एसएंडपी ने भारत की सॉवरेन रेटिंग यथावत रखी, सरकार ने कहा - आत्मविश्लेषण करें रेटिंग एजेंसियां

देश की वित्तीय साख में सुधार की सरकार की उम्मीदों को झटका देते हुए अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने देश की वित्तीय साख को ‘बीबीबी-ऋणात्मक’ के स्तर पर बरकरार रखा है साथ ही अगले साल भी आर्थिक इसी तरह स्थिर बने रहने का अनुमान लगाया है.

फाइल फोटो

देश की वित्तीय साख में सुधार की सरकार की उम्मीदों को झटका देते हुए अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने देश की वित्तीय साख को ‘बीबीबी-ऋणात्मक’ के स्तर पर बरकरार रखा है साथ ही अगले साल भी आर्थिक इसी तरह स्थिर बने रहने का अनुमान लगाया है. एजेंसी ने राजकोषीय स्थिति की कमजोरी का हवाला देते देश की साख के मौजूदा स्तर से उंचे स्तर पर पहुंचने की संभावना से इनकार किया है.

वहीं, सरकार ने बुधवार को भारत की सॉवरेन रेटिंग का उन्नयन न करने के लिए वैश्विक रेटिंग एजेंसियों को आड़े हाथ लिया. सरकार ने कहा कि इतने सुधार के बाद भी भारत की रेटिंग में सुधार न करने वाली एजेंसियों को आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर निवेशकों का मानना है कि भारत की रेटिंग को ‘कम’ या निचले स्तर पर रखा गया है.

आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि सरकार आर्थिक सुधार और नीतियों की राह पर आगे चलना जारी रखेगी. दास ने कहा, "यदि रेटिंग में सुधार नहीं होता है, तो यह ऐसा मामला है जो हमें अधिक परेशान नहीं करता है. यह ऐसा सवाल है जिसके जवाब में रेटिंग करने वालों को आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है."

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने एक वक्तव्य में कहा है, "इस स्थिर परिदृश्य से ही भारत की बाहरी मोर्चे पर मजबूती तथा समावेशी नीतिनिर्माण परंपरा और निम्न प्रति व्यक्ति आय तथा कमजोर सार्वजनिक वित्तीय स्थिति के बीच संतुलन बना हुआ है." इसमें कहा गया है, ""अनुमान व्यक्त करने के हमारे मौजूदा मानदंडों के आधार पर परिदृश्य से यह संकेत मिलता है कि इस साल और अगले साल के लिये भारत की रेटिंग में बदलाव की कोई उम्मीद नहीं है." ‘बीबीबी ऋणात्मक’ रेटिंग निवेश योग्य श्रेणियों की सबसे निचली दर्जे की रेटिंग है.

एसएंडपी का कहना है कि उस पर क्रेडिट रेटिंग को बढ़ाने का दबाव तभी बनेगा जब सुधारों से सरकार की वित्तीय स्थिति में उल्लेखनीय सुधार दिखाई दे और सरकार का सामान्य ऋण जीडीपी के 60 प्रतिशत से नीचे आ जाए. भारत सरकार का इस समय घरेलू ऋण जीडीपी का 69 प्रतिशत तक पहुंच चुका है.

एजेंसी ने कहा है कि नीति निर्माण में सुधार के बावजूद वित्तीय घाटे, भारी ऋण बोझ और निम्न प्रति व्यक्ति आय की चिंता लगातार बढ़ी है. उसका कहना है कि यदि सुधार आगे नहीं बढ़ते हैं, ब्याज दर तय करने वाली मौद्रिक नीति समिति मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाती है और वृद्धि दर निराश करती है तो रेटिंग कम करने का दबाव उस पर फिर से बढ़ जाएगा.  

एसएंडपी ने कहा है भारत की बाह्य तरलता स्थिति में उम्मीद से ज्यादा कमजोरी आने से भी उसपर रेटिंग को कम करने का दबाव बढ़ेगा. रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि 2016 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रहेगी. इस दौरान चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.4 प्रतिशत रहेगा. एजेंसी को यह भी उम्मीद है कि रिजर्व बैंक मार्च 2017 तक पांच प्रतिशत के मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल कर लेगा. एसएंडपी ने इससे पहले सितंबर 2014 में भारत की रेटिंग को बढ़ाकर नकारात्मक से स्थिर कर दिया था.

एजेंसी का कहना है कि उसने भारत की जो रेटिंग दी है उससे भारत के बाहरी मोर्चे पर मजबूती स्थिति और मौद्रिक साख में आया सुधार परिलक्षित होता है. एजेंसी ने कहा है कि भारत के मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाना और स्वतंत्र मीडिया उसकी नतियों को स्थिरता और विश्वसनीयता को बढ़ाते हैं.

सरकार द्वारा जीएसटी विधेयक को पारित कराने और राजनीतिक दलों के बीच इसके लिये आम सहमति कायम करने में सफल रहने की प्रशंसा करते हुए रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि इससे वर्ष 2017 की पहली छमाही में व्यापक कर सुधार अमल में आ सकते हैं. एजेंसी ने अन्य सुधारों में व्यावसायिक माहौल को बेहतर बनाना, श्रम बाजार में लचीलापन बढ़ाना और उर्जा क्षेत्र में सुधारों को अहम बताया है.

भारत की रेटिंग बढ़ने की आशाओं पर एजेंसी ने कहा कि 2016 में भारत की 1,700 डालर की प्रति व्यक्ति निम्न जीडीपी रहा है. हालांकि भारत की वृद्धि दर उसके समकक्ष दूसरे देशों से अधिक रही है और यह आगे बढ़ रही है. रेटिंग एजेंसी को 2016 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रहने और 2016-2018 के बीच औसतन 8 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

लेखक NDTV Profit Desk
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