सरकार ने आज तुअर दाल की खरीद के लिए पोर्टल (tur dal procurement portal) लॉन्च कर दिया है. 'दालों में आत्मनिर्भरता' विषय पर आयोजित के राष्ट्रीय संगोष्ठी में सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस पोर्टल को शुरू किया. ये पोर्टल तुअर दाल के उत्पादनकों को उनकी फसल की उचित कीमत तो दिलाएगा ही साथ उपभोक्ताओं को सस्ती कीमत पर दाल भी उपलब्ध कराएगा.
दालों के इंपोर्ट पर निर्भरता कम होगी
इस पोर्टल पर उत्पादक अपनी कमोडिटीज को बेचने के लिए खुद को रजिस्टर कर पाएंगे और अपने उत्पाद को बेचने के बाद रकम को सीधे अपने बैंक खाते में ले पाएंगे. इस पोर्टल को भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (NCCF) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) ने तैयार किया है. अभी सरकार इन्हीं दोनों एजेंसीज के जरिए दालों या दूसरी कमोडिटीज की खरीदारी करती है. इस पोर्टल का मकसद किसानों से सीधे बफर स्टॉक का 80% खरीदकर इंपोर्ट पर निर्भरता कम करना है. सरकार का कहना है कि इससे न केवल खाद्य उत्पादन सुरक्षित होगा बल्कि देश की भविष्य की खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी.
2027 तक देश होगा दलहन पर आत्मनिर्भर: अमित शाह
सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस मौके पर कहा कि दलहन के क्षेत्र में देश आज आत्मनिर्भर नहीं है, दलहन का आयात हमारे लिए सम्मानजक बात नहीं है. लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि किसान भाईयों के सहयोग से दिसंबर, 2027 के पहले दलहन उत्पादन के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर होगा, 1 किलो दलहन भी इंपोर्ट नहीं करना होगा.
इसका फायदा क्या होगा?
दरअसल अभी जो किसान दाल की खेती करते हैं, उसमें से ज्यादातर मंडी में जाकर अपना माल नहीं बेचते हैं, उसकी जगह बिचौलियों को औने-पौने दाम पर सौदा कर लेते हैं, जो कि MSP से काफी नीचे होता है. सरकार इस पहल से तुअर दाल किसानों की स्थिति को मजबूत करना चाहती है, इससे घरेलू दालों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और इंपोर्ट पर निर्भरता भी घटेगी.
इस पोर्टल के लॉन्च होने के बाद खरीदार इस पोर्टल पर आएंगे और किसानों से MSP से कम से कम 1 रुपये ऊपर के भाव पर दाल खरीदेंगे, और ये सुनिश्चित करने का काम NAFED और NCCF का होगा. इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी.
सरकार का मकसद है कि बिचौलियों को सिस्टम से खत्म कर दिया जाए. क्योंकि ये किसानों से कम दाम पर दालें लेकर बाजार में कई गुना भाव पर बेचते हैं, जो ग्राहकों तक पहुंचते पहुंचते और भी महंगी हो जाती है.
बिचौलिये खत्म होने से किसानों के साथ साथ आम कंज्यूमर को भी फायदा पहुंचेगा, क्योंकि उसे दालों के लिए बेवजह बढ़ी हुई कीमतें नहीं देनी होंगी. महंगाई के मोर्चे पर ये आम उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत होगी.
बिचौलियों के खत्म होने से सरकार को भी फायदा होगा, क्योंकि सरकार के पास दालों का पर्याप्त बफर होगा. सरकार का लक्ष्य बफर स्टॉक का 80% खरीदकर इंपोर्ट पर निर्भरता को कम करना है, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
रजिस्ट्रेशन, पेमेंट बिल्कुल आसान
ये पोर्टल कई भाषाओं में होगा, ये पोर्टल महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक और झारखंड में तुअर दाल उत्पादकों के लिए पूरी प्रक्रिया को आसान और व्यवस्थित करेगा, जिससे रजिस्ट्रेशन, खरीद और भुगतान की प्रक्रिया बहुत सरल हो जाएगी.
किसान सीधे या प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटीज (PACS) और फार्मर्स प्रोड्यूसर्स ऑर्गेनाइजेशन (FPO) के जरिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. पेमेंट का भुगतान NAFED की ओर से उनके दिए गए बैंक खाते में किया जाएगा और इसमें कोई एजेंसी शामिल नहीं होगी. सहकारिता मंत्रालय की ओर कहा गया कि 'पूरी प्रक्रिया किसान केंद्रित है जिसमें किसान खुद रजिस्ट्रेशन से लेकर भुगतान तक की गतिविधियों को ट्रैक कर सकते हैं'.