पेट्रोल-डीजल की महंगाई से राहत देने के लिए सरकार समय-समय पर कदम उठाती रही है. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी एक बड़ी पहल साबित हुई है और अब केंद्र सरकार एक और महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है.
आने वाले समय में कार और अन्य वाहनों को पेट्रोल, डीजल या CNG की बजाय हाइड्रोजन गैस से चलाने का प्रस्ताव है. सरकार ने इसको लेकर एक ड्राफ्ट जारी किया है और कार कंपनियों समेत तमाम स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगे हैं.
इस प्रस्ताव पर जितनी जल्दी बात बनेगी, उतनी ही जल्दी हाइड्रोजन गैस से चलने वाली कारें सड़कों पर दौड़ने लगेंगी. पेट्रोल-डीजल की तुलना में हाइड्रोजन गैस से कार चलाना बेहद सस्ता पड़ेगा. विशेषज्ञों के अनुसार, पानी (H2O) से ऑक्सीजन का विच्छेदन कर हाइड्रोजन गैस बनाई जा सकेगी.
सरकार के ड्राफ्ट में क्या है?
केंद्र सरकार के ड्राफ्ट में हाइड्रोजन गैस के जरिए कार चलाने का प्रस्ताव है. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बाद अब हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियों को लेकर सरकार जो नया ड्राफ्ट लेकर आई है, उसमें कार बनाने वाली कंपनियों को इसको लेकर प्लान बनाने को कहा गया है. उनसे प्रस्ताव पर सुझाव भी मांंगे गए हैं.
ड्राफ्ट के अनुसार, मोटर वाहन नियम (Motor Vehicle Act) में संशोधन का प्रस्ताव है. इसमें सभी M और N कैटगरी के वाहनों के लिए Hydrogen IC की बात कही गई है, ताकि वाहनों के इंजन, कंप्रेस्ड हाइड्रोजन का गैस फॉर्म में इस्तेमाल करें. यहां M कैटगरी का मतलब पैसेंजर व्हीकल्स, जबकि N कैटगरी का मतलब मालवाहक गाड़ियों से है.
'इंजन को अपग्रेड करने पर करें विचार'
ड्राफ्ट में ये भी कहा गया है कि अभी बहुत सारे वाहन LPG और CNG से चल रहे हैं. इंजनों में बदलाव करते हुए उन्हें हाइड्रोजन गैस के इस्तेमाल के लायक अपग्रेड किया जा सकता है ताे इस संभावना पर भी काम करें. इसमें ज्यादा मुश्किल नहीं होगी.
सुझावों के लिए 30 दिन का समय
सरकार ने वाहन बनाने वाली कंपनियों से कहा है कि वे हाइड्रोजन से चलने वाली कारों को लेकर प्लान बनाएंं और इस संबंध में सरकार को सुझाव दें. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने 4 जुलाई, मंगलवार को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है और 30 दिन के भीतर स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगे हैं. 4 अगस्त से पहले तक कार निर्माता कंपनियां और अन्य स्टेकहोल्डर्स सरकार को सुझाव दे सकते हैं.
ग्रीन हाइड्रोजन होता क्या है?
ग्रीन हाइड्रोजन एक कार्बन मुक्त और मोबाइल यानी चलायमान ऊर्जा स्रोत है. वाहनों के अलावा बिजली के इस्तेमाल से चलने वाले उपकरणों के लिए भी इसका इस्तेमाल ईंधन के रूप में किया जा सकता है. ग्रीन हाइड्रोजन को सबसे स्वच्छ ईंधन माना जाता है, क्योंकि इसके इस्तेमाल से कोई कार्बन फुटप्रिंट नहीं छूटता. ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में भी काफी कम कार्बन उत्सर्जन होता है. यानी कि ये जीरो पॉल्यूशन ईंधन है.
हाइड्रोजन प्राकृतिक तौर पर बेहद आसानी से पाया जाता है, जो अन्य तत्वों के साथ संयोजन में एवलेबल है. जैसे कि पानी (H2O) में ये ऑक्सीजन के साथ उपलब्ध है. इसे इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया द्वारा पानी से अलग कर निकाला जा सकता है. ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल बढ़ेगा तो क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने में भी मदद मिलेगी.
सरकार का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
केंद्र सरकार ने इस साल के बजट में ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की बात की थी, जिसका उद्देश्य पेट्रोल, डीजल, कोयला जैसे परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करना है. साथ ही रीन्यूएबल एनर्जी पर जोर देना भी इसका उद्देश्य है.
नवंबर 2020 में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'रीन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर्स मीट' में रीन्यूएबल एनर्जी को लेकर अपनी बात रखी थी. इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2021 को अपने बजट भाषण में इसका रोडमैप सामने रखा था. वहीं 2021 के स्वतंत्रता दिवस पर ही PM मोदी ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की थी.
17 फरवरी, 2022 को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने ग्रीन हाइड्रोजन की नीतियों में बदलाव को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था. करीब एक साल बाद 4 जनवरी 2023 को कैबिनेट ने बाजार में कदम रखने के लिए इंसेंटिव पैकेज को मंजूरी दी.
इसी साल बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए सरकार ने 19,744 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. इसके तहत वर्ष 2030 तक सरकार ने कई लक्ष्य तय कर रखे हैं.
जैसे, देश में करीब 125 गीगा वाट की संबद्ध अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि और हर वर्ष कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक टन 'ग्रीन हाइड्रोजन' उत्पादन क्षमता का विकास. इसके तहत 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश और 6 लाख से अधिक रोजगार सृजन करने का भी लक्ष्य है.
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत ही रेल मंत्रालय खासकर हेरिटेज रूट्स पर हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारी में है. कहा जा रहा है कि इसी साल दिसंबर तक पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाई जा सकती है. आने वाले समय में कार और अन्य वाहनों को हाइड्रोजन से चलाने के प्रस्ताव को भी सरकार के इसी मिशन से जोड़कर देखा जा रहा है.