दुबई में रह रहे भारतीय मूल के बिलियनेयर कारोबारी बलविंदर सिंह साहनी को मनी लॉन्ड्रिंग यानी अवैध तरीके से पैसे के लेन-देन के मामले में दोषी पाया गया है. अब उन्हें 5 साल की जेल होगी और सजा पूरी होने के बाद उन्हें यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) से डिपोर्ट यानी निकाल दिया जाएगा.
साहनी को दुबई की एक अदालत ने 5 साल की सजा सुनाई है और उन पर 5 लाख दिरहम (करीब 1 करोड़ 15 लाख रुपये) का जुर्माना भी लगाया गया है. साथ ही उनके पास से 15 करोड़ दिरहम (करीब 344 करोड़ रुपये) की संपत्ति जब्त करने का आदेश भी दिया गया है.
कौन हैं बलविंदर सिंह साहनी?
बलविंदर सिंह साहनी को दुबई में 'अबू सबाह' के नाम से भी जाना जाता है. 53 साल के साहनी रज साहनी ग्रुप (RSG) नाम की प्रॉपर्टी कंपनी के मालिक और चेयरमैन हैं. ये कंपनी UAE, अमेरिका, भारत और कई देशों में प्रॉपर्टी का काम करती है.
उनकी कंपनी के प्रोजेक्ट्स में दुबई स्पोर्ट्स सिटी में कासर सबाह की रेसिडेंशियल बिल्डिंग्स, जुमेराह विलेज सर्कल में 24 मंजिला बर्ज सबाह अपार्टमेंट, बिजनेस बे के बे स्क्वायर में कॉमर्शियल प्रॉपर्टी और पांच सितारा होटल 'सबाह दुबई' शामिल हैं.
लग्जरी गाड़ियों के शौकीन, लाखों में फॉलोअर्स
साहनी दुबई की अमीर हस्तियों में जाने जाते हैं. वे महंगी गाड़ियों के बड़े शौकीन हैं और सोशल मीडिया पर अक्सर अपनी लग्जरी कारों की तस्वीरें शेयर करते हैं. 2016 में उन्होंने अपनी रोल्स रॉयस कार के लिए 'D5' नंबर प्लेट 33 लाख दिरहम (करीब 66 करोड़ रुपये उस समय) में खरीदी थी, जिससे वो खूब चर्चा में आए थे.
साहनी अक्सर रॉयल ब्लू रंग की पारंपरिक अरबी पोशाक (कंदूरा), बेसबॉल कैप और मैचिंग जूते पहनते हैं. इंस्टाग्राम पर उनके 33 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.
उनके खिलाफ पूरा मामला क्या है?
2024 में बुर दुबई पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. जांच के बाद ये केस पब्लिक प्रॉसिक्यूशन यानी सरकारी अभियोजन विभाग को सौंपा गया. जांच में सामने आया कि साहनी और उनके साथियों ने शेल कंपनियों (कागजों पर बनी कंपनियों) और फर्जी बिलों के जरिए बड़े पैमाने पर पैसों का हेरफेर किया.
दुबई की फोर्थ क्रिमिनल कोर्ट ने उन्हें और उनके 33 साथियों को मनी लॉन्ड्रिंग के नेटवर्क चलाने का दोषी पाया. इन लोगों ने अवैध तरीके से पैसे को घुमाने के लिए नकली कंपनियों और संदिग्ध ट्रांजैक्शनों का इस्तेमाल किया.
कोर्ट ने साहनी पर 5 लाख दिरहम का जुर्माना लगाया है और उनकी 15 करोड़ दिरहम की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया है, जो मनी लॉन्ड्रिंग से कमाई गई बताई गई है. सजा पूरी होने के बाद उन्हें यूएई से बाहर निकालने (डिपोर्ट करने) का भी आदेश है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ आरोपियों पर बिना उनकी मौजूदगी के मुकदमा चला और उन्हें एक साल की जेल और 2 लाख दिरहम का जुर्माना हुआ. वहीं, तीन कंपनियों पर 50-50 लाख दिरहम का जुर्माना भी लगाया गया है.