Hindenburg Research: झूठ की दुकान पर परमानेंट ताला! भ्रामक रिपोर्ट्स से मार्केट को नुकसान पहुंचाने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च क्यों हो रही बंद?

हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन ने कहा है कि काफी बातचीत और विचार करने के बाद कंपनी बंद करने का फैसला लिया गया है. हालांकि इसका कोई विशेष कारण नहीं बताया.

Hindenburg Research Shutting Down: कई बार फर्जी और तथ्यहीन रिपोर्ट्स के जरिये शेयर मार्केट को नुकसान पहुंचा कर खुद मुनाफा कमाने वाली अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म (US Short-Seller) हिंडनबर्ग रिसर्च बंद होने जा रही है. साल 2017 में शुरू हुई कंपनी 8 साल से कम समय के भीतर ही बंद हो रही है. कंपनी के फाउंडर नाथन एंडरसन ने बुधवार देर रात इसके घोषणा की.

शॉर्ट सेलर कंपनी ने अदाणी ग्रुप की कंपनियों को लेकर 2 बार बेबुनियाद आरोप लगाए, जिससे शेयर मार्केट के लाखों निवेशकों को नुकसान पहुंचा और ग्रुप कंपनियों को भी. हालांकि अदाणी ग्रुप ने आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया और जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी क्लीन चिट मिली. दोनों ही बार अदाणी ग्रुप मजबूती से उभरा, निवेशकों को अपना विश्वास बनाए रखा और उन्हें इसका फायदा भी मिला.

शॉर्ट-सेलिंग फर्म ने इकान इंटरप्राइजेज समेत कई अन्य कंपनियों को भी नुकसान पहुंचाया. इसने SEBI चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर भी कई आरोप लगाए थे, जिसे प्रमाणों के साथ खारिज किया जा चुका है.

Also Read: अदाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग के आरोपों में क्यों नहीं था दम? जाने माने वैल्युएशन एक्सपर्ट, अश्वत दामोदरन ने बताया

कोई विशेष कारण नहीं बताया!

हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन ने कहा है कि काफी बातचीत और विचार करने के बाद कंपनी बंद करने का फैसला लिया गया है. हालांकि इसका कोई विशेष कारण नहीं बताया.

नाथन एंडरसन ने एक नोट में लिखा, 'जैसा कि मैंने पिछले साल के अंत से ही अपने परिवार, दोस्तों और अपनी टीम के साथ साझा किया, मैंने हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग करने का निर्णय लिया है. योजना ये थी कि हम जिन विचारों पर काम कर रहे थे, उनके पूरे होते ही इसे बंद कर दिया जाएगा. और हाल ही में जिन पोंजी मामलों को हमने पूरा किया है और नियामकों के साथ साझा कर रहे हैं, वो दिन आज आ गया है.'

एंडरसन ने लिखा, 'कोई खास बात नहीं है, कोई खास खतरा नहीं, कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं, और कोई बड़ा पर्सनल मुद्दा भी नहीं.'

नोट में एंडरसन की आत्ममुग्धता जाहिर

हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी भले ही एंडरसन के साथ कई और लोगों के सपोर्ट से खड़ी हुई हो, लेकिन अपने नोट में नाथन एंडरसन की आत्ममुग्धता साफ तौर पर दिख रही है. शुरू से अंत तक केवल मैं, मैंने, मेरा, मुझे, मुझसे... जैसे शब्दों की भरमार है. नोट में 'एको अहं द्वितीयो नास्ति' वाला भाव स्पष्ट दिख रहा है, यानी कि 'मैं ही एक हूं, दूसरा कोई नहीं'.

एंडरसन ने नोट में लिखा, '​​​मैं ये सब खुशी से लिख रहा हूं. इसे बनाना मेरे जीवन का सपना रहा है. ये आसान नहीं था. लेकिन खतरे को लेकर अनुभवहीन 'मैं' मैग्नेट की तरह इसकी तरफ खिंचा चला गया.'

Also Read: हिंडनबर्ग से लेकर OCCRP तक... BJP सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने संसद में खोला भारत विरोधी विदेशी ताकतों का काला चिट्ठा

हालातों का रोना रोया!

दुनिया में ऐसे अनगिनत उदाहरण मिल जाएंगे, जो गरीबी में पैदा हुए, मुफलिसी में बड़े हुए, लेकिन चुनौतियों से जूझते हुए खुद को साबित किया, वो भी किसी गलत रास्ते का इस्तेमाल किए बिना, ईमानदारी से. लेकिन झूठे और भ्रामक रिपोर्ट्स के जरिये 'बदनाम' हो चुके एंडरसन के सामने जब कंपनी बंद करने की नौबत आई तो वे परिस्थितियों का रोना रोते दिखे. देखिए, उनके नोट का कुछ और हिस्सा.

