SEBI ने FPIs पर बढ़ाई सख्ती, 1 नवंबर से अतिरिक्त डिस्क्लोजर के नियम होंगे लागू

FPIs के लिए अतिरिक्त डिस्क्लोजर को लेकर प्रस्तावों को मार्केट रेगुलेटर ने जून की बोर्ड मीटिंग में मंजूरी दी गई थी.

Source: Reuters

अब उन फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स (FPIs) को और ज्यादा डिस्क्लोजर देने होंगे, जिनकी होल्डिंग किसी एक कंपनी या ग्रुप फर्म में है. मार्केट रेगुलेटर SEBI ने शेयर बाजार में ज्यादा से ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए ये कदम उठाया है.

1 नवंबर से अतिरिक्त डिस्क्लोजर के नियम

ऐसे FPIs को अब किसी भी स्वामित्व, आर्थिक हित और नियंत्रण अधिकार वाली सभी संस्थाओं के बारे में बताना अनिवार्य होगा. SEBI ने इन डिस्क्लोजर्स या खुलासों को बताने के लिए एक समयसीमा भी निर्धारित की है. नया फ्रेमवर्क 1 नवंबर, 2023 से लागू होगा.

ये है FPIs का क्राइटेरिया

  1. FPIs जो किसी एक कॉर्पोरेट ग्रुप में अपने इक्विटी एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) का 50% से ज्यादा रखते हैं, उन्हे अतिरिक्त डिस्क्लोजर देना होगा.

  2. FPIs जिनका भारतीय शेयर बाजार में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश है, उन्हें अतिरिक्त डिस्क्लोजर देना होगा

FPIs के लिए अतिरिक्त डिस्क्लोजर को लेकर प्रस्तावों को मार्केट रेगुलेटर ने जून की बोर्ड मीटिंग में मंजूरी दी गई थी. जबकि मई में इसे लेकर रेगुलेटर ने एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया था. जिसमें SEBI ने FPIs के लिए रिस्क बेस्ड 3 कैटेगरी बनाने का प्रस्ताव दिया था.

  • कम जोखिम (Low Risk): सॉवरेन फंड और सेंट्रल बैंक फंड जैसी सरकारी संस्थाएं पात्र होंगी.

  • मध्यम जोखिम (Moderate Risk): विविध निवेशक बेस के साथ पेंशन या पब्लिक रिटेल फंड

  • उच्च जोखिम (High Risk): अन्य सारे विदेशी निवेश (FPIs)

SEBI का कहना है कि अतिरिक्त डिस्क्लोजर्स का मकसद मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग और अधिग्रहण टेकओवर नियमों में होने वाली हेरफेर या गड़बड़ियों को रोका जाए.

इनको डिस्क्लोजर की जरूरत नहीं

हालांकि, कुछ FPIs जिनके पास व्यापक निवेश आधार के साथ एक व्यापक-आधारित, पूल स्ट्रक्चर है. उन्हें SEBI के आदेश से छूट दी गई है. इसमें सरकार और सरकार से संबंधित निवेशक, पब्लिक रिटेल फंड, भारतीय बाजार में 50% से कम एक्सपोजर वाले एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड और रेगुलेटर की ओर से नोटिफाइड तय एक्सचेंज में लिस्टेड संस्थाएं शामिल हैं.

क्या है समयसीमा?

अगर FPIs रेगुलेटर की ओर से दी गई समयसीमा के भीतर अपने एक्सपोजर को फिर से बदलता है, तो डिस्क्लोजर की जरूरत नहीं होगी. एक सिंगल कॉर्पोरेट ग्रुप में 50% से ज्यादा AUM रखने वाले FPI के पास अपना एक्सपोजर कम करन के लिए उस तारीख से 10 ट्रेडिंग दिन होंगे, जिस दिन ऐसे FPIs ने सीमा को पार किया था. मतलब उन्हें 10 दिन के अंदर वापस अपनी तय सीमा के अंदर आना होगा. ऐसे ही, FPS या FPIS समूह जिसका एक्सपोजर 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है, उसके पास 90 कैलेंडर दिन होंगे.