भारत 6G पेटेंट में 10% हिस्सेदारी रखेगा, 3 सैटकॉम कंपनियों को जल्द मिलेगी मंजूरी: सिंधिया

'अभी 6G की सर्विस पहले फेज में है. भारत इसके लिए प्रोटोकॉल के साथ फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के एलॉटमेंट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

(Photo source: Jyotiraditya Scindia/X)

6G के पेटेंट पर केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ा अपडेट दिया है. सिंधिया ने कहा कि, 'एक बार प्रोटोकॉल बनने के बाद देश को 10% 6G के पेटेंट मिलने की उम्मीद है. भारत वैश्विक स्तर पर 6G को बढ़ाने के लिए तैयार है.'

NDTV Profit से बात करते हुए, सिंधिया ने बताया कि 'अभी 6G अब भी शुरुआती चरण में है. भारत इसके लिए प्रोटोकॉल के साथ फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के अलॉटमेंट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. इस समय इन दोनों मुद्दों पर विश्व रेडियो संचार सम्मेलन (WRC) में बातचीत चल रही है.'

WRC की बात करें तो ये इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन का एक अहम अंतरराष्ट्रीय मंच है, जहां पर फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के एलॉटमेंट का रिव्यू और इसमें बदलाव किए जाते हैं. 6G के लिए, WRC स्पेक्ट्रम बैंड से लेकर शुरुआती रूपरेखा बनाने पर काम कर रहा है. हालांकि, सिंधिया ने इस बात पर जोर दिया कि ये बातचीत अभी प्रोसेस में है.

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ने बताया कि कहा, '6G के लिए विश्व स्तर पर स्पेक्ट्रम और फ्रीक्वेंसी पर रिसर्च अभी चल रही है. इसमें अभी समय लगेगा. इंटरनेशनल रेगुलेटर बॉडीज कई फ्रीक्वेंसी रेंजों की जांच कर रहीं हैं.'

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वहीं घरेलू मोर्चे की बात करें तो सिंधिया ने टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर की तरक्की को बताते हुए कहा कि, 'BSNL ने अब तक 93,450 से अधिक टेलीकॉम टावर लगाए हैं. सरकारी ऑपरेटर के नेटवर्क को आगे बढ़ाने के लिए कमीशनिंग और साइट कमीशनिंग और फाइनल टेस्टिंग (SCFT) प्रोसेस में है.

उन्होंने टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग में भारत की ताकत पर बात की. साथ ही देश में स्वदेशी 4G टेलीकॉम स्टेक को बनाने का श्रेय C-DOT, तेजस नेटवर्क्स और TCS को दिया, जो आत्मनिर्भरता और भविष्य की तैयारी की दिशा को दर्शा रहा है.

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया, 'भारत अभी सैटेलाइट बेस्ड कम्युनिकेशन जैसी उभरती टेक्नॉलॉजी पर काम कर रहा है. इसके लिए तीन कंपनियां की एप्लीकेशन सैटकॉम लाइसेंस और परमिट के लिए प्रोसेस में है. परमिशन मिलने के बाद, ऑपरेशन शुरू करना सैटकॉम कंपनियों पर निर्भर करेगा, जिसके बाद भारत के टेलीकॉम इकोसिस्टम में सैटेलाइट की भागेदारी बढ़ती जाएगी.

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