14 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच 4 घंटे लंबी बातचीत चली, जिसके बाद दोनों नेताओं ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने कहा, ‘हमारे पास पूरी दुनिया में किसी भी दूसरे देश के मुकाबले ज्यादा तेल और गैस है, भारत को इसकी जरूरत है और हमारे पास है’. ये राष्ट्रपति ट्रंप का सीधा संदेश था जिसमें वो चाहते हैं कि भारत अमेरिका से ज्यादा तेल और गैस खरीदें.
वांडा इनसाइट्स की फाउंडर और CEO वंदना हरि के अनुसार, इस घोषणा को एक बड़े संदर्भ में देखा जाना चाहिए. अगर रूस-भारत (Russia-India) को कच्चे तेल के इम्पोर्ट पर छूट देता रहेगा, तो अमेरिका से इंपोर्ट में कोई खास उछाल नहीं आएगा.
अभी क्या है भारत में कच्चे तेल के इम्पोर्ट की तस्वीर?
मौजूदा डेटा के अनुसार भारत ने वर्तमान FY के पहले आठ महीनों में 95.06 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल इम्पोर्ट किया है. जिसमें से 83.6% हिस्सा पांच देशों से आता है जिसमें रूस, इराक, सऊदी अरब, UAE और अमेरिका का है.
रूस (Russia) का हमारे इम्पोर्ट बिल में सबसे बड़ा हिस्सा है, FY25 में अब तक हमारे कुल कच्चे तेल इम्पोर्ट का 37.6% हिस्सा रूस से आया है. इसके बाद इराक से 20.7% और सऊदी अरब 15.6% के साथ ये देश दूसरे स्थान पर हैं. अमेरिका हमारा पांचवां सबसे बड़ा कच्चा तेल सोर्स है, लेकिन हमारे कुल कच्चे तेल इम्पोर्ट बिल में इसका सिर्फ 4.3% का योगदान है.
किन देशों से कच्चा तेल इम्पोर्ट करता है भारत?
अप्रैल 2024 से नवंबर 2024 तक, वर्तमान FY के पहले आठ महीनों में भारत के कच्चे तेल इम्पोर्ट बिल में इन देशों का हिस्सा है.
अमेरिका से कितना कच्चा तेल इम्पोर्ट करता है भारत?
वाणिज्य मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, भारत ने नवंबर 2024 तक आठ महीनों में अमेरिका से 4.12 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल इम्पोर्ट किया है. ये हमारे कुल कच्चे तेल इम्पोर्ट बिल में 4.3% हिस्सेदारी को दर्शाता है. वैसे तो ये आंकड़ा कमजोर है लेकिन इससे पिछले वित्त वर्ष में 3.6% हिस्सेदारी से उछाल है.
MoM आधार पर, भारत के कच्चे तेल इम्पोर्ट बिल में अमेरिका की हिस्सेदारी अगस्त, सितंबर, अक्टूबर और नवंबर 2024 में क्रमशः 1.2%, 5.1%, 2.4% और 5.5% रही है.
क्या है भारत और रूस के कच्चे तेल इम्पोर्ट का इतिहास?
दूसरी तरफ अगर रूस की बात करें तो रूस, दुनियाभर के प्रतिबंध के बाद से भारत को कच्चे तेल की खरीद पर डिस्काउंट देता है. जिस वजह से भारत और रूस के बीच यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से कच्चे तेल की खरीद में एक बड़ा इजाफा आया है. FY23 में भारत ने रूस से 10181.7 मिलियन डॉलर का कच्चा तेल रूस से खरीदा जो कुल इम्पोर्ट बिल का 6.3% रहा. इसी तरह FY24 में भारत ने रूस से 5025.9 मिलियन डॉलर का कच्चा तेल इम्पोर्ट किया जो कुल बिल का 3.6% रहा. वर्तमान वर्ष FY25 में भी अप्रैल से नवंबर 2024 तक 4119.7 मिलियन डॉलर का कच्चा तेल इम्पोर्ट हुआ है जो कुल बिल का 4.3% रहा.
अमेरिका से तेल इम्पोर्ट करने में क्या हैं दिक्कतें ?
FY25 में अमेरिका से भारत में कच्चे तेल के इम्पोर्ट बढ़ने के बावजूद दिक्कतें फिर भी रहेंगी. इसके कई कारण है पहला कारण तो भारत और अमेरिका के बीच की दूरी है, जिस वजह से ट्रांसपोर्टेशन की लागत मिडिल ईस्ट के मुकाबले बढ़ जाती है. लंबे रूट के कारण डिलवरी का समय भी मिडिल ईस्ट के मुकाबले ज्यादा लगता है, जिस वजह से भारत को अमेरिका से कच्चे तेल के इम्पोर्ट से कोई फायदा नहीं मिलता.
साथ ही कच्चे तेल के भी कई प्रकार होते हैं और जिस प्रकार का कच्चा तेल अमेरिका से आता है उसे रिफाइन करने के लिए भारत की रिफाइनरियों मे कईं बदलाव भी करने पड़ सकते हैं, जिससे भारत का खर्च ही बढ़ेगा.
भारत क्या अब रूस से कम कच्चा तेल इम्पोर्ट करेगा?
ट्रंप के इस सुझाव के बावजूद भी भारत और रूस के बीच कच्चा तेल इम्पोर्ट कम होने के आसार भी कम ही हैं. भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी पहले भी कह चुके हैं कि भारत वहीं से क्रूड खरीदेगा जहां से हमें सस्ता मिलेगा. यही एक बड़ा कारण है की भारत और रूस के बीच 2022 के बाद से ही कच्चा तेल इम्पोर्ट में एक बड़ा इजाफा देखने को मिला है.