Online Travel Scams: 51% भारतीय हो रहे ऑनलाइन ट्रैवल फ्रॉड का शिकार, इनसे बचें कैसे?

59% भारतीय, जेब कटने, छिनौती होने जैसे खतरों की तुलना में डिजिटल खतरों के बारे में अधिक चिंतित रहते हैं.

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Indians Faces Online Travel Scams: कोविड महामारी के बाद देश में जैसे-जैसे टूरिज्म सेक्टर बढ़ रहा है, ऑनलाइन ट्रैवल स्कैम की संख्या भी बढ़ रही है. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी संख्या में ट्रैवलर्स, बुकिंग करते समय छूट के नाम पर ठगी का शिकार हुए हैं. इनमें भारतीय भी शामिल हैं.

McAfee ने 7 देशों के 7000 लोगों पर सर्वे किया और 'Safer Holidays' नाम से ट्रैवल रिपोर्ट जारी की है. जिन 7000 लोगों को इस सर्वे में शामिल किया गया, उनमें से 1,010 भारतीय हैं.

51% भारतीय हुए फ्रॉड के शि​कार

इस सर्वे में पाया गया कि 51% भारतीय ट्रैवलर, बुकिंग के दौरान पैसे बचाने की कोशिश में ऑनलाइन ठगी का शिकार हुए. सर्वे रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ कि ठगी के शिकार 77% लोग यात्रा शुरू होने से पहले ही 1,000 डॉलर यानी 83,000 रुपये तक गंवा चुके थे.

रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि भारत में छुट्टियों के लिए सफर पर निकलने वाले 62% लोगों ने कहा कि वो इस साल देश के भीतर ही ट्रैवल करेंगे. वहीं 42% लोगों ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने की बात कही है.

पैसे बचाने के लिए डेस्टिनेशन तक चेंज!

रिपोर्ट के अनुसार, हालिया आर्थिक परिवेश में पैसे बचाने के लिए 54% भारतीय ऑनलाइन बार्गेनिंग पसंद करते हैं. इनमें से 50% ऐसी डील को तुरंत चुन लेते हैं. 44% भारतीय नई बुकिंग साइट ट्राय करते हैं और यहां तक कि 47% भारतीय पैसे बचाने के लिए डेस्टिनेशन तक बदल डालते हैं.

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कैसे-कैसे होते हैं फ्रॉड का शिकार?

फ्री वाई-फाई नेटवर्क से जुड़ने, हवाईअड्डे या रेलवे स्टेशन पर मुफ्त USB चार्जिंग पोर्ट का इस्तेमाल करने, चेक आउट करने के बाद भी अपने डिजिटल अकाउंट्स लॉग इन छोड़ देने जैसी गतिविधियां लोगों को ऑनलाइन धोखाधड़ी के खतरे में डालती हैं.

27% भारतीय, गलत प्लेटफॉर्म से पेमेंट करने के ​चलते ट्रैवल स्कैम का शिकार हो जाते हैं. ऑनलाइन बुकिंग के दौरान 36% लोगों की पहचान और सूचनाएं चुरा ली जाती हैं. इनमें से 13% लोग फर्जी वेबसाइट्स पर अपने पासपोर्ट की जानकारी डाल देते हैं, जबकि 23% लोग व्यक्तिगत जानकारियां शेयर कर डालते हैं.

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जेब कटने से ज्यादा खतरा ऑनलाइन स्कैम का

सर्वे में शामिल 46% उत्तरदाताओं को लगता है कि जब वे छुट्टियों के दौरान इंटरनेट से जुड़ते हैं तो उनकी व्यक्तिगत जानकारी कम सुरक्षित होती है. केवल 61% अपनी ऑनलाइन पहचान की सुरक्षा की निगरानी के लिए किसी सर्विस का इस्तेमाल करते हैं. वहीं 33% इन परिस्थितियों में VPN का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 59% भारतीय, जेब कटने, छिनतई होने जैसे फिजिकली खतरों की तुलना में डिजिटल खतरों के बारे में अधिक चिंतित हैं. 94% लोग अपनी यात्रा के दौरान अपनी व्यक्तिगत पहचान से समझौता करने को लेकर थोड़ी या ज्यादा चिंतित रहते हैं.

ऊपर आपने पूरी रिपोर्ट तो पढ़ ली, अब बड़ा सवाल ये है कि ऑनलाइन फ्रॉड से बचें कैसे? किन बातों का ध्यान रखें और क्या सावधानियां बरतें?

1). किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले सोचें

साइबर अपराधी लोगों को ऐसे लिंक पर क्लिक करने के लिए लुभाते हैं और फिशिंग ईमेल या नकली साइटों का इस्तेमाल करते हैं, जहां से फ्रॉड की शुरुआत होती है. यदि आपको ऐसे मेल या मैसेज मिलते हैं, जिसमें ट्रैवल डील बेहद लुभावने होते हैं तो उनकी अच्छे से पड़ताल करें. हमेशा सीधे सोर्स पर जाएं और प्रतिष्ठि​त कंपनियों को प्राथमिकता दें.

2). सावधानी से जुड़ें, VPN का इस्तेमाल करें

यात्रा के दौरान सार्वजनिक वाई-फाई से कनेक्ट करते समय सतर्क रहें. कनेक्ट होने से पहले ये सुनिश्चित करें कि वाई-फाई सुरक्षित है और एक विश्वसनीय स्रोत से जुड़ा हुआ है. बैंकिंग, खरीदारी या ऑनलाइन ब्राउज करते समय अपने व्यक्तिगत डेटा और गतिविधि की सुरक्षा के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का इस्तेमाल करें.

3). बुक करने से पहले पूरी जांच पड़ताल कर लें

प्राइवेट वेकेशन रेंटल वैध है या नहीं, इसकी पुष्टि करने के लिए पब्लिक रिकॉर्ड में संपत्ति के मालिक के नाम की जांच जरूर कर लें. जैसे, जिस होटल में आप ठहरने वाले हों, जिस बस से आप सफर करने वाले हों. प्रीपेड कार्ड या गिफ्ट कार्ड द्वारा किराये का भुगतान न करें. यदि किराया बेहद आकर्षक या गलत दिखता हो तो भी इस प्रकार के लेन-देन संभलकर करें, क्योंकि हर स्थिति में वापसी संभव नहीं होती.

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