सर्विसेज सेक्टर के ग्रोथ की रफ्तार पड़ी धीमी, एक साल में सबसे कम PMI

कंपोजिट PMI भी अक्टूबर में 58.4 से घटकर नवंबर में 57.4 पर पहुंच गई जो एक साल में सबसे कम है. डेटा में दिखता है कि नए ऑर्डर और आउटपुट दोनों की ग्रोथ की रफ्तार सुस्त हुई है.

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भारत का सर्विसेज सेक्टर नवंबर में एक साल की सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ा है. एक निजी सर्वे में दिखा कि आउटपुट और नए कारोबार में गिरावट आई. नवंबर में ये गिरकर 56.9 पर पहुंच गया जो एक साल का सबसे निचला स्तर है. अक्टूबर में ये 58.4 रहा था.

नए ऑर्डर की रफ्तार घटी

कंपोजिट PMI भी अक्टूबर में 58.4 से घटकर नवंबर में 57.4 पर पहुंच गई जो एक साल में सबसे कम है. डेटा में दिखता है कि नए ऑर्डर और आउटपुट दोनों की ग्रोथ की रफ्तार सुस्त हुई है.

फाइनेंस और इंश्योरेंस रैंकिंग में सबसे ऊपर रहे. वहीं रियल एस्टेट और बिजनेस सर्विसेज सबसे आखिर में हैं. भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय डिमांड बढ़ी है. वहीं कुल नए ऑर्डर की ग्रोथ धीमी पड़ी है. सर्वे के मुताबिक नए एक्सपोर्ट ऑर्डर में बढ़ोतरी जून के बाद सबसे कम रही.

क्या हैं ग्रोथ घटने की वजहें?

सर्विसेज कंपनियों के ऑपरेटिंग खर्चों में इजाफा हुआ. लेबर, खाना, मैटेरियल और परिवहन के खर्च अक्टूबर के बाद बढ़ रहे हैं. हालांकि कुल महंगाई घटकर आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है.

डेटा से पता चलता है कि महंगाई बढ़ने की आशंका से नवंबर में बुरा असर पड़ा. हालांकि सर्विसेज कंपनियों को आने वाले साल में एक्टिविटी में ग्रोथ और डिमांड बेहतर रहने की उम्मीद है. नवंबर के दौरान नेट एंप्लॉयमेंट बढ़ी है. लेकिन बढ़ोतरी की रफ्तार धीमी और अप्रैल के बाद सबसे कमजोर रही.

वहीं, भारत की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में नवंबर के दौरान बढ़ोतरी देखने को मिली है. इससे पहले ये अक्टूबर में गिरकर आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया. इनपुट कॉस्ट पर बेस्ड महंगाई गिरकर 40 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई. S&P ग्लोबल के मुताबिक भारत का मैन्युफैक्चरिंग पर्चेंजिंग मैनेजर्स इंडेक्स अक्टूबर में 55.5 से बढ़कर नवंबर में 56 पर रहा है.

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