Adani-Hindenburg Case: SEBI ने OCCRP की रिपोर्ट को सिरे से नकारा, SC ने शॉर्टसेलिंग पर जताई चिंता, फैसला सुरक्षित रखा

CJI ने साफ कहा हमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आरोपों को सच मानने की जरूरत नहीं, क्योंकि वो हमारे सामने नहीं हैं, हम एक संवैधानिक बॉडी को ये नहीं कह सकते कि अखबार में छपी खबर को ही सच मान लिया जाए.

Source: Reuters

अदाणी हिंडनबर्ग मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख पूरी तरह साफ किया. कोर्ट ने सोमवार तक सभी पक्षों से लिखित में दलीलें मांगी और अपना फैसला सुरक्षित रखा है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने SEBI के खिलाफ अवमानना की अर्जी पर सुनवाई की. इस अर्जी में कहा गया था कि SEBI की तरफ से तय समय में जांच पूरी नहीं की गई. हालांकि इसके जवाब में SG तुषार मेहता ने तुरंत ही कहा कि SEBI ने रिपोर्ट जमा कर दी है और इसमें सिर्फ 10 दिन की ही देरी हुई.

सवालों के घेरे में प्रशांत भूषण

याचिकाकर्ता की तरफ से खड़े हुए प्रशांत भूषण ने अपनी दलीलें पेश करते हुए OCCRP की जिस रिपोर्ट का जिक्र किया उस पर SG तुषार मेहता ने कहा कि हमने OCCRP से रिपोर्ट की जानकारी मांगी तो उन्होंने इनकार किया और प्रशांत भूषण से जुड़े एक NGO से बात करने को कहा जो कि हितों का टकराव दिखाता है.

SG तुषार मेहता ने कहा 'हमें रिपोर्ट भेजी गई लेकिन उन्होंने डिटेल नहीं दी. मैंने सुझाव दिया है कि इसका जवाब नहीं देंगे. ऐसी रिपोर्ट पर काम करने लगे तो एक्सपर्ट कमिटी का काम बेकार हो जाएगा'.

जब प्रशांत भूषण ने मीडिया की खबरों का हवाला दिया तो इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम एक संवैधानिक बॉडी से ये उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि वो अखबार में छपी खबर को ही सच मान ले, हालांकि हम FT, गार्डियन या किसी अन्य मीडिया की रिपोर्ट के लिए ये नहीं कह रहे हैं कि वो गलत हैं.

सॉलिसिटर जनरल, तुषार मेहता ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा, 'भारत के बाहर से न्यूज स्टोरी प्लांट की जा रही हैं ताकि देश में नीतियों को प्रभावित किया जा सके'.

जब एक्सपर्ट कमिटी के सदस्यों पर उठाए गए सवाल

फिर जब प्रशांत भूषण ने SC की एक्सपर्ट कमिटी के सदस्यों पर सवाल उठाया. इसके जवाब में CJI, DY चंद्रचूड़ ने कहा अदाणी ग्रुप के लिए कोई वकील 2006 में पेश हुआ और आप 2023 में उस पर आरोप लगा रहे हैं, ये अनुचित है. CJI ने आगे कहा कि इस तरह को किसी आरोपी के लिए पेश होने वाला वकील फिर कभी जज नहीं बन सकता.

इस पूरी सुनवाई के दौरान जो एक बात साफ थी वो थी कोर्ट की निवेशकों के लिए चिंता. सुप्रीम कोर्ट ने जहां एक तरफ मीडिया रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए फैक्ट्स पर बात करने को कहा वहीं दूसरी तरफ ये भी साफ किया कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के आरोपों को सच नहीं मानना चाहिए, क्योंकि वो हमारे सामने नहीं हैं.

'किसी पर भी आरोप लगाना बहुत आसान है, हमें इससे बचना चाहिए. हम यहां किसी को कैरेक्टर सर्टिफिकेट नहीं दे रहे'. इस मजबूत लाइन के साथ सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमिटी के सदस्यों पर उठ रहे सभी सवालों पर पूर्ण-विराम लगा दिया.

दरअसल हुआ ये कि अदाणी हिंडनबर्ग मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील, प्रशांत भूषण ने SC की एक्सपर्ट कमिटी के सदस्यों पर सवाल उठाया. इसके जवाब में CJI, DY चंद्रचूड़ ने कहा अदाणी ग्रुप के लिए कोई वकील 2006 में पेश हुआ और आप 2023 में उस पर आरोप लगा रहे हैं, ये अनुचित है. CJI ने आगे कहा कि इस तरह को किसी आरोपी के लिए पेश होने वाला वकील फिर कभी जज नहीं बन सकता.

