खाड़ी देशों के लिए विमान किराया कम करने से हो सकता है कानूनी विवाद : सरकार

खाड़ी मार्ग पर भारतीय विमानन कंपनियों द्वारा कम हवाई किराये की पेशकश से पक्षपाती कीमत की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और इस पर विदेशी कंपनियां कानूनी रास्ता अपना सकती हैं. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यह बात कही है.

प्रतीकात्मक चित्र

खाड़ी मार्ग पर भारतीय विमानन कंपनियों द्वारा कम हवाई किराये की पेशकश से पक्षपाती कीमत की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और इस पर विदेशी कंपनियां कानूनी रास्ता अपना सकती हैं. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यह बात कही है.

मंत्रालय ने यह विचार विभाग से संबद्ध संसदीय समिति के समक्ष रखा है. समिति ने खाड़ी क्षेत्र में उच्च किराया भाड़ा को लेकर चिंता के बीच बाजार 'खराब' करने वाले हवाई किराये से लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कदमों के बारे में जानकारी मांगी थी.

मंत्रालय के जवाब से असंतुष्ट समिति ने मंत्रालय से कहा कि भारत के मामले की अन्य देशों से तुलना नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि जब कोई विशिष्ट मामला होता है तो उसके हल के लिए परिस्थिति के मुताबिक विशिष्ट समाधान की जरूरत है. हवाई किराये में तीव्र उतार-चढ़ाव लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है और सांसदों समेत विभिन्न तबकों ने इसको लेकर चिंता चिंता जताई तथा कीमतों में उतार-चढ़ाव पर अंकुश लगाने के लिए व्यवस्था करने को कहा.

समिति को दिए जवाब में मंत्रालय ने कहा कि विमान नियम 1957 के तहत प्रत्येक एयरलाइन को परिचालन लागत और सेवाओं की विशेषताओं समेत अन्य कारकों के आधार पर शुल्क ढांचा स्थापित करने की जरूरत होती है.

इसमें कहा गया कि सरकार सामान्य तौर पर एयरलाइंस के दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों पर हस्तक्षेप नहीं करती. एयरलाइंस सामान्य रूप से बहुत पहले टिकट बुकिंग के मकसद से कम किराये की पेशकश करती हैं.

मंत्रालय ने कहा, 'खाड़ी क्षेत्रों में परिचालन करने वाली भारतीय विमानन कंपनियों से भारतीय नागरिकों के लिए कम किराये की पेशकश करने को कहा गया है. यह कदम भेदभावूपर्ण या बाजार खराब करने वाली कीमत गतिविधियों के दायरे में आ सकता है और विदेशी कंपनियां इसको लेकर कानूनी रास्ता अपना सकती हैं.' साथ ही घरेलू एयरलाइंस द्वारा अंतरराष्ट्रीय परिचालन का मुद्दा भारत सरकार तथा विदेशी सरकारों के बीच द्विपक्षीय समझौतों के दायरे में आता है.

हालांकि परिवहन, पर्यटन और संस्कृति से संबद्ध संसदीय समिति ने कहा कि मंत्रालय का स्पष्टीकरण पूरी तरह तकनीकी है और यह यह कहता है कि वह कानून के तहत कुछ भी करने में असमर्थ है. समिति ने यह सिफारिश की है कि मंत्रालय को सभी संबद्ध पक्षों से विचार-विमर्श कर बाजार खराब करने वाली हवाई किराये से निपटने के उपाय करने चाहिए.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

लेखक Bhasha
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