भारत फाइटर जेट इंजन के लिए अमेरिका के अलावा तलाश रहा पार्टनर, इन देशों के साथ हो रही बातचीत

भारत की रक्षा अनुसंधान एजेंसी DRDO सभी प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगी और रक्षा मंत्रालय जल्द ही इस पर सरकार की मंजूरी लेने के लिए आगे बढ़ेगा.

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भारत अब फाइटर जेट इंजन बनाने के लिए अमेरिका से आगे बढ़कर ब्रिटेन, फ्रांस और जापान के साथ साझेदारी करने पर विचार कर रहा है. ये कदम तब उठाया जा रहा है जब देश अपनी वायुसेना की क्षमताओं को तेजी से बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और क्षेत्रीय तनाव भी बढ़ रहा है.

इस प्रोजेक्‍ट पर चर्चा से जुड़ी जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने ब्‍लूमबर्ग को ये जानकारी दी है. सरकार 'मेक इन इंडिया' डिफेंस प्रोजेक्ट को नई रफ्तार देने की तैयारी कर रही है.

UK, फ्रांस और जापान ने दिखाई रुचि

ब्रिटेन की रक्षा कंपनी रोल्‍स-रॉयस (Rolls-Royce) ने अप्रैल में भारत के रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के दौरे के दौरान इंजन के संयुक्त निर्माण और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का प्रस्ताव दिया था. वहीं फ्रांस की Safran SA कंपनी भी तकनीक ट्रांसफर और इंटेलेक्‍चुअल प्रॉपर्टी राइट्स ट्रांसफर करने के लिए तैयार दिख रही है.

मई में जापान ने भी भारत के साथ इसी तरह का प्रस्ताव साझा किया है, हालांकि साझेदार कंपनी के नाम का खुलासा नहीं किया गया है. इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके जापानी समकक्ष की दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक भी हुई थी, जिसमें टैंक और एयरो इंजन जैसी परियोजनाओं पर बात हुई.

DRDO करेगा ऑफर्स का मूल्यांकन

इस परियोजना को जल्दी शुरू करने की मंशा है. भारत की रक्षा अनुसंधान एजेंसी DRDO सभी प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगी और रक्षा मंत्रालय जल्द ही इस पर सरकार की मंजूरी लेने के लिए आगे बढ़ेगा. ये इंजन डबल इंजन फाइटर जेट्स के लिए होगा, जो वर्तमान में भारत में ही विकसित किए जा रहे हैं.

अमेरिकी कंपनी के साथ नहीं बन रही बात!

साल 2023 से भारत, अमेरिका की जेनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के साथ GE F414 इंजन के संयुक्त निर्माण को लेकर बातचीत कर रहा है, लेकिन अब तक इस दिशा में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई है. इंजन की आपूर्ति में देरी के चलते भारत ने GE पर पैनल्टी भी लगाई थी, क्योंकि ये इंजन स्वदेशी सिंगल-जेट फाइटर को पावर देते हैं.

एयरफोर्स चीफ ने की आलोचना

हाल ही में एक उद्योग कार्यक्रम में एयरफोर्स चीफ एपी सिंह ने चेताया कि हथियारों की खरीद में देरी देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है. उन्होंने कहा, 'ऐसी कोई परियोजना नहीं है जो समय पर पूरी हुई हो.' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को हथियारों को डिजाइन, डिवेलप और पर्याप्त संख्या में प्रोड्यूस करने की जरूरत है.

जरूरी है सप्लाई चेन पर नियंत्रण

भारत का ये कदम यह दर्शाता है कि वह रक्षा क्षेत्र में क्रिटिकल इक्विपमेंट की सप्लाई चेन पर अधिक नियंत्रण चाहता है. यूक्रेन युद्ध के तीसरे साल में प्रवेश के साथ भारतीय सेना ने यह सबक सीखा है कि सप्लाई चेन का भरोसेमंद होना कितना जरूरी है.

अमेरिका के अलावा विकल्प भी जरूरी

हालांकि अमेरिका के साथ जॉइंट मैन्युफैक्चरिंग की योजना अभी भी जारी है, लेकिन भारत का फ्रांस, जापान और ब्रिटेन जैसे देशों की ओर रुख करना यह दिखाता है कि वह टेक्नोलॉजी और सप्लाई चेन को लेकर विकल्पों को मजबूत करना चाहता है. यह किसी तरह से अमेरिका से संबंधों में खटास का संकेत नहीं है.

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और रोजगार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर देते रहे हैं ताकि आयात पर खर्च कम हो और देश में रोजगार के अवसर बढ़ें. भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है, लेकिन अब वह अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों से तकनीक लेकर देश में ही प्रोडक्शन बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है.

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