आने वाले साल 2025 में क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन के दायरे में आएगी. क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों और टोकनाइजेशन में शामिल इकाइयों के लिए एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क जारी किया जाएगा. मामले से जुड़े 2 लोगों ने NDTV Profit को ये जानकारी दी है.
उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) एसेट टोकनाइजेशन समिति की ओर से एक रिपोर्ट जारी किए जाने के बाद रेगुलेशंस को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है, जिसे आने वाले वर्ष में पेश किया जाना है.
देशभर में लागू होने की संभावना
जानकारों के मुताबिक, IFSCA सबसे पहले GIFT सिटी में क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने जा रहा है. हालांकि, ये उम्मीद की जा रही है कि घरेलू रेगुलेटर्स के हस्तक्षेप या कुछ बदलावों के साथ, बाद में पूरे देश में इस मॉडल काे लागू किया जा सकता है.
ये भी संभावना है कि जिस तरह से सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट (रेगुलेशन) एक्ट के तहत सिक्योरिटीज की परिभाषा में इक्विटी या डिबेंचर का जिक्र किया गया है, उसी तरह टोकनाइज्ड एसेट या क्रिप्टो को घरेलू रेगुलेशन के लिए इस परिभाषा में जोड़ा जा सकता है.
IFSCA ने पिछले साल बनाई थी कमिटी
GIFT सिटी को मॉनिटर करने वाले IFSCA ने पिछले साल क्रिप्टोकरेंसी और संबंधित क्षेत्रों के लिए रेगुलेटरी परिदृश्य का पता लगाने के लिए टोकनाइजेशन कमिटी का गठन किया था. इसके पीछे विचार ये था कि ऐसी संस्थाओं पर एक रूपरेखा बनाई जाए जो सिर्फ क्रिप्टो की बजाय एक तकनीक के रूप में टोकनाइजेशन पर काम करती हैं.
समिति की रिपोर्ट वो आधार देगी, जिस पर क्रिप्टो एक्सचेंज, टोकनाइजेशन प्रोजेक्ट्स और ऐसी अन्य फिनटेक गतिविधियों के लिए फाइनल रेगुलेशन लाए जाने की संभावना है. IFSCA के कानूनी परिदृश्य के अनुसार, मेटावर्स, Web3 और ब्लॉकचेन को टेकफिन माना जाता है और इसलिए उनके रेगुलेशन पर कुछ सामान्य आधार हो सकते हैं.
कई और प्रोजेक्ट्स कतार में
जानकार लोगों ने बताया कि IFSCA के सैंडबॉक्स में पहले से ही कई प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, जिनमें रियल एस्टेट, फंड यूनिट और बॉन्ड का टोकनाइजेशन शामिल है. उन्होंने कहा कि एक बार समिति की सिफारिशें सार्वजनिक हो जाने के बाद, ये उम्मीद की जाती है कि ज्यादा संस्थाएं रेगुलेशन के दायरे में आएंगी और नए फ्रेमवर्क के तहत काम करना चाहेंगी.
मौजूदा समय में, देश में क्रिप्टो एक्सचेंजों या अन्य टोकनाइजेशन प्रोजक्ट्स के लिए कोई स्पष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क नहीं है. केंद्रीय बैंक RBI ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लगातार प्रतिकूल राय बनाए रखी है. पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने उनकी तुलना ट्यूलिप रश से की थी.