SEBI ने AIFs के लिए जारी किए नए नियम, निवेशकों को लेकर करना होगा सख्त एनालिसिस

इसका मकसद नियमों का उल्लंघन रोकना है. SEBI का सर्कुलर तुरंत प्रभाव से लागू हो रहा है.

SEBI Chairperson Madhabi Puri Buch. (Source: NDTV Profit)

शेयर बाजार रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने नए कदमों का ऐलान किया है, जिनका अल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड्स (AIFs), उनके मैनेजर्स और मुख्य अधिकारियों को पालन करना होगा. इसका मकसद नियमों का उल्लंघन रोकना है. SEBI का सर्कुलर तुरंत प्रभाव से लागू है.

क्या कहते हैं नियम?

इनमें उन मामलों का समाधान करने की कोशिश की गई है, जिनमें निवेशक क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स या क्वालिफाइड बायर्स के लिए रिजर्व्ड बेनेफिट्स को बिना योग्यता के ले सकते हैं. SEBI नियमों के तहत AIFs को QIBs के तौर पर मान्यता दी गई है.

अयोग्य निवेशकों को AIFs के जरिए बेनेफिट्स लेने से रोकने के लिए SEBI ने सख्त ड्यू डिलिजेंस (किसी फैसले पर पहुंचने से पहले विश्लेषण करना) का प्रस्ताव रखा है.

अगर निवेशक या निवेशकों का समूह AIF के कॉर्पस में 50% या ज्यादा का योगदान देता है, तो AIF को AIFs के लिए स्टैंडर्ड सेटिंग फोरम के साथ कंप्लायंस सुनिश्चित करना होगा.

SEBI ने SARFAESI एक्ट के तहत AIFs को QIBs के तौर पर मान्यता दी है. इससे उन्हें एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों की ओर से जारी सिक्योरिटी रिसिप्ट्स में निवेश करने की इजाजत मिलेगी. इस क्षेत्र में भी ड्यू डिलिजेंस को अनिवार्य किया गया है.

लोन के मामले में भी की सख्ती

SEBI ने RBI द्वारा AIFs के जरिए रेगुलेटेड कर्जदाताओं की ओर से स्ट्रेस्ड लोन्स की एवर-ग्रीनिंग (जो कर्जधारक लोन नहीं चुका पा रहा है, उसे नए लोन देना) को रोकने के लिए भी कदम उठाए हैं. अगर AIF में RBI द्वारा रेगुलेटेड निवेशक या मैनेजर शामिल है, उसके लिए ड्यू डिलिजेंस करना जरूरी है.

इसके अलावा ये AIFs इस तरीके से निवेश नहीं कर सकते हैं जिसमें RBI द्वारा रेगुलेटेड लेंडर किसी ऐसी कंपनी में अप्रत्यक्ष तौर पर इंट्रेस्ट रख सकता है, जिसमें उसे ऐसा सीधे करने की इजाजत नहीं है.

अन्य देशों से निवेश पर भी देना होगा ध्यान

AIFs को ऐसे देशों की एंटिटीज या इंडीविजुअल्स से निवेश लेते समय भी ड्यू डिलिजेंस करना होगा जिनकी भारत के साथ सीमा लगती है. अगर ऐसे देशों से निवेशक AIF स्कीम के कॉर्पस में 50% से ज्यादा का योगदान करते हैं, तो SFA द्वारा तय स्टैंडर्ड्स का अनुपालन जरूरी होगा. इन निवेश की डिटेल्स कस्टोडियंस को 30 दिनों के भीतर देनी होगी.

SEBI ने अपने मौजूदा निवेश पर ड्यू डिलिजेंस चेक्स को पूरा करने के लिए AIFs के लिए 7 अप्रैल 2025 की डेडलाइन तय की है. कस्टोडियंस को इस जानकारी को इकट्ठा करके 7 मई 2025 तक सब्मिट करना होगा. इसके अलावा सर्कलुर के अनुपालन को AIF मैनेजर्स द्वारा तैयार की गई कंप्लायंस टेस्ट रिपोर्ट में शामिल करना होगा.

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