RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव, रेपो रेट 6.5% पर बरकरार

रिजर्व बैंक ने बीती दो पॉलिसीज में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था.

Source: Reuters

RBI Monetary Policy: रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया है. मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक में रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखने का फैसला किया गया है. रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि कमिटी के सभी 6 सदस्यों ने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है.

अकोमोडेशन रुख को वापस लेने के फैसले पर रिजर्व बैंक कायम है. रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि ग्रोथ को बनाए रखने के लिए 6 में से 5 सदस्यों ने अकोमोडेशन की वापसी रुख (withdrawal of accommodation) को लेकर अपनी सहमति जताई.

रेपो रेट के साथ ही स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) रेट को 6.25% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट को भी बिना बदलाव के 6.75% पर रखा गया है.

महंगाई के मोर्चे पर अब भी चुनौती

शक्तिकांता दास ने कहा कि भारत की इकोनॉमी तेजी से आगे बढ़ रही है. महंगाई के मोर्चे पर रिजर्व बैंक की चिंता अब भी बरकरार है. दास ने कहा कि हेडलाइन महंगाई जो कि मई में 4.3% तक गिर गई थी, जून में एक बार फिर बढ़ गई. सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते जुलाई-अगस्त के दौरान महंगाई में और बढ़ोतरी का अनुमान है. ये घटनाएं महंगाई दर पर कड़ी निगरानी की मांग करती हैं. घरेलू आर्थिक गतिविधियां बेहतर कर रही हैं. इन सभी को देखते हुए मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने उभरती स्थितियों पर नजर रखने का फैसला किया है.

रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि MPC 4% महंगाई दर को हासिल को करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि मॉनिटीर ट्रांसमिशन अभी चल रहा है, इसलिए MPC ने अकोमोडेशन की वापसी को जारी रखने पर अपना फोकस बनाए रखा है

FY24 में बढ़ाया महंगाई का अनुमान

मॉनिटरी पॉलिसी के फैसलों का ऐलान करते हुए RBI गवर्नर ने बताया कि FY24 में CPI 5.4% रहने का अनुमान है, जो कि पिछली बार के 5.1% के अनुमान से ज्यादा है, पिछली बार रिजर्व बैंक ने FY24 में CPI 5.2% से घटकर 5.1% रहने का अनुमान जताया था. लेकिन इस बार बढ़ा दिया. दूसरी तिमाही में जहां पहले रिजर्व बैंक का CPI को लेकर अनुमान 5.2% का था, इस बार ये 6.2% रहने का अनुमान है. तीसरी तिमाही में 5.4% था, इस बार अनुमान को बढ़ाकर 5.7% कर दिया है. हालांकि चौथी तिमाही का अनुमान नहीं बदला है.

शक्तिकांता दास ने कहा कि मॉनिटरी पॉलिसी इंस्ट्रूमेंट्स को लागू करने के लिए हमें अपनी नजर को 'अर्जुन की आंख' से भी तेज करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि महंगाई को महज टारगेट बैंड में लाना काफी नहीं होगा, खाद्य महंगाई की वजह से महंगाई के लक्ष्य को हासिल करने में दिक्कतें है. लेकिन हमारा जोर रिटेल महंगाई को 4% के लक्ष्य के अंदर रखने पर है.

GDP ग्रोथ पर रिजर्व बैंक का अनुमान

ग्रोथ को लेकर रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि 2022-23 में रबी की फसल ऊंचे उत्पादन और अनुमान के मुताबिक सामान्य मानसून और सेवाओं में निरंतर उछाल से चालू वर्ष में निजी खपत और ओवरऑल आर्थिक गतिविधियों को सपोर्ट मिलना चाहिए. हालांकि, कमजोर एक्स्टर्नल डिमांड और लंबे समय तक चलने वाले जियो पॉलिटिकल तनाव आउटलुक के लिए खतरा पैदा करते हैं-

  • वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगातार कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वैश्विक अर्थव्यवस्था ऊंची महंगाई दर, ऊंचे कर्ज और स्थिर वित्तीय स्थितियों का सामना कर रही है

  • चालू कैलेंडर वर्ष, आने वाले वर्षों में ग्लोबल ग्रोथ कम रहने की संभावना है, हालांकि भारत इन दबावों को दूसरों की तुलना में बेहतर ढंग से झेल सकता है.

FY24 में रियल GDP ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान

RBI गवर्नर ने भारत की GDP ग्रोथ नया अनुमान भी जारी किया. Q1FY25 के लिए रियल GDP 6.6% रहने का अनुमान है, जबकि FY24 में रियल GDP ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान है.

जिसमें पहली तिमाही में 8%, दूसरी तिमाही में 6.5%, तीसरी तिमाही में 6% और चौथी तिमाही में 5.7% ग्रोथ रहने का अनुमान है.

RBI ने पॉलिसी में फाइनेंशियल सिस्टम को उभरती चुनौतियों से बचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई. इस दौरान उन्होंने बताया कि

  • भारत का चालू खाता घाटा (CAD) FY23 में GDP का 2% रहा

  • इस वित्त वर्ष में भी चालू खाता घाटा काबू में रहने की उम्मीद

  • 8 अगस्त तक भारत में $20.1 बिलियन का FPI निवेश, FY15 के बाद सबसे ज्यादा

  • ग्लोबल स्लोडाउन की वजह से नेट FDI फ्लो में गिरावट

  • रुपया इस साल काफी स्थिर, फॉरेक्स रिजर्व $600 बिलियन के ऊपर

अतिरिक्त लिक्विडिटी पर बड़ा फैसला

इन सबके अलावा रिजर्व बैंक ने एक और बड़ा फैसला किया है, बैंकों को NDTL (net demand and time liability) में अतिरिक्त 10% इंक्रिमेंटल CRR रखना होगा. रिजर्व बैंक का कहना है कि जरूरत से ज्यादा लिक्विडिटी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के लिए खतरा है, इसलिए लिक्विडिटी को कम करने के लिए ये फैसला किया गया है. रिजर्व बैंक के फैसले के मुताबिक 12 अगस्त से, बैंक 19 मई से 28 जुलाई के बीच अपनी NDTL में बढ़ोतरी पर 10% का इंक्रिमेंटल CRR मेनटेन रखेंगे.