एंडरसन ने आगे लिखा, 'जब मैंने ये काम शुरू किया, तो मुझे संदेह था कि मैं सक्षम हूं. मेरे पास पारंपरिक वित्तीय पृष्ठभूमि नहीं थी. मेरे कोई भी रिश्तेदार इस क्षेत्र में नहीं हैं. मैं एक सरकारी स्कूल में गया. मैं कोई चालाक सेलर नहीं. मुझे पहनने के लिए सही कपड़ों के बारे में नहीं पता. मैं गोल्फ नहीं खेल सकता. मैं कोई सुपरह्यूमन नहीं हूं, जो 4 घंटे की नींद लेकर काम कर सकता है. अपनी अधिकांश नौकरियों में मैं एक अच्छा कर्मचारी था, लेकिन ज्यादातर अनदेखा किया जाता था.'

Also Read: हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आरोपों को बाजार ने किया खारिज, कानून से लेकर मार्केट के एक्सपर्ट्स की क्या है मामले पर राय?

आगे लिखा, 'जब मैंने शुरुआत की थी, तब मेरे पास पैसे नहीं थे- और गेट से बाहर निकलते ही 3 मुकदमे झेलने के बाद, मेरे पास जल्द ही पैसे नहीं बचे. अगर मुझे ब्रायन वुड का समर्थन न मिलता, जिन्होंने मेरे वित्तीय संसाधनों की कमी के बावजूद मामलों को संभाला, तो मैं शुरुआती मोर्चे पर ही असफल हो जाता. मेरा एक नवजात बच्चा था और उस समय मुझे बेदखल किया जा रहा था. मैं डरा हुआ था. मैंने अपने डर और असुरक्षाओं के बावजूद इसे आगे बढ़ने दिया.

किसी ने एक बार मुझसे कहा था कि एक तय पॉइंट पर एक सफल करियर एक स्वार्थी कार्य बन जाता है. अब मुझे आखिरकार खुद के साथ कुछ आराम मिला है, शायद मेरे जीवन में ये पहली बार है. अगर मैंने खुद को जाने दिया होता तो शायद मैं यह सब पहले ही कर सकता था, लेकिन मुझे पहले नरक से गुजरना पड़ा. यह फोकस बाकी दुनिया और उन लोगों को खोने की कीमत पर आया है, जिनकी मुझे परवाह है. अब मैं हिंडनबर्ग को अपने जीवन का एक अध्याय मानता हूं, न कि सबकुछ जो मुझे परिभाषित करती है.

अब क्या करेंगे एंडरसन और उसके साथी?

एंडरसन ने नोट में बताया है​ कि कैसे उन्होंने बिना किसी स्पष्ट योजना के 11 लोगों की एक टीम बनाई. उसने स्वीकार किया है कि उसके काम को लेकर उसे मुकदमे झेलने पड़े हैं. जहां तक आगे की प्लानिंग की बात है, एंडरसन की दिलचस्पी सिर्फ अपने पैसों को निवेश करने में है, जबकि उसके कुछ साथियों ने अपना फर्म शुरू करने की योजना बनाई है.

एंडरसन ने लिखा, 'मैं अपने परिवार के साथ समय बिताने, अपने शौक पूरे करने और घूमने-फिरने के लिए उत्सुक हूं. मैंने उनके लिए पैसा कमाया है. मैं अपना पैसा इंडेक्स फंड और कम तनाव देने वाली चीजों में निवेश करने की प्लानिंग कर रहा हूं.'

Also Read: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर माधबी पुरी बुच और धवल बुच का जवाब, समझें क्रोनोलॉजी

आगे उसने लिखा, 'फिलहाल मैं इस पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं कि मेरी टीम के सभी लोग उस जगह पर पहुंचें, जहां वे आगे बढ़ना चाहते हैं. कुछ लोग अपनी खुद की रिसर्च फर्म शुरू करने जा रहे हैं, जिसे मैं दृढ़ता से और सार्वजनिक रूप से प्रोत्साहित करूंगा, भले ही मैं इसमें व्यक्तिगत रूप से शामिल न होऊं. हमारी टीम में ऐसे अन्य लोग भी हैं जो अब स्वतंत्र एजेंट हैं.'

एंडरसन ने लिखा, 'मैं परिवार और दोस्तों से उन पलों के लिए माफी चाहता हूं जब मैंने आप सबको नजरअंदाज किया और मेरा ध्यान कहीं और चला गया. मैं अपने पाठकों का आभार जताना चाहता हूं.'

Also Read: हिंडनबर्ग रिपोर्ट का चीन कनेक्शन, अदाणी ग्रुप के खिलाफ विदेशी साजिश का पर्दाफाश, समझिए पूरा मामला