IT क्षेत्र में बदलावों की ओर इशारा करती है, जहां स्थिर करियर की जगह अब स्किल डेवलपमेंट और लगातार मार्जिन दबाव बना रहे हैं. कुछ जानकारों का मानना है कि यह AI और ऑटोमेशन के कारण नौकरी छूटने की वास्तविकता को भी दर्शाता है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है और वेतन कम हो सकते हैं।

ये देखना होगा कि TCS का ये कदम भारत की दूसरी IT फर्मों को कैसे प्रभावित करता है और क्या वे भी इसी तरह के कर्मचारियों की रीस्ट्रक्चर करेंगी.