टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अपनी प्रोमोटर टाटा संस प्राइवेट (Tata Sons Pvt.) को FY24 में ब्रैंड इक्विटी के तौर पर 200 करोड़ रुपये दिए. बीते साल के मुकाबले ये दोगुनी राशि है.
भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सर्विसेज कंपनी TCS बीते 5 साल से टाटा संस को 100 करोड़ रुपये की रॉयल्टी दे रही थी. आइए, जानते हैं कि टाटा ब्रैंड आने से कंपनी की ब्रैंड वैल्यू पर क्या असर पड़ता है.
टाटा संस के बारे में
टाटा संस, जो कि टाटा ब्रैंड की इकलौती स्वामित्व रखने वाली संस्था है, के पास ब्रैंड इक्विटी और बिजनेस प्रोमोशन का एग्रीमेंट है. इसका इस्तेमाल करने के लिए कंपनियां टाटा संस को सब्सक्रिप्शन फीस या रॉयल्टी देती हैं. ये रॉयल्टी ब्रैंड का इस्तेमाल करने और उसको बतौर कॉरपोरेट नाम की तरह इस्तेमाल करने, मार्केटिंग में और दूसरे सभी डॉक्यूमेंट्स के तौर पर इस्तेमाल करने से जुड़ी है.
बीते साल नवंबर में टाटा टेक्नोलॉजीज ने IPO लाने से पहले अपने RHP में जानकारी दी थी कि कंपनी अपनी कुल आय का 0.25% या मुनाफे का 5% में जो कम हो, उसे टाटा संस को रॉयल्टी के तौर पर देती है.
TCS का पेमेंट करने का तरीका
TCS ने FY20 से लेकर FY23 तक, टाटा संस को बतौर रॉयल्टी 100 करोड़ रुपये की राशि दी थी.
FY20 में कंपनी का कुल रेवेन्यू का 0.25% हिस्सा 328 करोड़ रुपये था, जबकि कुल मुनाफे का 5% हिस्सा 2,100 करोड़ रुपये था. लेकिन कंपनी ने रॉयल्टी के नाम पर टाटा ग्रुप को केवल 100 करोड़ रुपये ही दिए थे, जो कि FY23 तक जारी रहा.
FY24 में TCS ने ट्रेंड बदला और अपने ब्रैंड वैल्यू के नाम पर टाटा संस को दी जाने वाली राशि को दोगुना कर दिया. हालांकि, इस दौरान भी TCS को रेवेन्यू का 0.25% यानी 506 करोड़ रुपये या आय का 5% यानी 2,880 करोड़ रुपये दी जानी वाली कीमत से कहीं ज्यादा है. मामले से जुड़े सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर जानकारी दी कि TCS ने टाटा संस को इस साल 200 करोड़ रुपये दिए थे.
टाटा संस ने रॉयल्टी से जुड़े नियमों में बदलाव किए हैं, जिसके चलते TCS ने राशि को बढ़ाया है. अभी टाटा संस के रॉयल्टी नियमों के मुताबिक,
सालाना रेवेन्यू का 0.25% या कुल मुनाफे का 5% या 200 करोड़ रुपये, जो भी कम हो वो रॉयल्टी के तौर पर टाटा संस लेगा.
बढ़ती रॉयल्टी से बढ़ती कमाई
BEBP एग्रीमेंट में हुए हालिया बदलाव के मुताबिक, 'टाटा' का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों, जैसे टाटा टेक्नोलॉजीज, टाटा स्टील और टाटा मोटर्स के रॉयल्टी खर्च में बढ़ोतरी हो सकती है. आने वाले समय में तिमाही नतीजों में इस तरह का बदलाव नजर आ सकता है.