MobiKwik Vs Paytm: किस कंपनी की स्थिति है बेहतर; देखें वैल्युएशन, मार्केट शेयर के आधार पर तुलना

मोबिक्विक और पेटीएम की मौजूदा वैल्युएशंस को देखें तो मोबिक्विक निवेशकों के लिए बेहतर दिखती है. हालांकि विजय शेखर शर्मा की फिनटेक कंपनी रेवेन्यू और मार्केट शेयर के मामले में कहीं आगे है.

Source: NDTV Profit

वन मोबिक्विक सिस्टम्स (One MobiKwik Systems) ने बुधवार को शेयर बाजार पर डेब्यू किया था. कंपनी का स्टॉक इश्यू प्राइस के मुकाबले करीब 90% प्रीमियम पर लिस्ट हुआ है. इसे 119.38 गुना सब्सक्राइब किया गया था. कंपनी पेटीम (Paytm) की पैरेंट 'वन 97 कम्युनिकेशंस. के अलावा प्योर-प्ले फिनटेक में एकमात्र लिस्टेड एंटिटी है.

ऐसे में मोबिक्विक और पेटीएम की तुलना लाजमी हो जाती है. मौजूदा वैल्युएशंस को देखें तो मोबिक्विक निवेशकों के लिए बेहतर दिखती है. हालांकि विजय शेखर शर्मा की फिनटेक कंपनी रेवेन्यू और मार्केट शेयर के मामले में कहीं आगे है.

वैल्युएशन चेक

प्राइस टू सेल्स रेश्यो एक मुख्य वैल्युएशन मेट्रिक है. इसमें कुल वैल्यू देखी जाती है जो निवेशक कंपनी की सेल्स या रेवेन्यू के हर रुपये के लिए भुगतान कर रहे हैं. इसे एक निश्चित अवधि में कंपनी के मार्केट कैपिलाइजेशन या शेयर प्राइस को उसकी सेल्स या रेवेन्यू/ शेयर से भाग करके आकलन किया जाता है. ये अवधि आमतौर पर 12 महीने की होती है.

गुरुग्राम में बेस्ड मोबिक्विक के IPO का मार्केट कैप करीब 2,200 करोड़ रुपये है. बुधवार को बाजार बंद होने के समय 4,120 करोड़ रुपये के मौजूदा मार्केट कैप से मुख्य मैट्रिक 4.7 गुना तक पहुंच गया था. दूसरी तरफ पेटीएम मौजूदा समय में 6.4 गुना के प्राइस टू सेल्स रेश्यो पर ट्रेड कर रहा है.

इस मेट्रिक से देखें तो मोबिक्विक पेटीएम से ज्यादा सस्ता दिखता है. पिछले वित्त वर्ष में पेटीएम का रेवेन्यू 9,978 करोड़ रुपये रहा था. वहीं मोबिक्विक का रेवेन्यू सिर्फ 875 करोड़ रुपये था.

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मार्केट शेयर

पेटीएम के FY24 में 9-10 करोड़ मंथली एक्टिव यूजर्स रहे. ये मोबिक्विक के 1.6 करोड़ से करीब छह गुना ज्यादा है. कंपनी की ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू में एक निश्चित समयावधि में प्लेटफॉर्म पर बेचे गए सामान की कुल वैल्यू को कैलकुलेट किया जाता है. ये पेटीएम की 18.3 लाख करोड़ रुपये और मोबिक्विक की 4.7 लाख करोड़ रुपये है. पेटीएम का मर्चेंट बेस मोबिक्विक से 11 गुना ज्यादा है.

मोबिक्विक के लिए एक बड़ी रूकावट है कि उसके रजिस्टर्ड यूजर्स की संख्या में FY22 के बाद से कंपाउंडेड एनुअल बेसिस पर सिर्फ 12% की ग्रोथ हुई है. जबकि नए रजिस्टर्ड यूजर्स में 15% CAGR पर डीग्रोथ हुई है. ग्राहकों के अधिग्रहण की लागत करीब दोगुनी हो गई है.

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