TCS पर अमेरिकी वीजा हासिल करने के लिए गलत डेटा देने का आरोप, ट्रंप 2.0 में बढ़ीं मुश्किलें

डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिका में दोबारा चुने जाने के बाद वीजा कार्यक्रम में बदलाव को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

Source: Facebook/TCS

IT सेक्टर की दिग्गज कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) कथित वीजा धोखाधड़ी के मामले में घिरी हुई है. डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिका में दोबारा चुने जाने के बाद वीजा कार्यक्रम में बदलाव को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

TCS के पूर्व कर्मचारियों ने पहले कंपनी के खिलाफ फर्जी दावा अधिनियम के तहत संघीय मुकदमा दायर किया था, जिसमें अमेरिकी श्रम कानूनों और H-1B वीजा नियमों को दरकिनार करने के लिए वीजा धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया था. दायर किए गए तीनों मुकदमों को बाद में अदालत ने खारिज कर दिया था.

शिकायतकर्ताओं में से एक अनिल किनी, जो TCS के डेनवर कार्यालय में IT मैनेजर के रूप में काम करते थे. उन्होंने अपना पहला मुकदमा खारिज होने के बाद अपील दायर की है.

किनी ने आरोप लगाया है कि लॉटरी सिस्टम के माध्यम से सबसे अधिक संख्या में वीजा हासिल करने की अपनी संभावनाओं को बढ़ाने के लिए TCS H-1B वीजा के लिए अपने पास उपलब्ध वीजा की तुलना में कहीं ज्यादा याचिकाएं ओपन करती है और फिर इन कर्मचारियों को आवश्यक वेतन से कम भुगतान करती है, जो अमेरिकी वीजा कानूनों का उल्लंघन है.

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शिकायतकर्ता ने आगे आरोप लगाया कि कंपनी अमेरिकी सरकार को काफी कम पेरोल टैक्स का पेमेंट करती है, जबकि अगर वो अपने H-1B वीजा कर्मचारियों को आवश्यक रेट पर पेमेंट करती, तो उसे ऐसा करना पड़ता. TCS पर L-1 और B-1 वीजा का उपयोग करने का भी आरोप है (जो प्राप्त करना आसान है). उन कर्मचारियों के लिए जिन्हें H-1B वीजा प्राप्त करना कठिन है.

हालांकि, TCS ने इन आरोपों का खंडन किया है. आधिकारिक बयान में कंपनी ने कहा कि TCS चल रहे मुकदमे पर टिप्पणी नहीं करेगा. कंपनी ने कहा कि हम पूर्व कर्मचारियों द्वारा लगाए गए इन गलत आरोपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं, जिन्हें पहले कई अदालतों द्वारा खारिज किया जा चुका है. TCS सभी अमेरिकी कानूनों का सख्ती से पालन करता है.