उत्तर प्रदेश की शराब कंपनियों को मिलेगी नई 'किक'! शुगर पॉलिसी में बदलाव का ऐसे दिखेगा असर

श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि शराब कंपनियों को कच्चे माल की सप्लाई में निश्चित ही सुधार आएगा.

SOURCE: ENVATO

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में शराब उत्पादकों (Liquor Producers) को फायदा होने वाला है. दरअसल शुगर मिल्स (Sugar Mills) और डिस्टलरीज को शुगरकेन जूस और बी-हैवी मोलासिस से रेक्टिफाइड स्पिरिट और एक्स्ट्रा न्यूट्रल एल्कोहल का उत्पादन करने की मंजूरी मिल गई है.

श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि शराब कंपनियों को कच्चे माल की सप्लाई में निश्चित ही सुधार आएगा. ये इन कंपनियों के लिए सकारात्मक है. पोर्टेबल एल्कोहल ब्रैंड्स की बात करें तो मैं कहूंगा कि आदेश व्हिस्की ब्रैंड्स और भारत में बनी विदेशी शराब के ब्रैंड्स के लिए सकारात्मक रहेगा.

क्यों लगाई गई थी पाबंदी?

उत्तर प्रदेश भारत के गन्ने और शराब के उत्पादन में अहम है. उत्तर प्रदेश को डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन के पॉलिसी में बदलाव करने से फायदा होगा. पिछली पाबंदी का मकसद गन्ने की किल्लत को कम करना था. हालांकि हाल ही में पॉलिसी में बदलाव में रेक्टिफाइड स्पिरिट और एक्स्ट्रा न्यूट्रल एल्कोहल प्रोडक्शन शामिल है.

चतुर्वेदी ने कहा कि मौजूदा डीलिस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में 16 बिलियन डॉलर से ज्यादा की कैपेसिटी है और ये उत्पादन की मांग में बढ़ोतरी को पूरा करने के लिए काफी है. सरकार की 2.3 मिलियन टन चावल को इथेनॉल उत्पादन में डायवर्ट करने की हाल की मंजूरी से इस क्षमता को और बढ़ावा मिलेगा. इसलिए जहां इंफ्रास्ट्रक्चर में विस्तार की तत्काल कोई जरूरत नहीं है. वहीं पॉलिसी में बदलाव से मौजूदा फ्रेमवर्क के भीतर कैपेसिटी यूटिलाइजेशन बढ़ने की उम्मीद है.

कंपनियों को कैसे पहुंचेगा फायदा?

हालांकि RS और ENA के उत्पादन से ओवरऑल रेवेन्यू पर कोई बड़ा असर नहीं होगा. लेकिन पॉलिसी से शुगर सेक्टर में कैपेसिटी यूटिलाइजेशन में सुधार आने की उम्मीद है. चतुर्वेदी ने संकेत दिया कि पिछले प्रतिबंधों की वजह से शुगर सेक्टर से इथेनॉल का योगदान गिरकर 46% पर पहुंच गया था. अब इसके बढ़कर 65-70% पर पहुंचने की उम्मीद है.

इससे चीनी और अनाज क्षेत्र के बीच इथेनॉल सप्लाई को रि-बैलेंस करने में मदद मिलेगी जो मौजूदा समय में क्रमश: 44% और 56% इथेनॉल का वितरण करते हैं.

पॉलिसी में बदलाव खास तौर पर उत्तर प्रदेश में शराब के मैन्युफैक्चर्रस के लिए फायदेमंद है. कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ने से पोर्टेबल एल्कोहल ब्रैंड्स के लिए उत्पादन की क्षमता बढ़ने और व्हिस्की और भारत में बने विदेशी शराब के ब्रैंड्स के लिए सप्लाई में सुधार होने की उम्मीद है. इस बदलाव से इथेनॉल की स्थिर सप्लाई सुनिश्चित होगी और इन क्षेत्रों पर सकारात्मक असर होगा.

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