नए लिक्विडिटी कवरेज नॉर्म्स को कई फेज में लागू किया जाएगा: RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा

NDTV प्रॉफिट ने जनवरी में बताया था कि RBI ने अपने नए लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो यानी LCR के प्रभाव को समझने के लिए बैंकों से संपर्क किया था, जो 1 अप्रैल से लागू होने वाले थे.

Source: Reuters/Canva

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया नए LCR यानी लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो नॉर्म्स को कई चरणों में लागू करेगा. लेकिन 31 मार्च, 2026 से पहले नहीं लागू होगा. ये बात RBI के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने कही है.

पत्रकारों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में मल्होत्रा ​​ने कहा कि RBI लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो नॉर्म्स के ड्राफ्ट पर अनुमान और प्रभाव को संशोधित कर रहा है. उन्होंने कहा, 'हम व्यवधान पैदा नहीं करना चाहते हैं.'

NDTV प्रॉफिट ने जनवरी में बताया था कि RBI ने अपने नए LCR के प्रभाव को समझने के लिए बैंकों से संपर्क किया था, जो 1 अप्रैल से लागू होने वाले थे. जुलाई 2024 में RBI ने रिटेल डिपॉजिट्स के लिए रन-ऑफ फैक्टर बढ़ाकर LCR नॉर्म्स को सख्त करने का प्रस्ताव दिया था. ये कार्रवाई मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग यूजर्स की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए की गई थी.

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नए ड्राफ्ट नियमों में इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग यूजर्स से स्टेबल और कम स्टेबल रिटेल डिपॉजिट्स पर 5% का अतिरिक्त रन-ऑफ फैक्टर लगाने का प्रस्ताव था. इसका मतलब है कि उन्हें अपनी रिटेल डिपॉजिट्स के लिए ज्यादा पैसे अलग रखने होंगे. रन-ऑफ इवेंट तब होते हैं जब व्यक्ति या व्यवसाय बड़ी संख्या में अपनी जमा राशि निकाल लेते हैं, जिसकी बैंकों को उम्मीद नहीं होती.

मौजूदा नियम बैंकों को 100% LCR बनाए रखने के लिए कहते हैं, जो दर्शाता है कि हाई-क्वालिटी वाली लिक्विड एसेट्स का स्टॉक कम से कम कुल नेट कैश ऑउटफ्लो के बराबर होना चाहिए.

LCR संभावित लिक्विडिटी व्यवधानों के लिए बैंकों की शॉर्ट टर्म लचीलापन को बढ़ावा देता है, ये सुनिश्चित करके कि उनके पास 30 दिनों तक चलने वाले तनाव की स्थिति से बचने के लिए पर्याप्त हाई क्वालिटी लिक्विड एसेट्स है.

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