घर खर्चा: महंगी होती जा रही थाली का 'विलेन' केवल टमाटर नहीं! यूं बिगड़ रहा है आपके किचन का बजट

क्या टमाटर को किचन में शामिल न किया जाए तो क्‍या हमारे ग्रॉसरी बिल को कम करने में मदद मिलेगी?

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खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण जुलाई में भारत की रिटेल महंगाई बढ़कर 7.44% हो गई, जो अप्रैल 2020 के बाद सबसे अधिक है. ब्‍लूमबर्ग समेत अधिकांश अर्थशास्त्रियों की भविष्यवाणी से ये आंकड़ा ज्‍यादा रहा.

घरों में ग्रॉसरी बिल काफी ज्‍यादा बढ़ा है. आटा, ब्रेड, दूध और मिल्‍क प्रोडक्‍ट्स, फल-सब्जियों और मसालों के लिए ज्‍यादा कीमत चुकानी पड़ी है.
  • फूड और बेवरेज की महंगाई जनवरी 2020 के बाद से उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. ये जून के 4.69% से बढ़कर जुलाई में 10.57% हो गई.

  • सब्जियों की कीमतों में 37.3% की बढ़ोतरी दर्ज की गई. टमाटर की तो बात ही जुदा है, जो 200% से भी ज्‍यादा महंगा हो गया.

  • पिछले महीने, जब टमाटर के भाव आसमान पर चढ़ने शुरू हुए थे, तब की तुलना में कीमतों में 213% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

लेकिन क्या टमाटर ही महंगाई का विलेन है?

क्या टमाटर को किचन में शामिल न किया जाए तो क्‍या हमारे ग्रॉसरी बिल को कम करने में मदद मिलेगी? IDFC बैंक के एक रिसर्च नोट के अनुसार, टमाटर को छोड़ भी दें तो जुलाई में महंगाई वार्षिक आधार पर बढ़कर 6.1% हो गई, जो जून में 5.3% थी.

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खास तौर पर फूड और बेवरेज में देखें तो, वजन के हिसाब से करीब 71% आइटम्‍स में जुलाई में 6% से ज्‍यादा महंगाई देखी गई, जबकि जून में 71% आइटम्‍स में ही ऐसी महंगाई देखी गई थी.

ये संभव है कि आपकी थाली की अधिकांश वस्तुओं की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिसमें सब्जियों के साथ-साथ आटा, चावल और दाल भी शामिल हैं. सब्जियों में आलू, प्याज, पत्तागोभी, फूलगोभी वगैरह में भी तेजी देखी गई.

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बाजार पर नजर रखने वालों के अनुसार, दैनिक खाद्य कीमतों से संकेत मिलता है कि आपूर्ति में सुधार होने के कारण पिछले कुछ दिनों में टमाटर की कीमतों में नरमी आनी शुरू हो गई है.

लेकिन अभी बहुत राहत जैसा कुछ नहीं है, क्‍योंकि हम ये जान रहे हैं कि प्याज, अगला 'टमाटर' हो सकता है, जिसकी कीमतों में क्रमिक रूप से 18.9% की बढ़ोतरी संभव है.

हालांकि अंडे, मांस और मछली की कीमतों में मामूली गिरावट देखी गई है, लेकिन इसके पीछे संभवत: श्रावण माह कारण हो सकता है, जिसमें कि धर्मावलंबी हिंदू परिवारों के बड़े हिस्‍से में नॉनवेज नहीं बनता.

दाल में तड़का का संकट

मसालों में भी तेजी देखी गई है. जीरा पिछले साल से 100% से अधिक हाई पर था. यानी दाल, जो कि आपके लिए प्रोटीन का स्रोत है, उसमें आपको तड़का छोड़ना होगा!

आप जीरे का कम मात्रा में भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं, लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है. अदरक और लहसुन की कीमतें भी खूब बढ़ी हैं. अदरक की कीमतें सालाना आधार पर 177.1% बढ़ीं, जबकि लहसुन की कीमतें 70.1% बढ़ीं हैं. क्रमिक आधार पर भी दोनों की कीमतों में 20% से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. शायद ये समय सात्विक भोजन का है!

बहरहाल थोड़ी राहत ये है कि फूड और फ्यूल को छोड़ दें तो कोर इनफ्लेशन में कमी आई है. कपड़े और जूते, घरेलू सामान और सेवाओं की कीमतें पिछले वर्ष के अधिकांश समय में बढ़ने के बाद अब थोड़ी राहत दे रही हैं.

यूटिलिटी सर्विस की बात करें तो हाई टैरिफ के कारण बिजली बिल बढ़े हैं, जबकि अन्य बिलों में बहुत अधिक बदलाव नहीं है.

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