सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियां (Telecom Companies) टावरों, टावर पार्ट्स, शेल्टर्स पर भुगतान की गई ड्यूटी और सेल्युलर सर्विसेज के लिए दिए गए सर्विस टैक्स के लिए टैक्स क्रेडिट का फायदा ले सकते हैं. शीर्ष अदालत ने टेलीकॉम कंपनियों जैसे भारती एयरटेल (Bharti Airtel), वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea), इंडस टावर्स, रिलायंस कम्युनिकेशंस और महानगर टेलिफॉन निगम लिमिटेड को राहत दी है.
बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश खारिज
बी वी नागरत्ना और एन कोटिश्वर सिंह की दो जज की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. टेलीकॉम कंपनियों की ओर से की गई अपील को मंजूर करके शीर्ष अदालत ने 2014 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें उसने सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए भुगतान किए गए सर्विस टैक्स पर CENVAT का फायदा लेने से इनकार कर दिया था.
आमतौर पर टैक्स क्रेडिट वो राशि होती है जिसकी टैक्सपेयर्स को उनकी फाइनल टैक्स लायबिलिटी से घटाने की इजाजत होती है. इस क्रेडिट से कारोबारों को अपनी टैक्स लायबिलिटी को घटाने में मदद मिलती है.
असल में सवाल इसे लेकर है कि क्या टेलीकॉम कंपनियां टावर पार्ट्स, शेल्टर्स या प्रीफैब्रिकेटेड बिल्डिंग, ऑफिस चेयर्स और प्रिंटर्स की खरीदारी पर भुगतान की गई ड्यूटी के लिए टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं या नहीं.
बॉम्बे HC ने क्या कहा था?
2014 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि क्रेडिट की इजाजत नहीं दी जा सकती है क्योंकि इन चीजों जैसे शेल्टर्स, ऑफिस चेयर, टावर के स्वतंत्र ऑपरेशन होते हैं और इसलिए इन्हें सिंगल यूनिट के तौर पर क्लासिफाई नहीं किया जा सकता. उसने कहा था कि सिर्फ वही समान जो सीधे आउटपुट सर्विस से सीधे जुड़े हैं, जो सेल्युलर सर्विस उपलब्ध कर रहे हैं वो क्रेडिट के लिए योग्य होंगे.
हाई कोर्ट के मुताबिक टावर और पार्ट्स जमीन से जोड़े जाते हैं और उन्हें लगाने के बाद उन्हें मूव नहीं किया जा सकता और इसलिए वो गुड्स नहीं हैं.