सरकार ने खाद्य तेल पर बढ़ाई कस्टम्स ड्यूटी, गोदरेज एग्रोवेट से लेकर अदाणी विल्मर तक कई तेल कंपनियों को होगा फायदा

कस्टम्स ड्यूटी में हुई बढ़ोतरी उन FMCG कंपनियों की परेशानी बढ़ा सकती है, जो उत्पादन के लिए कच्चे माल के तौर पर पाम ऑयल और अन्य खाद्य तेलों का इस्तेमाल करते हैं.

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केंद्र सरकार ने रिफाइंड पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल और सनफ्लावर ऑयल पर कस्टम्स ड्यूटी को 12.5% ​​से बढ़ाकर 32.5% कर दिया है. 14 सितंबर से लागू हुए इस फैसले में खाद्य तेल और FMCG यानी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स कंपनियों पर बुरा असर पड़ने की संभावना है.

पाम ऑयल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है भारत

भारत विश्व स्तर पर पाम ऑयल (वनस्पति तेल) का सबसे बड़ा इंपोर्टर है. देश में पाम ऑयल ज्यादातर मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देशों से आयात किया जाता है. वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून 2024 के बीच भारत ने 173 बिलियन डॉलर का कुल आयात दर्ज किया, जबकि निर्यात 110 बिलियन डॉलर का हुआ. इस तरह शुद्ध आयात 63 बिलियन डॉलर का रहा. इस दौरान कुल आयात में 1.2% हिस्से के साथ पाम ऑयल सबसे ज्यादा इंपोर्ट होने वाली कमोडिटीज में शामिल था.

इससे खाद्य तेलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर भारत की निर्भरता का पता चलता है. कस्टम्स ड्यूटी में हुई बढ़ोतरी से इसके इंपोर्ट पर असर पड़ सकता है.

किन कंपनियों को होगा फायदा

घरेलू खाद्य तेल इंडस्ट्री को सपोर्ट करने के लिए सरकार के उठाए इस कदम से तेल उत्पादक कंपनियों जैसे अदानी विल्मर, पतंजलि फूड्स और गोदरेज एग्रोवेट को फायदा मिलने की उम्मीद है. इस कदम से आयातित तेल से प्रतिस्पर्धा कम होने में मदद मिलेगी और घरेलू कंपनियों को फायदा मिलेगा.

FMCG कंपनियों पर क्या होगा असर

पाम ऑयल पर कस्टम्स ड्यूटी में हुई बढ़ोतरी घरेलू FMCG कंपनियों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. क्योंकि कई कंपनियां चॉकलेट, बिस्किट, केक, ब्यूटी प्रोडक्ट, साबून, शैंपू, वाशिंग पाउडर और अन्य चीजें बनाने में कच्चे माल के तौर पर पाम ऑयल का इस्तेमाल करती हैं. विशेष रूप से नूडल्स में पैक के वजन का 20% तक पाम तेल हो सकता है. महंगे पाम ऑयल के कारण रोजमर्रा की चीजों की कीमतों पर प्रभाव पड़ेगा, इसका असर जनता की जेबों पर भी पड़ सकता है.

इसका खामियाजा उन कंपनियों को भुगतना पड़ सकता है जो पाम ऑयल के लिए बाहरी देशों पर निर्भर हैं. इसका असर हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड पर भी पड़ सकता है, क्योंकी HUL अपनी पूर्ण स्वामनित्व वाली सहायक कंपनी यूनिलीवर ओलियोकेमिकल इंडोनेशिया से पाम ऑयल मंगाती है.

किन कंपनियों पर पड़ेगा ज्यादा असर

जो कंपनियां बढ़ती लागत का सामना कर सकती हैं, उनमें से डाबर इंडिया, इमामी, ज्योति लैब्स और गोदरेज कंज्यूमर शामिल हैं. ये कंपनियां या तो बढ़ी हुई लागत का वहन करेंगी या उसे ग्राहकों पर डालेंगी. इससे रोजमर्रा की चीजें महंगी हो सकती हैं.

कौन-सी कंपनियां होंगी कम प्रभावित

नेस्ले इंडिया और कोलगेट-पामोलिव कंपनियां उन कंपनियों में शामिल हैं जिन पर कस्टम्स ड्यूटी में हुई बढ़ोतरी का कम प्रभाव पड़ेगा क्योंकि नेस्ले अपनी खाद्य तेल जरूरतों का 90% स्थानीय स्तर पर पूरा करती है, जबकि कोलगेट घरेलू स्तर पर पाम ऑयल की खरीदारी करती है.

कैसे होगा घरेलू कंपनियों को फायदा

कस्टम्स ड्यूटी एक तरह का इंपोर्ट टैक्स है जो सरकार उन चीजों और सेवाओं पर लगाती है जो बाहर के देशों के आयात होते हैं, और ये टैक्स उन कंपनियों को देना होता है जो सामान आयात करती हैं. पाम ऑयल पर सरकार द्वारा कस्टम्स ड्यूटी बढ़ाने से बाहर से आने वाले तेल और घरेलू स्तर पर बनने वाले तेल की कीमतें कुछ हद तक समान हो जाएंगी और इससे उपभोक्ता कंपनियां घरेलू स्तर की कंपनियों को प्राथमिकता देंगी. और इससे घरेलू पाम ऑयल कंपनियों को बल मिलेगा.

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