एक उच्च स्तरीय समिति को अमेरिका से इंपोर्ट पर टैरिफ राहत की समीक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई है. समिति की ओर से एक रिपोर्ट 15 मार्च तक सौंपे जाने की उम्मीद है. एक सरकारी सूत्र ने NDTV प्रॉफिट को ये जानकारी दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की योजना 2 अप्रैल तक भारतीय एक्सपोर्ट पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की है, उसके ठीक पहले ही भारत की ओर से ये कदम उठाया गया है.
क्या करेगा रिव्यू पैनल
वाणिज्य मंत्रालय के तहत गठित ये समिति अपने नतीजों को वाणिज्य मंत्रालय के साथ साथ वित्त मंत्रालय को भी सौंपेगी. ये समिति मूल रूप से संभावित टैरिफ कटौती के दायरे का आकलन कर रही है और उससे कहा गया है कि वो सबसे बेहतर कार्रवाई का सुझाव दे. सूत्र ने बताया कि इसका काम इंपोर्टेड चीजों का बारीकी से परीक्षण करना और टैरिफ एडजस्टमेंट को लेकर प्रस्ताव देना है.
जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने समझाया, 'समीक्षा खास तौर पर उन टैरिफ की होगी, जो वर्तमान में 15-20%, 50-70% और 70-80% के बीच हैं, और ये देखेगी कि क्या 8-डिजिट कोड में दर्ज विशिष्ट उत्पादों के लिए कस्टम उद्देश्यों की खातिर रेट एडजस्टमेंट किया जा सकता है.'
1 फरवरी को पेश किए गए आम बजट में, भारत ने बॉर्बन व्हिस्की पर टैरिफ को 150% से घटाकर 100% कर दिया और मछली हाइड्रोलाइजेट, स्क्रैप सामग्री, सैटेलाइट उपकरण, ईथरनेट स्विच और मोटरसाइकिल जैसे इंपोर्ट पर टैरिफ कम किए हैं.
एक बार समिति जब अपनी सिफारिशें देगी, तो टैरिफ राहत पर कोई भी अंतिम निर्णय लागू होने से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय इसकी जांच करेगा. ये सुनिश्चित करने के लिए कि सभी पॉलिसी में बदलाव रणनीतिक और आर्थिक लक्ष्यों के मुताबिक हों.
भारत के इस कदम से क्या होगा?
पॉलिसीमेकर्स का मानना है कि भारत विदेशी वस्तुओं पर ऊंचा टैरिफ लगाने की धारणा को हल करने में अत्यंत संवेदनशील रहा है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ऐसा कोई भी सक्रिय कदम भारत का अमेरिका के साथ संतुलित और रचनात्मक व्यापार संबंध बनाए रखने की इच्छा को दर्शाता है, साथ ही अपने आर्थिक हितों की रक्षा भी करता है.
रिव्यू पैनल का काम अमेरिका के प्रस्तावित टैरिफ के प्रति भारत की प्रतिक्रिया तय करने में महत्वपूर्ण होगा. ये बिल्कुल साफ है कि भारत ऐसे निर्णय लेना चाहता है जो न केवल अपने उद्योगों को फायदा पहुंचाए बल्कि आगे के व्यापार विवादों को भी रोकें.
इस बीच, अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौता वर्तमान में प्रगति पर है और इसे अगले 6-8 महीनों में पेश किए जाने की उम्मीद है. एक मुक्त व्यापार समझौते में, दोनों भागीदार एक-दूसरे के बीच आदान-प्रदान होने वाले ज्यादातर सामानों पर कस्टम ड्यूटी को समाप्त करने या काफी कम करने की दिशा में काम करते हैं. इसके अलावा, वो सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश को बढ़ाने के लिए नियमों में ढील देते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया वॉशिंगटन यात्रा के दौरान, भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर से अधिक करने का लक्ष्य घोषित किया. उन्होंने 2025 के अंत तक पहले चरण के पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के लिए बातचीत शुरू करने पर भी सहमति जताई.