New Parliament Building: नए संसद भवन के उद्घाटन पर 75 रुपये का ही सिक्का क्यों जारी करेगी सरकार?

वित्त मंत्रालय के मुताबिक ये खास सिक्का भारत की आजादी के 75 साल पूरा होने से भी जुड़ा होगा. इस सिक्के पर एक तरफ अशोक स्तंभ का सिंह शीर्ष होगा.

Source: centralvisra.gov.in

Rs 75 Coin Launch: 28 मई को देश को नया संसद भवन मिलने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इस मौके को यादगार बनाने के लिए सरकार 75 रुपये (₹75 Special Coin) का सिक्का जारी करेगी. वित्त मंत्रालय ने 75 रुपये के नए सिक्के को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है.

75 रुपये का ही सिक्का क्यों?

वित्त मंत्रालय के मुताबिक ये खास सिक्का भारत की आजादी के 75 साल पूरा होने से भी जुड़ा होगा. इस सिक्के पर एक तरफ अशोक स्तंभ का सिंह शीर्ष होगा. इसके नीचे सत्यमेव जयते अंकित होगा. वहीं, बाईं ओर देवनागरी लिपि में 'भारत' और दाईं ओर अंग्रेजी में 'India' लिखा होगा. इस सिक्के पर सिंह शीर्ष के नीचे रुपये का चिह्न और 75 रुपये की वैल्यू लिखी होगी. इस साथ ही सिक्के के दूसरे हिस्से पर नए संसद भवन की तस्वीर भी होगी.

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कैसा होगा सिक्का

वित्त मंत्रालय के मुताबिक, इस सिक्के का वजन 35 ग्राम होगा. सिक्का बनाने में 50% चांदी और 40% कॉपर और बाकी 10% में 5-5% निकल और जिंक का इस्तेमाल किया गया है. मंत्रालय के मुताबिक, 75 रुपये के इस नए सिक्के का आकार 44 मिलीमीटर डायामीटर का होगा.

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उद्घाटन को लेकर कई विवाद

कई विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान किया है. इनमें कांग्रेस, वामदल, TMC, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी जैसे राजनीतिक दल शामिल हैं. इन दलों का मानना है कि राष्ट्रपति के बजाय प्रधानमंत्री द्वारा नए संसद भवन के उद्धाटन करने की वजह से वे लोग इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहे हैं.

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संसद भवन में स्थापित होगा सेंगोल

नए संसद भवन में 'सेंगोल' को भी स्थापित किया जाएगा. सेंगोल को अगस्‍त 1947 में अंग्रेजों से सत्ता के मिलने के प्रतीक के रूप में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उपहार के रूप में दिया गया था. तमिलनाडु के महंत प्रधानमंत्री को सेंगोल सौंपेंगे. इस कार्यक्रम लिए 20 अधीनम यानी की महंतो को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है. सेंगोल को नए संसद भवन में अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा.

इस परिवार ने बनाया सेंगोल

इस सेंगोल को चेन्नई में वुम्मिदी बंगारू चेट्टी परिवार ने बनाया था. इस परिवार के 95 वर्षीय बुजुर्ग एथिराज ने 76 साल पहले सेंगोल को अपने हाथों से तराशा था, एथिराज तब 20 साल के रहे होंगे जब उन्होंने इस सेंगोल को बनाया था. NDTV ने चेट्टी परिवार के सदस्‍य वुम्मिदी सुधाकर से बात की, उन्होंने बताया कि 'हम 'सेंगोल' के निर्माता हैं. इसे बनाने में हमें एक महीने का समय लगा. यह चांदी और सोने की परत से बना है. मैं उस वक्त 14 साल का था. मैंने बड़े भाई के निर्देशन में इस पर काम किया था. हम सेंगोल को सौंपने की समान प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए PM मोदी के आभारी हैं.' उन्‍होंने बताया कि 1947 में सेंगोल को बनाने में लगभग 50 हजार रुपये का खर्च आया था.

सेंगोल क्या है ?

सेंगोल का इतिहास मौर्य साम्राज्य से मुगल और अंग्रेजों तक है. पारंपरिक तौर पर सेंगोल को 'राजदण्ड' कहते हैं. सेंगोल तमिल भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ 'संपदा से संपन्न' होता है. पुराने समय में ये राजा की शक्ति और सत्ता का प्रतीक माना जाता था. जिसे राजपुरोहित राजा को देते थे. सत्ता के दो प्रतीक थे राजसत्ता के लिए 'राजदंड' और धर्मसत्ता के लिये 'धर्मदंड'. राजदंड राजा के पास होता था और धर्मदंड राजपुरोहित के पास था.