बांग्लादेश संकट से क्या भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री बुनेगी कोई नई कहानी? गोकलदास एक्सपोर्ट्स के MD से समझिए

इस बात का जश्न आज शेयर बाजार में लिस्टेड टेक्सटाइल कंपनियों ने भी मनाया है. गोकलदास एक्सपोर्ट्स 17% से ज्यादा चढ़ा है.

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पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में बिगड़ते राजनीतिक हालातों के बीच एक चिंता वहां की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को लेकर भी है. दुनिया के बड़े बड़े ग्लोबल कपड़ों के ब्रैंड्स बांग्लादेश में मौजूद हैं. ऐसे में क्या भारत के लिए कोई मौका बनता है. गोकलदास एक्सपोर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर शिवारामकृष्णन गणपति का कहना है कि ऐसे क्लोदिंग ब्रैंड्स के लिए जिनका बांग्लादेश में बड़ा एक्सपोजर है, अगर वो वहां से कहीं और जाना चाहते हैं, तो भारत उनके लिए वो जगह हो सकती है.

'भारत अपने आप ही अच्छा विकल्प'

बांग्लादेश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गारमेंट एक्सपोर्टर है. शिवारामकृष्णन गणपति का कहना है कि कई क्लोदिंग ब्रैंड्स जो कि अपना सोर्सिंग ऑप्शन डायवर्सिफाई करने की सोच रहे थे, बांग्लादेश में हुई घटना के बाद अब वो इसके बारे में आगे विचार कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में भारत अपने आप ही उनके लिए एक अच्छा विकल्प बन जाता है, क्योंकि भारत के पास एक विशाल सप्लाई चेन है.

इस बात का जश्न आज शेयर बाजार में लिस्टेड टेक्सटाइल कंपनियों ने भी मनाया है. गोकुलदास एक्सपोर्ट्स 17% से ज्यादा चढ़ा है. KPR मिल, अरविंद टेक्सटाइल, वेल्सपन लिविंग में भी 8-14% तक की तेजी देखने को मिली है.

'भारत में मिलों का अच्छा बेस'

गणपति कहते हैं कि 'भारत में मिलों का एक बहुत अच्छा बेस मौजूद है, खासकर कॉटन विस्कोस में, और गारमेंट का एक मजबूत आधार भी है. ऐसे बहुत से रिटेलर्स होंगे जो भारत से बढ़ती सोर्सिंग पर विचार करेंगे.'

गोकलदास एक्सपोर्ट्स के MD गणपति का कहना है कि उनकी कंपनी बांग्लादेश में एक्सपोजर रखने के साथ ही, दुनिया भर में कई गारमेंट रिटेलर्स के साथ बिजनेस करती है. हालांकि, चीजें समय के साथ आकार लेंगी, क्योंकि सभी की निगाहें बांग्लादेश पर बनी हुई हैं, वहां की स्थिति कैसे सुलझती है, और देश में फ्रैक्ट्रियां कितनी जल्दी काम करना शुरू करती हैं.

रिटेलर्स करेंगे सोर्सिंग को लेकर चर्चा!

बांग्लादेश जहां कि गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग का एक बड़ा बेस है और जो कि दुनिया भर के कई रिटेलर्स के लिए एक सोर्स है, वहां की स्थितियां इस वक्त बिगड़ी हुई हैं. बांग्लादेश में पिछले महीने स्वतंत्रता सेनानियों और उनके वंशजों के लिए सरकारी नौकरियों, खासतौर पर सिविल सर्विसेज में 30% रिजर्वेशन को खत्म करने को लेकर मांग उठने लगी, धीरे-धीरे इसने एक आंदोलन का रूप ले लिया जिसके निशाने पर सीधे सरकार थी. हालात जब नहीं संभले तो प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दिया और देश छोड़कर चली गईं.

गणपति ने कहा, इस राजनीतिक उथल-पुथल की वजह से रिटेलर्स के बीच सोर्सिंग की जगह को लेकर चर्चा होने की संभावना है, ऐसा हुआ तो उनके दिमाग में भारत का नाम आएगा. फिर भी बांग्लादेश से ऑर्डर्स को डायवर्सिफाई करने या उनमें बदलाव करने के लिए जल्द ही कोई कदम देखने को मिलेगा.

हालांकि गणपति ये मानते हैं कि भारत के मुकाबले बांग्लादेश के पास कम लेबर कॉस्ट, कमजोर करेंसी और यूरोपीय बाजारों तक फ्री एक्सेस जैसे फायदे हैं. साथ ही वो ये भी मानते हैं कि जैसे ही ब्रिटेन या यूरोप के साथ भारत के मुक्त-व्यापार-समझौते आकार लेंगे, ये एक लेवल प्लेइंग फील्ड का मौका होगा, लेकिन बांग्लादेश को फिलहाल फायदा मिल रहा है.