अमेरिका-चीन की ओर से टैरिफ घटाने से डॉलर में तेजी, रुपया पर भी दिखेगा दबाव

अमेरिका ने 90 दिनों के लिए कुछ टैरिफ को अस्थायी तौर पर घटाने की सहमति जताई है. डॉलर में 0.8% तक की तेजी देखने को मिली है.

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर (Trade War) घटने के बाद डॉलर इंडेक्स में तेजी आई है और सरकारी बॉन्ड्स में बिकवाली हुई है. अमेरिका ने 90 दिनों के लिए कुछ टैरिफ को अस्थायी तौर पर घटाने की सहमति जताई है. डॉलर (US Dollar) में 0.8% तक की तेजी देखने को मिली है. वहीं येन लुढ़का है.

अमेरिकी 10-ईयर बॉन्ड यील्ड छह बेसिस पॉइंट्स चढ़कर 4.43% पर पहुंच गई है जो करीब एक महीने में सबसे ऊंचा स्तर है.

सोमवार को फॉरेक्स मार्केट बंद है, मगर अमेरिकी डॉलर की मजबूती का रुपये पर असर पड़ सकता है.

बाजार पर क्या असर होगा?

ये बाजारों के लिए एक अहम चीज है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से वैश्विक व्यापार को फिर से संगठित करने की कोशिशों से प्रभावित हुए हैं. उन्होंने चीन पर खास तौर पर टैरिफ लगाया, जिससे ट्रेड वॉर और मंदी की आशंका बढ़ गई थी.

क्रेडिट एग्रीकोल SA में G10 FX स्ट्रैटजी के प्रमुख वैलेंटिन मैरिनोव ने कहा, 'ये G10 जोखिम के लिए सकारात्मक है खासकर एंटीपोडियन मुद्राओं और अमेरिकी डॉलर के लिए. अमेरिका में ग्रोथ से जुड़े डर को कम करने से डॉलर-डिनोमिनेटिड एसेट्स में बाजार के विश्वास को वापस लाने में मदद मिलेगी.'

अमेरिका, चीन के बीच सहमति

अमेरिका और चीन 90 दिनों के लिए टैरिफ में बड़ी कटौती पर सहमत हुए. जिनेवा में बातचीत के बाद अमेरिका और चीन ने एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें संकेत दिया गया कि वो एक-दूसरे के प्रोडक्ट्स पर टैरिफ को अस्थायी रूप से कम करेंगे. इससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए तीन और महीने मिल गए हैं.

घोषणा के बाद स्विस फ्रैंक और यूरो भी डॉलर के मुकाबले गिर गए. अमेरिकी एसेट्स में गिरावट के बीच एक सुरक्षित स्थान के रूप में उभरी आम करेंसी में 1.2% की गिरावट आई जिससे ये इस साल के सबसे खराब दिन की ओर बढ़ गई.

मनी मार्केट ने फेड ब्याज दर में कटौती पर दांव कम कर दिया है. स्वैप ने पिछले हफ्ते जुलाई की तुलना में सितंबर में एक चौथाई अंक की कटौती का पक्ष लिया. ये देश के आर्थिक आउटलुक पर चिंता कम होने को दिखाता है.

Also Read: भारत के विरोध के बावजूद IMF ने पाकिस्तान को दिया 1 बिलियन डॉलर का कर्ज; भारत ने वोटिंग में नहीं लिया हिस्सा