शॉर्ट सेलिंग बड़ी चिंता: SC

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का पूरा फोकस शॉर्ट सेलिंग की वजह से निवेशकों को हुए नुकसान पर रहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'हमने मामले में इसलिए दखल दिया क्योंकि बाजार में उतार चढ़ाव से निवेशकों को नुकसान हुआ. हमें निवेशकों के हितों को बचाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की चिंता है. निवेशकों को नुकसान न हो, इसके लिए कदम उठाने होंगे'.

इस पर SEBI की तरफ से सॉलिसिटर जनरल, तुषार मेहता ने कहा कि हम शॉर्ट सेलिंग के मामले में एक्शन ले रहे हैं. इसके अलावा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को मजबूत करने के लिए एक्सपर्ट कमिटी ने सुझाव दिए हैं तो उसके मुताबिक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को मजबूत किया जाएगा.

हमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आरोपों को सच मानने की जरूरत नहीं, क्योंकि वो हमारे सामने नहीं हैं. हमने इसकी जांच SEBI को सौंपी थी: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया

SEBI ने भी जमा की थी जांच रिपोर्ट

इसके पहले मार्केट रेगुलेटर SEBI ने अदाणी हिंडनबर्ग मामले (Adani Hindenburg case) में अपने जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी थी. SEBI ने बताया था कि 24 मामलों की जांच में 22 की जांच पूरी की जा चुकी है और 2 के नतीजे आना अभी बाकी हैं. SEBI ने ये भी बताया था कि उन्हें बाहरी एजेंसीज से 2 मामलों की जांच की जानकारी मिलने का इंतजार है और जांच के फाइनल नतीजों के बाद ही आगे के लिए उचित कदम उठाएंगे.

SEBI ने अपने हलफनामे में सभी 24 मामलों की जांच का ब्यौरा लिखा था. SEBI ने बताया था कि मिनिमम शेयरहोल्डिंग मामले में जांच 1 अप्रैल 2016 से 30 सितंबर 2020 के दौरान हुई. इस जांच के दौरान 1,100 से ज्यादा ई-मेल भेजे गए, 30 पत्र लिखे गए, एक व्यक्ति को निजी तौर पर हाजिर होने के लिए समन किया गया, दस्तावेज प्रस्तुत करने के 100 समन किए गए.

इसके अलावा 50 बयान दर्ज किए गए हैं, 300 से ज्यादा दस्तावेजों के 12,000 से ज्यादा पन्नों की पड़ताल की गई. बाहरी एजेंसियों से 90 और देश की एजेंसियों और रेगुलेटर्स से करीब 15 बार संपर्क कर जांच में मदद ली गई.

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एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट पर जवाब दे चुका है SEBI

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने 10 जुलाई को इस मामले में एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट पर अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था. SEBI ने कहा था कि एक्सपर्ट कमिटी ने रिपोर्ट में तथ्यों और कानून की कुछ व्याख्याएं व्यक्त की हैं जिसका असर चल रही जांच पर पड़ता है.

मार्केट रेगुलेटर ने साफ किया था कि एक्सपर्ट कमिटी के सामने जो कुछ भी पेश किया गया वो पहली नजर में उस वक्त तक SEBI के पास उपलब्ध तथ्यों पर आधारित था, न कि जांच पूरी होने के बाद पाए गए तथ्यों पर कानून को लागू करने के आधार पर.

SC कमिटी ने अदाणी ग्रुप को दी थी क्लीनचिट

अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ने अदाणी ग्रुप को क्लीन चिट दी थी. एक्सपर्ट कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में ये साफ कहा था कि 'शेयरों के उतार चढ़ाव में रेगुलेटरी विफलता (Regulatory Failure) को जिम्मेदार मानना फिलहाल संभव नहीं है'.

SC कमिटी की रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि जांच में मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग मामले में उल्लंघन के और किसी रेगुलेटरी फेल्योर के सबूत नहीं मिले.

इसके साथ ही SC कमिटी ने अदाणी ग्रुप की सराहना भी की गई. रिपोर्ट में कहा गया कि अदाणी ग्रुप ने रिटेल निवेशकों को राहत देने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए.

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