टेस्ला (Tesla) 2025 की दूसरी छमाही में भारत में एंट्री करने के लिए तैयार है. कंपनी के रिटेल ऑपरेशंस की शुरुआत 2025 की दूसरी छमाही में हो सकती है. टेस्ला CBU रूट के जरिए भारत में आ सकती है, न कि CKD के जरिए.
CBU का मतलब है 'कंप्लीटली बिल्ट-अप यूनिट' यानी ये गाड़ी पूरी तरह कहीं और से बनकर आएगी और भारत में सिर्फ बिकेगी और सर्विस होगी. CKD का मतलब होता है 'कम्प्लीटली नॉक्ड डाउन' यानी गाड़ी के सभी कंपोनेंस अलग-अलग देशों से आएंगे और इसे यहां असेंबल किया जाएगा.
CLSA के मुताबिक, टेस्ला को दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्था में विस्तार करने के लिए 25-30 लाख रुपये से कम के लोकल मैन्युफैक्चरिंग और मूल्य निर्धारण की आवश्यकता होगी.
CLSA ने बताया कि भारत में कारों की औसत बिक्री कीमत $14,000 या 12.13 लाख रुपये है, जबकि अमेरिका में सबसे सस्ता टेस्ला मॉडल $35,000 या लगभग 30.3 लाख रुपये में बेचा जाता है.
CLSA के मुताबिक, भारत में EV की पहुंच एस्टिमेटेड 2.4% है, जो टेस्ला के दो प्रमुख बाजारों- चीन में 30% और अमेरिका में 9.5% से बहुत कम है.
इसके अलावा, टेस्ला को भारत में कार आयात शुल्क से भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जो $40,000 से कम कीमत वाले मॉडल के लिए 60% और $40,000 से अधिक कीमत वाले मॉडल के लिए एग्रीकल्चर सेस सहित 110% लगाया जाता है.
CLSA का मानना है कि टेस्ला को अपने मौजूदा पोर्टफोलियो को बढ़ाने के लिए भारत में मैन्युफैक्चरिंग करने की आवश्यकता होगी और अपने वाहनों की कीमत 3.5-4 मिलियन रुपये (35-40 लाख रुपये) से कम ऑन-रोड रखनी होगी.
लोकल कार निर्माताओं पर टेस्ला का प्रभाव
CLSA का मानना है कि टेस्ला के एंट्री से मारुति सुजुकी इंडिया, हुंडई मोटर्स इंडिया और टाटा मोटर्स पर 'कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा', क्योंकि भारत में EV की पहुंच चीन, यूरोप और USA की तुलना में कम है.
CLSA ने कहा कि अगर टेस्ला मॉडल 3 को महिंद्रा XEV 9e, ई-क्रेटा, ई-विटारा जैसे मॉडलों की तुलना में 20-50% अधिक ऑन-रोड कीमत पर रखती है, तो इससे घरेलू EV मॉडलों पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा.
CLSA के मुताबिक, अगर टेस्ला 25,000 डॉलर (21.6 लाख रुपये) की कीमत पर EV लॉन्च करती है, तो उसके फीचर्स और स्पेसिफिकेशन 'पारंपरिक मॉडलों की तुलना में काफी कम होंगे.' इसलिए, आकर्षक फीचर्स और प्रतिस्पर्धी मूल्य प्रदान करने वाली भारतीय कार निर्माता कंपनियों को स्थानीय बाजार में एलन मस्क की अगुवाई वाली कंपनी के एंट्री से कोई बड़ा खतरा नहीं है.
ब्रोकरेज ने कहा कि अगर आयात शुल्क को रिवाइज्ड कर 15-20% कर दिया जाता है, तो भी टेस्ला कारों की कीमत मारुति सुजुकी इंडिया, महिंद्रा एंड महिंद्रा, हुंडई मोटर्स इंडिया और टाटा मोटर्स जैसी घरेलू कंपनियों द्वारा पेश की जाने वाली इलेक्ट्रिक SUVs से अधिक होगी.